राहुल भूतड़ा-बालोद। बालोद जिले का धार्मिक स्थल सियादेवी आध्यात्म और पर्यटक स्थल के रूप में प्रसिद्ध है। नवरात्रि में यहां पर भक्तों का तांता लग जाता है। सियादेवी में पूर्व दक्षिण से आने वाले झोलबाहरा और दक्षिण पश्चिम से आने वाला तुमनाला का संगम देखते ही बनता है। 50 फीट की ऊंचाई से गिरने वाले जलप्रपात का चट्टानों से टकराकर कोहरे में परिवर्तित हो जाना इसके प्राकृतिक सौंदर्य को दर्शाता है। वहीं 27 फुट रास्ते वाला गुफा और घना जंगल लोगों के कौतुहल का विषय बन जाता है। 

त्रेता युग में भगवान शंकर कुंभज ऋषि के आश्रम से कथा सुनकर वापस अपने स्थान जा रहे थे। उसी समय श्री राम अपने छोटे भाई लक्ष्मण के साथ सीता के वियोग में भटकते हुए दण्डक वन पहुंचे। भगवान शंकर के साथ मां पार्वती भी मौजूद थीं। सीता के वियोग में जंगल- जंगल भटक रहे राम जी को नरलीला करते देख कर शंकर जी ने श्री राम को प्रणाम किया। 

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मां पार्वती ने की श्री राम की परीक्षा लेने की जिद्द

भगवान शंकर श्री राम को प्रणाम करना माता पार्वती को कुछ अटपटा सा लगा कि, भोलेनाथ साधारण राजकुमारों को कैसे प्रणाम कर रहे हैं जबकि वे स्वयं संसार के स्वामी हैं। पार्वती ने भगवान शंकर से अपनी शंका व्यक्त की। शिव जी ने उनकी शंका का समाधान करते हुए कहा कि, वे साधरण मनुष्य नहीं वरन परमात्मा हैं। इतने से पार्वती जी के शंका का समाधान नहीं हुआ और उन्होंने श्री राम की परीक्षा लेने की जिद्द की।  

श्री राम ने माता पार्वती को पहचाना

श्री राम की परीक्षा लेने के उद्देश्य से उन्होंने सीता जी का रूप धारण किया। लेकिन श्री राम ने उन्हें पहचान लिया। श्री राम ने उन्हें प्रणाम करते हुए कहा कि, आप वन में अकेली क्या कर रही हैं भगवान शंकर कहां है। माता पार्वती यह सुनकर स्तब्ध रह गईं तब श्री राम ने अपना विराट रूप दर्शाया। इस तरह जहां पर माता पार्वती ने मां सीता का रूप धारण किया उस स्थान का नाम सियादेवी पड़ा। 

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मां सियादेवी में हुए हैं कई चमत्कार 

सियादेवी के कई पौराणिक अवशेष आज भी यहां पर मौजूद हैं। सियादेवी मां की सवारी शेर भी पत्थरों के रूप में वहां मौजूद है जो 5000 साल पुराना बताया जाता है। सियादेवी मंदिर के पूर्व दिशा में 200 मी दूरी पर गढ़िया पाठ देवी का स्थान है। पास ही सतबहनी कैना लिंगो बाबा और दक्षिण में मां हिंगलाजीन (खप्परवाली) का पुरानी स्थान है। मां सियादेवी में अनेक चमत्कारिक घटनाएं हुए हैं। 1994 में आषाढ़ में गांव में रहने वाली बालिका मानकी बाई 50 फीट उंचे झरने से गिर गई 20 घण्टे बाद सकुषल मिली। इस तरह की और भी चमत्कारिक घटनाएं मां सियादेवी में घटित हुई हैं।