पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा जिले के आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में बहुत सी प्रतिभाएं छिपी हुई है। बस उन प्रतिभाओं को सही मंच और मार्गदर्शन देकर निखारने की जरूरत है। शिक्षा विभाग के द्वारा जिलेभर के आवासीय विद्यालयों में समर कैम्प चलाया जा रहा है। जहाँ बच्चों की छिपी हुई प्रतिभा को निखारने और संवारने का काम किया जा रहा है।
कुआकोंडा के गुरुकुल आवासीय विद्यायल पोटाकेबिन क्रमांक 02 में इन दिनों छात्र- छात्राओं को पारम्परिक मलखम्भ की विद्याओं का जमकर अभ्यास कराया जा रहा है। बच्चों की कलात्मक रुचि इस खेल के प्रति देखते ही बनती है। जिला शिक्षा अधिकारी एसके अबस्था और डीपीसी हरीश गौतम द्वारा सतत जिलेभर में समर कैम्प की मॉनिटरिंग कर व्यवस्था और बच्चों की सुविधाओं को देखा जा रहा है।

सुबह-शाम कर रहे अभ्यास
बता दें कि, समर कैंप में प्रतिदिन 60 छात्र- छात्राएं सुबह और शाम दो-दो घंटे मलखम्भ की विभिन्न कलाओं का जमकर अभ्यास कर रहे हैं। उन्हें प्रशिक्षण देने नारायणपुर जिले से आये दो अनुभवी प्रशिक्षक कमलू पोयाम और राजबती नुरेटी द्वारा बच्चों को खेल की बारीकियों के साथ-साथ आत्मविश्वास, संतुलन और शारीरिक लचीलापन भी सिखाया रहे हैं।
बच्चे लगन के साथ सीख रहे हैं मलखंभ
पोटा केबिन अधीक्षक प्रभाकर राठौर ने बताया कि, बच्चे इस प्रशिक्षण को पूरी लगन और अनुशासन के साथ खेल रहे हैं। रोज मलखम्भ के नए-नए आसन, संतुलन की तकनीकें और कलात्मक मुद्राओं का अभ्यास करके बच्चे इस पारंपरिक खेल में पारंगत हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि, मलखम्भ न केवल एक खेल है बल्कि यह शारीरिक विकास, एकाग्रता और मानसिक संतुलन का भी उत्कृष्ट साधन है।

30 अप्रैल को जिला स्तरीय प्रदर्शन का आयोजन
आने वाली 29-30 अप्रैल को जिला स्तर पर एक भव्य प्रदर्शन का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें पोटाकेबिन क्रमांक 02 के बच्चे अपनी सीखी हुई मलखम्भ विद्याओं का प्रदर्शन करेंगे। यह कार्यक्रम न केवल बच्चों के आत्मविश्वास को बढ़ावा देगा, बल्कि उनके भीतर छिपी प्रतिभा को भी मंच भी प्रदान करेगा। समर कैंप के माध्यम से न सिर्फ खेलों के प्रति रुचि बढ़ रही है, बल्कि बच्चों में अनुशासन, आत्मविश्वास और टीम भावना का भी विकास हो रहा है।