बिलासपुर। मुंगेली जिले के लोरमी विकासखंड के 7 गांवों में पिछले 10 सालों में बनाए गए श्रवण बाधित सर्टिफिकेट की जांच नहीं हो पा रही है। बार-बार मेडिकल कराने के निर्देश के बाद भी कभी मशीन खराब हो जा रही है तो कभी कमेटी की बैठक टल जा रही है। सोमवार को मुंगेली जिले में होने वाली कमेटी की बैठक भी नहीं हो सकी, क्योंकि सीएमएचओ और जिला शिक्षा अधिकारी नहीं पहुंच सके। अब बैठक के लिए नई तिथि जारी करने की बात कही जा रही है। हालांकि संयुक्त कलेक्टर मेनका प्रधान की ओर से कहा गया कि मामले को गंभीरता से लिया जा रहा है और अगली तिथि में बैठक नहीं हो सकी तो राज्य मेडिकल बोर्ड से सीधे संपर्क करते हुए श्रवण बाधित जांच कराई जाएगी।
2016 और 2018 में हुआ अधिकांश फर्जीवाड़ा
2016 और 2018 में हुई भर्ती की सूची का अवलोकन करने पर एक बात जो देखने में आ रही है कि अधिकांश चयनित उम्मीदवार राजपूत,सिंह और राठौर सरनेम के हैं। यह सभी बिलासपुर, मुंगेली और जांजगीर-चांपा जिले के निवासी हैं। अधिकांश फर्जी प्रमाण पत्र भी लोरमी और जांजगीर-चांपा जिले से बनाए गए है। छत्तीसगढ़ दिव्यांग सेवा संघ के मुताबिक अधिकांश प्रमाण पत्रों में बिलासपुर और मुंगेली में पदस्थ दो डाक्टरों के हस्ताक्षर से जारी हुए हैं।
मशीन चालू लेकिन रिपोर्ट आती है खराब
संभागीय मेडिकल बोर्ड सिम्स में इन दिनों बेरा व आडियोमेट्री मशीन खराब पड़ी हुई है। बताया जा रहा है कि मशीन पिछले एक साल से खराब है, लेकिन कुछ माह पहले ही इसे बनाया गया है, मशीन चालू हालत में है लेकिन टेस्टिंग के दौरान इसके रिपोर्ट गलत आ रही है। डॉक्टरों के अनुसार रिपोर्ट में आर्टिफेक्स आ रहे हैं, जिसके चलते मशीन के द्वारा की गई जांच प्रमाणित नहीं मानी जा सकती है। खास बात यह है कि सिम्स में वहीं प्रकरण सर्टिफिकेट की जांच कराने हितग्राही पहुंचते है जिन्हें अन्य विभाग ने आपत्ति दर्ज कराई हो।
कलेक्टर के आदेश को दिखा रहे ठेंगा
ध्यान रहे कि, लोरमी ब्लाक के सारधा, लोरमी, सुकली, झाफल, फुलझर, विचार पुर, बोड़तरा गांव के लोगों के बने सभी दिव्यांग प्रमाण-पत्रों पर सवाल लंबे समय उठ रहे हैं। बात सामने आई है कि अकेले 53 लोग कृषि विभाग में ग्रामीण कृषि विस्तार अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। वहीं तीन लोग कृषि शिक्षक के पद पर काबिज हैं,जिन्होंने श्रवण बाधित होने का फर्जी विकलांगता प्रमाण पत्र पेश किया है। इसकी लगातार शिकायत के बाद मुंगेली कलेक्टर ने पिछले महीने 22 ऐसे लोगों का मेडिकल संभागीय बोर्ड से कराने का आदेश जारी किया था लेकिन कह दिया गया कि मशीन खराब है। इसमें भी मिलीभगत के आरोप लग रहे हैं। साफ है कलेक्टर के आदेश को भी कुछ स्वास्थ्य और शिक्षा विभाग के अधिकारी ठेंगा दिखा रहे हैं।