पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। जैविक जिला दंतेवाड़ा ने जैविक उत्पादों के मामले में नाम तो खूब कमाया, लेकिन किसानों को उत्पादों का बाजिब दाम कभी नहीं मिल पाया। जिला प्रशासन इस दिशा में अब बड़ी पहल करने जा रहा है। चैन्नई और पुणे की लैब से टेस्ट होकर आए उत्पादों की प्रदर्शनी आडिटोरियम जावंगा में लगाने जा रहा है। यह आयोजन तीन दिनों तक 5 से 7 दिसंबर तक चलेगा।
इस कार्यक्रम में जैविक खेती में खासी रुचि रखने वाले पद्मश्री भरत त्यागी दंतेवाड़ा के किसानों से मिलने आ रहे हैं। यहां वे दंतेवाड़ा के उन आठ किसानों से मिलेंगे जिनके उत्पाद पुणे और चेन्नई लैब से टेस्ट होकर आए हैं। इस दौरान कृषि मंत्री, अतिरिक्त मुख्य सचिव और सातों जिलों के कलेक्टर भी इस आयोजन में शामिल होंगे। प्रशासन का मुख्य उद्देश्य दंतेवाड़ा की परंपरागत किस्मों को देश- दुनियां में पहचान दिलाना है। साथ ही जैविक उत्पादों को भारत के बाजारों में उचित मूल्य दिलाना है। जिले में जैविक खेती करने वाले 10 हजार 2 सौ 63 किसान हैं। मौजूदा वक्त में 65 हजार 2 सौ 79 हैक्टेयर रकबे में जैविक खेती हो रही है।
पहचान के लिए जूझ रहीं चूड़ी, सिंदूर, श्रृंगार और नैन कजरिया किस्में
दंतेवाड़ा जिले की धान की 18 किस्में जो अपनी पहचान के लिए हजारों सालों से जूझ रही हैं। आदिवासी अंचल में इन किस्मों को पीढी दर पीढ़ी संजोकर रखा गया है। लेकिन दंतेवाड़ा से बाहर अपनी पहचान नही बना सकी। इस आयोजन से धान की इन किस्मों की बड़ी प्रदर्शनी लगाई जा रही है। विशेष तौर पर इन किस्मों को दंतेवाड़ा आ रहे मेहमानों को दिखाया जाएगा। इसमें सफरी, गाढ़ृा खूटा, लोक्टी मांझी, चूड़ी, जोंधरा धान, हल्दीघाटी, दुबराज, बादशाह भोग, साठका, गुमड़ा, लाल धान, लाल हजारी, मल्हार, चूड़ी धान, सिंदूर और श्रृंगार धान, नैन कजरिया, कालामारी, कदमफूल, गंगामारू, जीराफूल, जबाफूल, देव भोग, बबई खूटा, ये वो किस्में है जिनका उत्पादन दंतेवाड़ा में लिया जा रहा है।
आईकॉन किसानों की दिखाई जाएगी डॉक्यूमेंट्री
इस आयोजन के लिए कृषि विभाग विशेष तैयारियों में जुटा हुआ है। जिले के चारों विकास खंडों से आठ किसानों का चयन किया गया है। इन किसानों की डॉक्यूमेंट्री बना ली गई है। यह डॉक्यूमेंट्री जिले भर से आए जैविक खेती करने वाले किसानों को दिखाई जाएगी। कुपेर निवासी कृषक चरण सिंह, भोगाम निवासी महिला कृषक मंगरिता, बिजाम के कृषक हरि सिंह, मासोडी निवासी गीता मोडिय़ाम, मैलावाड़ा निवासी कमल सिेंह, नकुलनार की महिला किसान रंजना, छोटे बेड़मा निवासी बलदीप ओयाम और गाटम निवासी फूलो को किसानों के सामने रॉम मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा।
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एनएबीएल की टेस्टिंग में खरे उतरे इन किसानों के उत्पाद
कृषि विभाग के अधिकारी कहते है कि जैविक उत्पादन तो जिले में हो रहा है, लेकिन इन उत्पादों को बेहतर दाम नही मिल पा रहा है। जिन आठ किसानों को सम्मानित किया जा रहा है, इनके उत्पादों को एनएलबी लैब में टेस्ट के लिए भेजा गया था। पुणे और चैन्नई दोनों लैब में यहां के उत्पाद खरे उतरे हैं। धान की इन किस्मों की खासियत ये है कि सुगंधित तो है ही साथ ही मेडिसिंनल वैल्यू भी है। इस आयोजन के माध्यम से इन उत्पादों को भारत के बड़े बाजारों तक ले जाने की मंशा है।
पहुंचेंगे जिलेभर के जैविक किसान : पंसारी
डीडीए दंतेवाड़ा सूरज पंसारी ने बताया कि, 5 से 7 दिसंबर तक गीदम के जावंगा ऑडोरियम में यह आयोजन रखा गया है। जिलेभर के जैविक खेती करने वाले किसान रहेंगे। उन आठ किसानों को रॉल मॉडल के रूप में प्रस्तुत किया जाएगा। इनको पद्मश्री भरत त्यागी से सम्मानित करवाया जाएगा। इस आयोजन में संभाग के सभी जिलों के कलेक्टर और कृषि मंत्री भी शामिल होगें।