अक्षय साहू-राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के नगर निगम में भवन अनुज्ञा की अनुमति में करोड़ों रुपये की हेर-फेर की शिकायतें मिल रही है। प्रशासन ने अब इस मामले में कड़ा रुख इख्तियार कर लिया है। संयुक्त कलेक्टर खेमलाल वर्मा द्वारा गठित किये गए जांच दल के सदस्यों में बदलाव किया गया है।
शिकायतकर्ता गुरविंदर सिंह चड्डा द्वारा शिकायत की गई थी कि, नगर निगम राजनांदगांव द्वारा सत्यम परिवेश विस्तार आईएनसी कालोनी के अनुमादित अभिन्यास में हेर फेर कर करोड़ो रूपयों की हानि शासन को पहुंचाई गई है। इस मामले की जांच करने के किये पहले नगर निगम राजनांदगांव के कार्यपालन अभियन्ता यूके रामटेके और नगर तथा ग्राम निवेश की उप संचालक कमला सिंह को नियुक्त किया गया था। लेकिन संयुक्त कलेक्टर ने एक और आदेश जारी करते हुए दोनों को जांच टीम से निकाल दिया है। केवल नगर और ग्राम के सहायक संचालक विमल कुमार बगवैया को जांच टीम में शामिल किया है।
भवन अनुज्ञा में हेरफेर कर करोड़ों की घपलेबाजी
बता दें कि, शहर के गंज चौक और लखोली नाका चौक के बीच सत्यम परिवेश कॉलोनी के निर्माण कार्य जारी है। शिकायतकर्ता का आरोप है कि, नगर निगम राजनांदगांव द्वारा सत्यम परिवेश आईएनसी कॉलोनी के भवन अनुज्ञा में हेरफेर कर शासन को करोड़ों की हानि पहुंचायी गई है। निगम के अधिकारियों ने अपनी जेब भरने के लिए सत्यम परिवेश कॉलोनी के कॉलोनाइजर के साथ सांठ-गांठ कर नियमों को ताक पर रखकर करोड़ों रुपए की हेरा फेरी की है।
नियमों को ताक पर रखकर दी अनुमति
शिकायतकर्ता ने नगर निगम द्वारा धोखाधडी कर कालोनी के नाम पर अनुमोदित अभिन्यास में अधिकार से बाहर जाकर संशोधन कर शासन को करोड़ो के नुकसान पहुंचाने की जांच और कॉलोनी के अवैधानिक निर्माण कार्य में तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। नियम के मुताबिक 24 मीटर या उससे अधिक चौड़ी सड़क वाले स्थान को ही व्यवसायिक उपयोग के लिए अनुमति दी जा सकती है। लेकिन नियमों को ताक पर रखकर आवासीय परिसर को व्यवसायिक उपयोग की अनुमति दे दी गई। सूत्रों की मानें तो सत्यम परिवेश के कॉलोनाइजर को आवासीय क्षेत्र में व्यावसायिक उपयोग की अनुमति नगर निगम की सब इंजीनियर ज्योति साहू की आईडी से दी गई है।
15 दिनों में जांच की रिपोर्ट की जाएगी पेश
इस संबन्ध में संयुक्त कलेक्टर खेमलाल वर्मा ने बताया कि, इस मामले में यूके रामटेके की संलिप्तता हो सकती है। इसलिए उन्हें जांच टीम से निकाल दिया गया है। जांच रिपोर्ट 15 दिनों के भीतर मंगाई गई है। दोनों विभागों से दस्तावेज मंगाए गए हैं। उनका एनालिसिस करने के बाद जांच की दिशा तय की जाएगी।आवश्यकता पड़ने पर एक्सपर्टीज़ की भी सहायता ली जाएगी।