रायपुर। देश में जब मॉल संस्कृति छाने लगी थी तब रायपुर के पास जोरा गांव में एक विशाल इमारत आकार ले रही थी, नाम था ट्रेजर आईलैंड। यह इमारत बनकर तैयार होने को ही थी कि तभी इसके मालिकों की माली हालत खराब होने लगी और यह इमारत अधूरी ही रह गई। निगम का टैक्स बढ़ता रहा और बढ़कर 22 करोड़ रुपए से ऊपर हो गया। करीब 12 साल पहले 22 करोड़ रुपए के टैक्स को अब नगर निगम ने 2 करोड़ 29 लाख में सेटलमेंट करा दिया है। लेकिन इस फैसले को लेकर गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। क्योंकि जो सेटलमेंट हुआ है वह इमारत का हुआ ही नहीं। केवल इमारत की जमीन को मानकर टैक्स सेटलमेंट कर लिया गया है।
चास संबंधित जोन के जोन कमिश्नर ने कहा है हमने बिल्डिंग नहीं जमीन पर लगाया है टैक्स, वही पूर्व महापौर डॉ. किरणमयी नायक ने कहा ये अवैध है, वैध हो ही नही सकता। अधिकारियों की सांठगांठ से ऐसा हुआ है। मैंने खुद अपने कार्यकाल में इसकी नोटशीट बनवाई थी, ट्रेजर आईलैंड का अधिकारियों से नापजोख कराया था और 22 करोड़ का संपत्ति कर सहित अन्य कर बकाया के भुगतान करने का नोटिस दिया था। उसे असफरों ने 12 साल बाद सेटलमेंट के बाद 2 करोड़ 29 लाख 93 हजार 666 रुपए में समेट दिया है। जोन 9 कमिश्नर संतोष पांडे का कहना है, निगम ने कंपलीट भवन का प्रापर्टी टैक्स न लेकर केवल उस जमीन का बकाया संपत्ति कर सहित अन्य कर लिया है। निर्माण कंपलीट होने पर कंप्लीशन सर्टिफिकेट सबमिट करने पर कंस्ट्रक्शन के आधार पर नापजोख कर संपत्ति कर लगाया जायेगा।
ये लीगल हो ही नहीं सकता अवैध है : किरणमयी नायक
12 साल पहले मैंने ट्रेजरलैंड का निगम अधिकारियों से मिलकर नापजोख कराया था। उस समय 40 हजार वर्गफीट अतिरिक्त निर्माण हुआ था। नक्शे में उथल पुथल थी। गई गलतियां भी पाई इसी आधार पर मैने अपनी रिपोर्ट देते हुए नोटशीट चलाई जिसमें 22 करोड़ का संपत्ति कर सहित अन्य कर ट्रेजरलैंड से वसूलना था। अब उसी ट्रेजरलैंड का 22 करोड़ के बकाया संपत्ति कर राशि का 2 करोड़ 29 लाख में सेटलमेंट हो ही नहीं सकता। ये इनलीगल है। अधिकारियों की सांठगांठ से ये अभी हो रहा है।
अंबुजा मॉल ने गड़बड़ी नहीं की फिर भी टैक्स लगा था
पूर्व महापौर ने बताया, उस समय अंबुजा माल के मामले में भी नगरनिगम की टीम ने संपत्ति कर मामले टीम भेजकर जांच कराई तब अंबुजा मॉल के कंस्ट्रक्शन में एक इंच अतिरिक्त निर्माण नहीं हुआ था। केवल नक्शे में फ्लोर संबंधी चेंज पाया। इसमें निगम प्रशासन ने पौने 8 करोड़ का बकाया संपत्ति कर निकाला। फिर ट्रेजरलैंड में तो इससे बड़ी खामी 40 हजार वर्गफीट के अतिरिक्त निर्माण की पाई गई। उसे नजर अंदाज कैसे कर सकते हैं? ये सरासर भ्रष्टाचार है, अधिकारियों के साथ मिलकर बंदरबाट की गई है। ट्रेजर आइलैंड मॉल दस साल तक बंद रहा तो ये किसकी गलती है, इसके लिए नगर निगम बिल्डिंग का प्रापर्टी टैक्स लेने की जगह केवल जमीन का प्रापर्टी टैक्स कैसे ले सकता है?