रायपुर। देश में लोकसभा चुनावों का आगाज हो चुका है। ऐसे में प्रथम चरण के मतदान के लिए देश और प्रदेश के सबसे नक्सल हिंसा प्रभावित क्षेत्र बस्तर में सांसद चुनने के लिए 19 अप्रैल को वोटिंग होनी है। जहां आज शाम से चुनाव प्रचार रुक जाएगा। वहीं दूरस्थ और संवेदनशील मतदान केंद्रों के लिए मतदान कर्मियों को हेलिकाप्टर से भेजने का काम प्रारंभ हो गया है।
वर्ष 2022 में नक्सलियों ने 13 डीआरजी जवानों को अपना निशाना बनाया था। तब से लेकर अभी तक कोई बड़ी वारदात नहीं हुई है। क्षेत्रीय जानकारों की मानें तो नक्सलियों की लीडरशीप धीरे-धीरे खत्म हो रहें हैं और नक्सली भी कमजोर पड़ते जा रहे हैं। उनके बैकफुट पर जाने की यही वजह है कि, पिछले कुछ महीने से नक्सलियों द्वारा छुटपुट घटनाओं को ही अंजाम दिया गया है। हालांकि अभी भी कई बार मुखबिरी की आशंका जताकर वे ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं। लेकिन अभी सुरक्षाबलों को कोई बड़ा नहीं पहुंचा पाएं हैं।
कल ही 29 नक्सली ढेर
मंगलवार को कांकेर जिले में कल एक बड़ी मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने बड़ी कार्यवाई करते हुए 29 नक्सलियों को मार गिराया है। यह पहली बार है जब इस इलाके में फोर्स को इतनी बड़ी कामयाबी मिली है। बातचीत के दौरान नक्सल एडीजी विवेकानंद ने हमारे संवादताता को बताया कि, हमनें अब तक 29 नक्सलियों के शव बरामद किये हैं। पूरे नक्सल इतिहास में ये अब तक सबसे बड़ा नुकसान नक्सलियों को पहुंचाया गया है। आज तक देश में कभी भी इतनी बड़ी संख्या में माओवादी नहीं मारे गए हैं।
अफसरों का मानना- हमला कर सकते हैं नक्सली
क्षेत्रीय हकीकत की यदि बात करें तो चुनाव आयोग के अफसरों के साथ पुलिस के अफसरों का भी यह मानना है कि, इस बार बस्तर संभाग में बस्तर और कांकेर लोकसभा सीट पर वोटिंग कराने की चुनौती बढ़ गई है। उनका अंदेशा है कि, मतदान के दिन नक्सली अपने होने का अहसास कराने के लिए चुनाव को बाधित करने का प्रयास कर सकते हैं। इस बात का भी अंदेशा है कि, वोटिंग के दिन फोर्स के साथ उनका मुठभेड़ हो सकता है। हालांकि कल की नक्सल मुठभेड़ के बाद नक्सलियों के बैकफुट पर जाने की खबर निकलकर सामने आ रही है। वहीं बस्तर में तैनात 60 हजार से अधिक केंद्रीय सुरक्षा बलों के जवानों का भी हौसला बढ़ा हुआ है।
चार महीने 50 नक्सली हुए ढेर
छत्तीसगढ़ में नई सरकार बनने के बाद पिछले चार महीनों में सुरक्षाबलों के साथ हुई कई मुठभेड़ों में अब तक करीब 50 नक्सली मारे गए हैं। लिहाजा नक्सली इस ताक में रह सकते हैं कि, सुरक्षाबलों और पोलिंग पार्टी को नुकसान पहुंचाया जाय। लेकिन डिप्टी सीएम और प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा और अफसरों ने भी फोर्स को अलर्ट मोड पर रहने और निर्देशों का पालन करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही चुनाव आयोग के छत्तीसगढ़ पुलिस और सेंट्रल पैरामिलिट्री फोर्स के जवान भी अलर्ट पर हैं।
62 हजार जवान अकेले बस्तर में तैनात
देश में यदि हम सुरक्षाबलों की तैनाती की बात करें तो कश्मीर के बाद बस्तर देश का दूसरा इलाका है। जहां केंद्रीय सुरक्षा बलों की तक़रीबन 45 बटालियन तैनात हैं। प्रदेश में CRPF, BSF और ITBP की 49 बटालियन तैनात हैं। जिनमें से कुछ गरियाबंद, सरगुजा और राजनांदगांव में तैनात हैं। एक सीनियर आईपीएस अधिकारी ने हमारे संवाददाता को बताया कि, 49 बटालियन में से सिर्फ 45 बटालियन बस्तर में तैनात हैं। एक बटालियन में एक हजार जवान होते हैं। 45 बटालियन मतलब 45 हजार जवान हुए। जिनमें 17 बटालियन छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल की हैं, जो की करीब 62 हजार हैं। इसके अलावा थानों में राज्य पुलिस के जवान भी तैनात हैं।
आकार में केरल राज्य से भी बड़ा है बस्तर
बस्तर में केंद्रीय और राज्य सशस्त्र बलों की तैनाती तो बड़ी संख्या में है। लेकिन बस्तर के भूगोल और वर्तमान परिस्थितियों के बारे में जिसे जानकारी है, उसे आश्चर्य नहीं होगा कि, बस्तर क्षेत्रफल के मामले में केरल राज्य से बड़ा है। यह इतना बड़ा है कि, बेल्जियम और इजराईल जैसे देश भी उससे पीछे हैं। यदि हम मणिपुर की बात करें तो वह से बस्तर छोटा ही नहीं बल्कि आबादी के मामले में भी कम है। बस्तर के सघन जंगल, सर्पिली सड़कें, उंचे पहाड़ नक्सलियों के लिए सुरक्षित ठिकाना बनाते हैं। इसके बावजूद नक्सलियों ने यहां की सड़कों में बारुदी सुरंगों का जाल बिछा दिया है।
रिटायर्ड आईजी बोले- नई और पुरानी सड़कों में बिछा बारुदी सुरंगों जल
बस्तर भ्रमण की कड़ी में यहां पोस्टेड रह चुके एक रिटायर आईजी ने हमें बताया कि, यहां की पुरानी सड़कों में बारुदी सुरंगे तो बिछी ही है। नई सड़कों पर भी नक्सलियों ने आईडी लगाकर कई बड़ी वारदातों को अंजाम दिया हैं। वे हमें आगे बताते हैं कि, बारुदी सुरंगे नक्सलियों के लिए बड़ा हथियार हैं। बस्तर के उस नक्सली इलाकों में जवान वाहन से नहीं जा सकते हैं। पैदल जाते समय नक्सली सुरक्षा बलों पर बारुदी सुरंगों का विस्फोट कर भगदड़ मचा देते हैं और उसके बाद करते हैं फिर अंधाधुंध फायरिंग। उन्होंने आगे कहा कि, आज तक बस्तर में 95 प्रतिशत नक्सली घटनाएं बारुदी सुरंगों के जरिये की गई है। नक्सलियों ने सड़कों पर विस्फोटक इतने गहरे लगाए हैं कि, फोर्स के सुरक्षा उपकरण भी उन्हें नहीं पकड़ पाते हैं।
156 बूथों पर हेलिकाप्टर से भेजी गई पोलिंग पार्टियां
वर्ष 2024 के लोकसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग ने बस्तर संभाग के 6 जिलों के 196 मतदान केंद्रों को बेहद क्रीटिकल बूथ के तौर पर चिंहित किया है। इन सभी केंद्रों में केंंद्रीय सुरक्षा बलों को तैनात किया जाएगा। इन बूथों पर निगरानी के लिए माईक्रो आब्जर्बर भी नियुक्त किए जाएंगे। वेबकास्टिंग के जरिये भी इन बूथों की मानिटरिंग की जाएंगी। बस्तर के 6 जिलों के 156 मतदान केंद्रों तक पहुंचने का रास्ता नक्सलियों के गढ से होकर जाता है। उन सड़कों पर माओवादियों ने अनगिनत बारुदी सुरंगे बिछा रखी है। नक्सली उन सड़कों पर कई बड़े वारदातों को अंजाम देकर 300 से अधिक सुरक्षा बलों के जवानों की जान ले चुके हैं। इसलिए चुनाव आयोग इन इलाकों में हेलिकाप्टर से मतदान दल भेजेगा। इसके लिए 10 एमआई हेलिकाप्टरों की मदद ली जाएंगी। अफसरों ने बताया कि, हेलिकाप्टरों की लैंडिंग के लिए 44 बेस बनाए गए हैं।
234 मतदान केंद्र किये गए शिफ्ट, दो एयर एम्बुलेंस तैनात
निर्वाचन आयोग ने सुरक्षा की दृष्टि से बस्तर संभाग के आठ में से पांच जिलों के 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया है। ये 234 मतदान केंद्र ऐसे हैं, जहां बिना रोड ओपनिंग के सुरक्षा बलों की टुकड़िया भी नहीं जा सकती। इनमें से कई स्थानों पर सुरक्षा बलों के कैंपों में तैनात जवानों के लिए हेलिकाप्टर से जरूरी सामान भेजे जाते हैं। या फिर रोड ओपनिंग के बाद गाड़ियों का काफिल रवाना होता है। बस्तर में आपात स्थिति में मतदान कर्मी या जवानों को बेहतर इलाज के लिए शिफ्थ करने दो एयर एंबुलेंस तैयार रहेंगे। इनमें एक हेलिकाप्टर और एक चार्टर प्लेन शामिल हैं। दोनों जगदलपुर पहुंच चुके हैं। और 21 अप्रैल तक यहीं रहेंगे। किसी हादसे में जख्मी मतदान कर्मी या जवानों को रायपुर से बाहर मेट्रो सिटी में शिफ्थ करना होगा, तो उसके लिए एयर एंबुलेंस के रूप में एयरफोर्स का चार्टर प्लेन 24 घंटे अलर्ट मोड में रहेगा।
पैदल चलना होगा
बस्तर में सुरक्षा की दृष्टि से 234 मतदान केंद्रों को सुरक्षित जगहों पर शिफ्थ किया गया है। इससे सुकमा जिले के कोंटा विधानसभा के मतदान केंद्र 196 के वोटरों को 18 किलोमीटर पैदल चलकर मुर्लिगुदा मतदान केंद्र के कक्ष क्रमांक-2 जाना होगा। ये इलाके बारुदी सुरंगों से इस कदर पटे हुए हैं न चुनाव आयोग और न ही राजनीतिक पार्टियों वहां के वोटरों के लिए कोई वाहन का इंतजाम कर सकते। चुकीं नक्सली हमेशा वोटिंग का विरोध करते हैं। वे नहीं चाहेंगे कि, कोई ग्रामीण उन बूथों पर आसानी से पहुंच जाएं।