रायपुर। राजधानी से सटे गरियाबंद जिला स्थित बारूका के नजदीक चिंगरापगार नामक पर्यटन स्थल है। पर्यटन स्थल में पिछले दस दिनों से लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। रोक लगाने की वजह तीन नर हाथियों का मूवमेंट है। हाथी बारूका तथा चिंगरापगार के आसपास विचरण कर रहे हैं। इसके कारण यहां लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है। चिंगरापगार जाने वाले मार्ग में लोगों की आवाजाही रोकने वनकर्मियों के साथ पुलिस की ड्यूटी लगाई गई है।

गौरतलब है कि, चिंगरापगार में बारिश के दिनों में 40 फीट से ज्यादा की ऊंचाई से झरना गिरता है। इसके चलते यहां पिकनिक मानाने गरियाबंद, रायपुर के अलावा आसपास के लोग भारी संख्या में लोग पहुंचते हैं। हाथियों के मूवमेंट होने की वजह से पिकनिक मनाने जाने वाले लोगों को अप्रिय स्थिति का सामना करना पड़ सकता है। इस वजह से यहां लोगों की आवाजाही पर रोक लगा दी गई है।

ट्रैकर दल कर रहे निगरानी 

वन अफसर के अनुसार, हाथियों के मूवमेंट पर लगातार ट्रैकर दल निगरानी कर रहे हैं। चिंगरापगार के आसपास विचरण कर रहे तीन हाथियों में से दो हाथी गरियबंद से सटे धमतरी जिला के करीब पहुंच गए हैं, जो दो हाथी धमतरी जिला के करीब पहुंच चुके हैं, वह कभी भी वापस चिंगरापगार की तरफ लौट सकते हैं।

लगातार बढ़ रहा हाथियों का मूवमेंट

वन अफसरों के मुताबिक,  जतमई घटारानी तथा चिंगरापगार में लगातार हाथियों का मूवमेंट बढ़ रहा है। इन दोनों पर्यटक स्थलों में पिछले तीन-चार वर्षों में हाथियों का मूवमेंट बढ़ा है। उदंती-सीतानदी टाइगर रिजर्व के डिप्टी डायरेक्टर वरुण जैन के मुताबिक चिंगरापगार में लगातार हाथियों का मूवमेंट देखा गया है। हाथियों का मूवमेंट बढ़ने की वजह क्षेत्र में हाथियों के लिए पर्याप्त चारा के साथ पानी की उपलब्धता है।

जतमई घटारानी के बाद ज्यादातर लोगों की पसंदीदा जगह

बारिश के दिनों में अभयारण्य, नेशनल पार्क तथा टाइगर रिजर्व में लोगों की आवाजाही पर रोक होने की वजह से ज्यादातर लोग पिकनिक मनाने जहां झरना गिरता हो, वहां जाना पसंद करते हैं। राजधानी के ज्यादातर लोग बारिश के दिनों में सौ किलोमीटर के अंतराल में स्थिति जतमई घटारानी के बाद चिंगरापगार जाना पसंद करते हैं। चिंगरापगार में आवाजाही बंद होने की वजह से लोगों को मजबूरी में किसी अन्य पर्यटन स्थल जाना पड़ रहा है।