दंतेश्वरी सेतु को संवारने में जुटे युवा : साफ-सफाई के साथ रंग-रोगन भी, बगैर सरकारी मदद के हो रही सजावट

पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। 'अंधकार को क्यों धिक्कारें, अच्छा है एक दीप जलाएं'...संभवत: इसी भावना के साथ मां दंतेश्वरी की धार्मिक नगरी में स्थानीय उत्साही लोगों की एक टोली ने शक्तिपीठ के ठीक सामने वाले डंकनी सेतु को संवारने का काम हाथ में लिया है। यह टोली रोजाना सुबह 5 बजे से पुल पर पहुंचकर रेलिंग की साफ-सफाई और रंग-रोगन में जुट जाती है। इन दिनों पड़ रही कड़ाके की सर्दी भी इनके उत्साह को कम नहीं कर पा रही है।

इस टोली में महिला-पुरूषों के साथ ही बच्चे भी शामिल हैं, जो बिना किसी शोरगुल के अपने काम में जुटे रहते हैं। करीब 25 दिनों से यह काम अनवरत जारी है। पहले चरण में इस 120 मीटर लंबे पुल की एक तरफ की रेलिंग की सफाई के सफेद रंग से पोत लिया गया है। इसके बार रेलिंग के पिलरों को पीले रंग वाले बैकग्राउंड पर, स्तंभ की डिजाइन में चित्रित किया जा रहा है। आड़ी रेलिंग पर महाराष्ट्र की प्रसिद्ध वरली आर्ट की कलाकृति और अन्य लोक चित्रकला को अंकित कर रहे हैं।
स्लोगन्स के जरिए संदेश
पुल को दंतेश्वरी सेतु का नाम दिया गया है और रेलिंग पर बीच-बीच में स्लोगन के जरिए पुल को स्वच्छ रखने की अपील भी लिखी जा रही है, ताकि पान-गुटखा खाकर पुल की रेलिंग पर थूकने वालों को आगाह किया जा सके। साथ ही कचरा नहीं फैलाने का अनुरोध भी किया जा रहा है। इस काम में लगी टीम के सदस्यों ने बताया कि, भले ही यह पुल सरकारी हो, लेकिन लोग इस जगह पर खड़े होकर मां दंतेश्वरी मंदिर और भव्य कॉरीडोर की तरफ निहारते और तस्वीरें खिंचवाते हैं। इसीलिए यह जगह दंतेवाड़ा नगर की पहचान बन चुकी है। इस वजह से पुल को संवारने और साफ-सुथरा रखने का यह ख्याल मन में आया और काम शुरू किया गया है।

बगैर किसी सरकारी मदद के चल रहा काम
खास बात यह है कि, रंग-रोगन व चित्रकला का यह कार्य बगैर किसी सरकारी मदद के स्वयं के व्यय से किया जा रहा है। श्रमदान के जरिए सेवा में जुटी इस टोली के लगन व उत्साह को देखते हुए नगर के कुछ सेवाभावी लोग अपनी तरफ से पेंट, वार्निश उपलब्ध करवाने लगे हैं।
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