भिलाई। भारतमाला परियोजना के अंतर्गत एनएचएआई-46 पर बन रह नई सिक्स लेन बाइपास के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा। 2281 करोड़ रुपए की इस नई लाइफ लाइन के लिए किसानों को निर्धारित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है। इसके कारण किसान प्रशासन, एनएचएआई से लेकर न्यायालयों के चक्कर काटने मजबूर हैं। भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2012 के बाद से लगातार इसमें संशोधन हुए हैं, अवार्ड पारित हुए हैं, लेकिन इसके बाद भी किसानों को निर्धारित दरों से मुआवजा भुगतान नहीं हो रहा है।
हरिभूमि की पड़ताल में इसका खुलासा हुआ है। इतना ही नहीं किसानों की पुरखौती जमीनों पर दबाव डालकर शासन स्तर पर प्रकाशन तो करा लिया गया है, यहां तक उनकी जमीनों पर काबिज होकर काम तक शुरू कर दिया गया है, लेकिन उनके मुआवजा प्रकरण पर निर्णय अब भी अधूरा है। अब तक 200 से ज्यादा किसान न्यायालय पहुंच चुके हैं। कई ऐसे हैं, जो एसडीएम से लेकर जिला कार्यालय और मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री के चक्कर काट रहे हैं, लेकिन उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है। बता दें कि कई किसान ऐसे हैं, जिनकी कई पीढ़ियों ने इन जमीनों पर हल चलाए। अपना खून-पसीना बहाया और अब उनके हाथ में न पैसा है, न ही जमीन। 38 गांव में 2282 किसानों की 746.61 हैक्टेयर जमीन अधिग्रहित की गई है।
दुर्ग जिले के 1349 किसानों को मिलना है मुआवजा
अधिकारियों के मुताबिक जिन किसानों को मुआवजा मिलना है या जारी किया जा चुका है, उनमें दुर्ग जिले के करीब 1349 किसान हैं। वहीं राजनांदगांव जिले के 139, रायपुर अभनपुर के 613 व आरंग के 543 किसानों को मुआवजा मिलना है। 2281 करोड़ रुपए से 704 करोड़ रुपए 2644 किसानों को मुआवजा दिया जाएगा। 7 सितंबर 2018 को नेशनल हाईवे एक्ट 1955 की धारा 3-डी के तहत भूमि अर्जन की उद्घोषणा हुई थी। पहले दिसंबर 2022 तक इस प्रोजेक्ट को पूरा किया जाना है। लेकिन लगातार काम डिले होते गया। 44 किमी की रोड राजनांदगांव के टेडेसरा से खट्टी और 48.5 किमी रोड खट्टी से आरंग तक बनेगी। दो कार्य एजेंसियों का काम दिया गया है।
2 मई 2019 के स्थान पर 25 फरवरी 2019 को किया अवार्ड पारित
अधिवक्ता जेके वर्मा बताते हैं कि अधिग्रहण के नए नियम की अधिसूचना 2 मई 2019 को जारी हुई। दुर्ग, राजनांदगांव और आरंग के किसानों को 25 फरवरी 2019 को ही अवार्ड पारित कर दिया। इसकी वजह से उन्हें चार के स्थान पर दो गुना मुआवजा देना तय किया गया। अब कुछ किसानों ने न्यायालय में याचिका दायर की है। भूअर्जन और मुआवजा निर्धारण में बतौर भूअर्जन अधिकारी, अनुविभागीय अधिकारी राजस्व द्वारा जानबूझकर नियम कानूनों का गंभीर उल्लंघन कर, राष्ट्रीय राजमार्ग विभाग से सांठगांठ कर किसानों को विधिसम्मत मुआवजा से वंचित किया गया है।
2044 किसानों को मिलनी है 704 करोड़ की मुआवजा राशि
जानकारी के मुताबिक 925 किलोमीटर की इस 70 मीटर चौड़ी सड़क के लिए 2044 किसानों की जमीनों का अधिग्रहण किया गया है। 704 करोड़ रुपए की मुआवजा राशि जारी होनी है। इसमें 1577 करोड़ रुपए कंस्ट्रक्शन पर खर्च होने हैं। इसमें पुल, पुलिया, सड़क का निर्माण होना है। 70 मीटर सड़क के लिए अधिग्रहित की जा रही जमीन में से 40 मीटर में सड़क और डिवाडइर बनना है। शेष में से 15-15 मीटर जमीन को रिक्त रखा जाना तय किया गया है। सड़क का निर्माण शुरू हो चुका है। करीब 10 प्रतिशत काम भी हो चुका है। 2027-28 तक का सड़क निर्माण पूरा होने का दावा किया जा रहा है। इस न्यू लाइफ लाइन के बनने से भारी वाहन दुर्ग भिलाई की तरफ नहीं आएंगे। मुंबई की तरफ से आने वाले वाहन सीधे इस सिक्स लेन के जरिए बाहर ही बाहर आरंग पहुंच जाएंगे।
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यह है मुआवजे का नियम- भूमि अधिग्रहण नियमः 2013 के तहत
- इसके तहत हितग्राही से यदि 5 लाख कीमत की जमीन ली जाती है, तो उस कीमत के अलावा उतनी ही राशि यानी 5 लाख रुपए सोलेशियम के रूप में भी दी जाएगी। इस तरह उसे उस जमीन का मुआवजा 10 लाख दिया जाएगा।
- इसके तहत 5 लाख की यदि जमीन अधिग्रहित की जाती है तो उसके 10 लाख रुपए मिलेंगे और 10 लाख रुपए सोलेशियम होगा। इस तरह हितग्राही को उसी जमीन के 20 लाख रुपए मिलेंगे।
स्वतंत्र एजेंसी से कराई जाए जांच
अधिवक्ता जेके वर्मा ने बताया कि, हमारी पुरखौती जमीन को हमने शासन को दिया है। हमें बड़े-बड़े सपने दिखाए गए। चार गुना मुआवजा की बात कही गई। कुछ दिन पहले ही अवार्ड पारित हुआ है, जिसमें चार गुना मुआवजा मिलना है, लेकिन इसमें भी शासन द्वारा 30 प्रतिशत की कटौती बिना किसी अधिसूचना के किया जाना तय किया गया है। इससे किसानों को तीन गुना ही मिल पाएगा। पहले भी कई तरह की परेशानियां दी गई है।
जल्द जारी होगा मुआवजा
दुर्ग के एसडीएम हरवंश मिरी ने बताया कि, नया अवार्ड पारित हुआ है, इसमें किसानों को मुआवजा निर्धारित नियमों के अनुरूप दिया जाना है। हमारे अनुभाग के 12 गांव के 500 किसानों को इसका फायदा होगा। मुआवजा राशि का आकलन किया जा चुका है।