चन्द्रकांत शुक्ला
योगी... यह शब्द सुनते ही आजकल हर देशवासी के जेहन में एक भगवाधारी का अक्श उभर आता है। जी हां... आप सही समझ रहे हैं, मैं उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी की ही बात कर रहा हूं। कई प्रदेशों से गाहे-बगाहे उन्हीं की तरह के सीएम की मांग उठती रही है। छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ वर्षों में तेजी से अपराध बढ़े हैं, नक्सली निर्दोषों की जान ले रहे हैं। इन हालातों से निजात दिलाने के लिए यहां भी एक 'कर्मयोगी' की दरकार है।
कवर्धा कांड के बाद चर्चा में आकर विधायक चुने गए और छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री बनाए गए विजय शर्मा ने अब तक जो तेवर दिखाए हैं, उसने आस जगा दी है। ऐसा लगने लगा है कि, शायद विजय ही वह कर्म 'योगी' साबित हो सकते हैं... जिनकी छत्तीसगढ़ को दरकार है। श्री शर्मा हिंदी और अंग्रेजी पर बराबर पकड़ रखते हैं। ओजस्वी वक्ता हैं और अपनी बात दबंगई के साथ रखने पर भरोसा करते हैं।
वे नक्सल मुठभेड़ में शहीद की अर्थी को कांधा देने पहुंच जाते हैं। उनके परिजनों को भरोसा दिलाते हैं कि उन्हें कोई तकलीफ नहीं होने देंगे। उन्हें अपना पर्सनल फोन नंबर देकर आते हैं। कहीं भी कभी भी कोई दिक्कत आए तो मुझसे सीधे बात करें। नशे के खिलाफ कार्रवाई में तेजी ना आता देख फोन पर डीजीपी की क्लास लेते हैं। उनकी क्लास का असर ऐसा होता है कि, देर रात डीजीपी आफिस से प्रदेशभर के एसपी, आईजी को संदेश पहुंच जाता है कि, कल ही दोपहर 12 बजे डीजीपी साहब नशे के खिलाफ कार्रवाई को लेकर बैठक लेंगे। संदेश इस कड़क लहजे में होता है कि, देर रात ही कई जिलों के एसपी दफ्तर खुल जाते हैं... आंकड़े तैयार किए जाने लगते हैं। दोपहर 12 बजे ही बैठक शुरू हो जाती है और अफसरों को नशे के खिलाफ अभियान तेज करने के सख्त निर्देश दिए जाते हैं। डीजीपी साहब यहां तक कह देते हैं कि, वे स्वयं अब किसी भी जिले के अकस्मात दौरे पर पहुंचेंगे। हर पंद्रह दिनों में नशे के खिलाफ अभियान की समीक्षा बैठक लेंगे।
श्री शर्मा की कार्यप्रणाली में सटीकता और गहराई से समझ होने की एक और झलक दिखती है, जब प्रदेश के एडिशनल एसपी, डीएसपी जैसे अफसरों के संगठन के पदाधिकारी उनसे मिलने पहुंचते हैं। विभाग के अफसर मिलने पहुंचे तो बतौर मंत्री श्री शर्मा उनसे सहज भाव से मिलते हैं, उनकी बधाई और शुभकामनाएं स्वीकारते हैं। लेकिन जैसे ही ये अफसर अपनी मांगों से संबंधित पत्र उन्हें सौंपते हैं... वे गंभीरता से उसे पढ़ते हैं। मांग पत्र को पढ़ते-पढ़ते ही गृहमंत्री के चेहरे के हाव-भाव और भाव-भंगिमाएं बदलने लगती हैं।
अफसरों के मांग पत्र में नवा रायपुर में एक विशेष चिन्हित जगह पर जमीन, वेतन वृद्धि और प्रमोशन के साथ ही कुछ और भी बातें शामिल थीं। श्री शर्मा इन अफसरों से साफ-साफ कहते हैं.. मुझे अच्छी तरह से पता है... आप लोग कमजोर नहीं हैं। आप सभी आर्थिक दृष्टि से मजबूत हैं। फिलहाल हमारी प्राथमिकता में हजारों की संख्या में अभावों के बीच दिन-रात ड्यटी बजाने वाले कांस्टेबल और हेड कांस्टेबल हैं। श्री शर्मा अफसरों को 'आईना' दिखाते हुए कहते हैं कि, कई कांस्टेबल मेरे दोस्त हैं। उनके पास रहने के लिए घर तक नहीं है। गृहमंत्री के उक्त कथन से अफसरों के चेहरे पर ऐसे भाव उभरे... मानो काटो तो खून नहीं।
श्री शर्मा के कड़े तेवर और सटीक फैसलों के ऐसे कई उदाहरण मैं यहां गिना सकता हूं। लेकिन प्रदेश में हालात जिस तेजी से बिगड़े हैं... उनपर काबू पाने के लिए ऐसे ही तेवर और सख्ती लगातार बनाए रखने की जरूरत है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि, क्या विजय शर्मा आने वाले दिनों में छत्तीसगढ़ के 'योगी' के रूप में पहचान बना पाएंगे?