रायपुर। जंगल सफारी वन्यजीवों के लिए कब्रगाह साबित हो रहा है। सफारी में पिछले पांच वर्षों में जिनते भी वन्यजीवों की मौतें हुई हैं, उनमें 36 प्रतिशत मौतें अप्राकृतिक तौर पर डॉक्टर की लापरवाही के कारण हुई है। हबिंबोर प्रजाति के शेड्यूल-1 की श्रेणी में आने वाले काले हिरण और चौसिंगा की मौत का आंकड़ा चौंकाने वाला है। विधानसभा में विधायक इंद्र कुमार साहू ने पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए वनमंत्री केदार कश्यप ने बताया है कि, जनवरी 2019 से 15 जनवरी 2024 के बीच जंगल सफारी में 185 वन्यप्राणियों की आकास्मिक मौतें हुई हैं। इस लिहाज से हर वर्ष 37 वन्यजीवों की जंगल सफारी में मौतें हो रही हैं।
गौरतलब है कि, जंगल सफारी में वर्ष 2019 में जनवरी से लेकर सितंबर तक महज आठ वन्यजीवों की मौतें हुई थीं। जंगल सफारी में पदस्थ वन्यजीव चिकित्सक के उनके मूल विभाग पशु में जाने के बाद मौतें हुई हैं। वर्तमान में तब से लेकर अब तक जंगल सफारी में प्रतिनियुक्ति पर आए डॉ. राकेश वर्मा अपनी सेवाएं दे रहे हैं।
सफारी में काला हिरण, चौसिंगा सुरक्षित नहीं
विधानसभा में पेश आंकड़ों के मुताबिक, जनवरी 2019 से 15 जनवरी 2024 के बीच जंगल सफारी में 44 काले हिरण तथा 33 चौसिंगा की मौतें हुई हैं।
ज्यादातर मौतें संक्रमण तथा निमोनिया से
गौरतलब है कि, जंगल सफारी में वन्यजीवों के बेहतर स्वास्थ्य परीक्षण के लिए आत्युधिनिक अस्पताल बनाए गए हैं। जंगल सफारी में राज्य के दूसरे वनक्षेत्र के एनिमल को उपचार के लिए लाया जाता है। बावजूद इसके जंगल सफारी में रह रहे वन्यजीवों में 40 वन्यजीवों की मौत संक्रमण और 27 की निमोनिया से हुई है। कुल मौतों में 36 प्रतिशत मौतें संक्रमण और निमोनिया से हुई हैं।
लापरवाही बरतने वालों के खिलाफ कार्रवाई नहीं
जंगल सफारी के चिकित्सक के खिलाफ लापरवाही करने की कई शिकायतें हैं। बावजूद इसके उनके खिलाफ अब तक किसी भी प्रकार से विभाग के अफसरों ने किसी तरह से कोई कार्रवाई नहीं करना कई सवाल खड़े कर रहा है है। दो माह पूर्व जंगल सफारी में थोक में चौसिंगा की मौत मामले में जांच टीम ने डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने अनुशंसा की थी। शासन स्तर पर भी चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को कार्रवाई करने कहा है। बावजूद इसके डॉक्टर के खिलाफ किसी तरह से कार्रवाई नहीं की गई है।