यमराज बनकर दौड़ रहे लाल मिट्टी वाले हाईवा : सड़कों के साथ लोगों को भी रौंद रहे, युवक का वाहन कर डाला चकनाचूर

पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। आर्सेलर मित्तल निप्पॉन प्राईवेट लिमिटेड कंपनी का आयरन ओर का डस्ट (टेलिंग्स) लोगों के लिए आफत बन ही रहा है। अब तो ट्रांसपोर्टर भी कहर बरपा रहे हैं। लाल मिट्टी से लदे ट्रकों के खूनी पहिए राहगीरों को रौंद रहे हैं। कटेकल्याण ब्लॉक के भूसारास करियारपारा में बाईक सवार मंगू (25) को तेजरफ्तार हाईवा ने सोमवार को टक्कर मार दी। बाइक पर सवार युवक उछलकर दूर जा गिरा, लेकिन ट्रक के पहियों ने बाईक को चकनाचूर कर दिया। युवक बुरी तरह से घायल है। उसे गांव के लोगों ने जिला अस्पताल में भर्ती कराया है। उसकी हालत अभी भी बेहद नाजुक बनी हुई है। इधर गांव वालों में इस घटना को लेकर भारी रोष देखा जा रहा है।
ग्रामीणों का कहना है कि सैकड़ों की संख्या में खूनी वाहन रात-दिन सडक़ से गुजर रहे हैं। इन वाहनों पर परिवहन विभाग की बिल्कुल नजर नहीं हैं। क्षमता से अधिक वजन लेकर सडक़ से लगातार वाहन तेजरफ्तार से गुजरते है। यदि वाहनों पर जिला प्रशासन ने नकेल नही कसी तो ग्रामीण खुद सडक़ पर उतर कर वाहनों को आंदोलनरत होकर रोक देगें।

लाल मिट्टी के ट्रांसपोर्टरों की वजह से हो रहे हादसे
दक्षिण बस्तर के तीनों जिले के लिए लाल मिट्टी अभिशाप से कम नहीं है। जिन आदिवासी इलाकों में सडक़ कई दसकों बद मिली है, उन सडक़ों को ट्रांसपोर्टरों ने सिर्फ कुछ महिनों में ही जमींदोज कर दिया है। हालात ये है जहां से लालमिट़्टी से लदे ट्रक गुजर रहे है उस सडक़ पर डामर तक नहीं बचा है। इन सडक़ों को देखोगे तो इस बात का भी अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है, कभी सडक़ रही भी होगी।
सड़कों से गुजर रहे हैं ओवरलोड वाहन
बैलाडीला से ऑव्हर लोड भर कर हाईवा पालनार रोड, नकुलनार रोड अंदरूनी इलाकों में टिकनपाल सडक़, किरन्दुल से कड़मपाल सडक़ पर बेखौफ दौड़ रहे हैं। जब कि ये सडक़े नक्सलग्रस्त इलाकों में बमुश्किल मिली है। इन सडक़ों की क्षमता महज 12 टन की है। बावजूद इसके लालमिट्टी के ट्रांसपोर्टर सडक़ों के दुश्मन बने हुए हैं। परिवहन विभाग के तमाम नियमों को खुलेआम ढेंगा दिखा रहे हैं। दिन में तो दौड़ ही रहे हैं, लेकिन रात को ट्रांसपोर्टर वाहनों की संख्या चौगनी कर देते हैं।
उड़नदस्ता में स्टॉफ की कमी
जिला परिवहन अधिकारी गौरव पाटिले का बड़ा ही हास्यास्पद बयान इस मामले में आया है। उन्होने चर्चा के दौरान कहा कि, वे कुछ नहीं कर सकते हैं। उनके पास स्टॉफ की भारी कमी है। स्टॉफ तो छोड़ो इन वाहनों पर जिस बिंग को काम करना है, वह भी इस जिले में मौजूद नहीं है। अधिकारी कहते है बिना उड़नदस्ता के कार्रवाई कर पाना संभव नहीं है। जिले में अंदरूनी इलाकों की सडक़ों से भारी वाहन गुजरने की जानकारी भी नहीं है।
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