सरल, सहज और सहृदय 'साय' : सीएम के आतिथ्य और अपनेपन ने जीता कांसाबेल के कोरवा आदिवासियों का दिल

CM Vishnudev Sai met Korwa tribals
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सीएम विष्णुदेव साय ने कोरवा आदिवासियों से की मुलाकात
आज के दौर में कोई सीएम इतना सहज, सरल और सहृदय हो सकता है क्या... जो उनसे मिलने आए पहाड़ी कोरवा आदिवासियों को खाना खिलाए, उनकी वापसी का खर्च अपनी जेब से दे.. जी हां... कुछ ऐसे ही हैं छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय।

रायपुर। छत्तीसगढ़ के सीएम विष्णुदेव साय से मुलाकात करने के लिए कोरवा आदिवासी के लोग उनके सरकारी निवास पहुना आये हुए थे। इस दौरान एक ऐसी घटना घटी जिससे उनके आत्मीय व्यवहार और प्रेम का परिचय दिखाई देता है। सीएम श्री साय ने रात्रि तकरीबन सवा बारह बजे उनसे मित्रवत मुलाकात की और फिर जाते हुए बड़ी आत्मीयता से पूछा कि, जाने का किराया रखे हो और फिर अपनी जेब से निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया। साथ ही कहा कि, आज रात यहीं रुको, कल खाना खाकर ही जाना।

कल देर रात जब बस्तर और राजिम के दिन भर के व्यस्त कार्यक्रम के बाद सीएम श्री साय पहुना पहुंचे। तो उन्हें पता चला कि, तीन कोरवा आदिवासी ग्रामीण उनसे मिलने की प्रतीक्षा कर रहे हैं। उस समय रात्रि के तकरीबन सवा बारह बज गए थे। मगर ये जानकर कि, जशपुर जिले के कांसाबेल ब्लॉक के कोरवा आदिवासी लंबी दूरी का सफर कर उनसे मिलने आये हैं, मुख्यमंत्री श्री साय ने उन्हें अपने कक्ष में बुलवाया और नंगे पांव आये कोरवा बिशुन राम, बालकिशुन राम और अजीर साय मुख्यमंत्री के कक्ष में दाखिल हुए। सीएम श्री साय ने बड़े ध्यान से उनकी समस्यायों को सुना और हर सम्भव मदद के लिए आश्वस्त किया। सीएम श्री साय के द्वारा हालचाल जानने के बाद जो हुआ उसकी कल्पना भी इन ग्रामीणों ने नहीं की थी। सीएम श्री साय ने सबसे पहले उनसे पुछा- खाना खाए हो इस पर जब उन्होंने बताया कि, पहुना में ही उन्हें भोजन कराया गया है।

यात्रा विवरण को लेकर पूछा सवाल

मुलाकात के सीएम श्री साय ने उनसे पूछा कि, रायपुर कब आये और किस रूट से आये हो इस पर उन्होंने बताया कि, कल वे बटईकेला से रायगढ़ बस से आये और रायगढ़ से ट्रेन के जनरल बोगी का टिकट लेकर रायपुर आये हैं। उसके बाद सीएम विष्णु देव साय ने बड़ी ही आत्मियता से उनसे पूछा-जाने का किराया रखे हो लेकिन इस प्रश्न के जवाब में ग्रामीण चुप रहे। मगर सीएम श्री साय ने इस खामोशी के पीछे के उन भावों को भी पढ़ लिया जिसे वे व्यक्त करने से कतरा रहे थे। मुख्यमंत्री ने अपनी जेब से निकाल कर उन्हें यात्रा खर्च दिया और कहा कि, आज रात आप यहीं रुको और कल खाना खाकर ही जाना। मुख्यमंत्री श्री साय की इस सहृदयता ने इन कोरवा आदिवसियों के दिल को छू लिया।

पुराने साथी को पहचानते ही बोले- अब तैं बुढ़ा गए हस....

सीएम विष्णु देव साय ने बहुत साल बाद मिल रहे पुराने साथी अजीर साय को पहचान लिया और कहा कि, अब तैं बुढ़ा गए हस। मुख्यमंत्री ने उन्हें याद दिलाया कि मैं तोर साथ भोपाल गए रहेन। अजीर साय ने बताया कि, वे कोरवा आदिवासियों की समस्या को लेकर मुख्यमंत्री से कई साल पहले तब मिले थे जब वे विधायक थे। उस समय सीएम विष्णु देव साय उन्हें अपने साथ लेकर भोपाल लेकर गए थे और तत्कालीन सरकार के मंत्रियों से उन्हें मिलवा कर कोरवा आदिवासियों की बात रखी थी। मुख्यमंत्री ने अजीर साय से स्नेहभाव में कहा कि, अब तैं बुढ़ा गए हस। इस बात को सुनकर सभी खिलखिला उठे।

युवाओं का हौसला बढ़ाया

इतना ही सीएम श्री साय ने पहुना आये कोरवा आदिवासी युवा बिशुनराम और बालकिशुन राम से उनका हाल चाल जाना और उनकी शिक्षा के बारे में पूछा । किशुन ने बताया कि, उन्होंने बीएससी किया है और किशुनराम ने एमएससी और दोनों ने कम्प्यूटर का भी कोर्स किया है। सीएम श्री साय ने इन आदिवासी युवाओं के जज़्बे और योग्यता की सराहना की और उनका हौसला बढ़ाया। मुख्यमंत्री ने उन्हें उज्ज्वल भविष्य की शुभकामना दी। दरसअल मुख्यमंत्री ने लंबे लोकजीवन में समझा है लोगों का सुख-दुख, लगा रहता था और मिलने वालों का तांता लगा रहता था।

लंबे लोकजीवन में समझा है लोगों का सुख-दुःख

सीएम विष्णुदेव साय की खासियत है कि, वे हर तबके के व्यक्ति के दुख-सुख को बहुत गहनता से समझते हैं। जनप्रतिनिधि के रूप में उनका लंबा कार्यकाल रहा है। वे सरपंच से लेकर केंद्रीय मंत्री और अब मुख्यमंत्री रहते हुए लोगों की समस्याओं को हर स्तर पर रूबरू हुए हैं। यही कारण है जबसे उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में कार्यभार सम्भाला है, प्रदेश भर से उनसे मिलकर अपनी समस्या रखने वालों का तांता लगा रहता है। उनसे मिलने वालों को उनका आत्मीय भाव छू जाता है।

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