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बलौदाबाजार की बेटियों ने अपनी मां की मृत देह को अंतिम समय में मुखाग्नि देकर समाज को सुंदर सन्देश दिया है। अंतिम संस्कार की सभी रस्मों को बेटियों ने बेटों के सामान पूरा किया।

कुश अग्रवाल- बलौदाबाजार। छत्तीसगढ़ के बलौदाबाजार जिले की छह बेटियों ने बेटों का फर्ज निभाकर समाज को सुंदर संदेश दिया है। लंबे समय से बीमार चल रही मां के निधन के बाद बेटियों ने अपना कंधा दिया। साथ ही बड़ी बेटी ने बेटे का फर्ज अदा करते हुए मां की मृत देह को मुखाग्नि दी। इस प्रकार के सामाजिक संदेश बेहद कम देखने को मिलती है।  

सिसदेवरी गांव में छह बेटियों ने अपने माता-पिता के प्रति जिम्मेदारी पूरी कर समाज के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गई। यहां के सेवानिवृत्त कर्मचारी डोमार साहू और उनकी पत्नी तीजबती साहू अपने जीवन में हमेशा खुशहाल रहे। उनकी छह बेटियां अपने माता-पिता के सुख-दुख में बराबर की सहभागी बनी रहीं। वहीं मां तीजबती साहू के अंतिम सफ़र में भी उन्होंने अपनी मां के प्रति जिम्मेदारी पूरी की।

Family
मृतक तीजबती का परिवार

 

बड़ी बेटी ने दी मुखाग्नि 

परिवार पर दुःख तब आया जब तीजबती साहू अचानक लकवाग्रस्त हो गईं। इलाज के दौरान उनका निधन हो गया। इस कठिन समय में उनकी बेटियों ने वह कर्तव्य निभाया जिसे आमतौर पर बेटे निभाते हैं। माँ की देखभाल से लेकर अंतिम संस्कार तक सभी रस्मों को उन्होंने पूरी श्रद्धा से पूरा किया। श्मशानघाट तक शव को कंधा देने से लेकर मुखाग्नि देने तक की सारी जिम्मेदारियां निभाई। बड़ी बेटी ओमन ने मां को मुखाग्नि दी।

भावुक हुए ग्रामवासी 

इस दृश्य को देखकर गांव के लोग भावुक हो गए और बेटियों की इस निष्ठा की सराहना की। समाज में अभी भी कुछ लोग बेटों को ही परिवार का असली वारिस मानते हैं, लेकिन इस घटना ने उन संकीर्ण मानसिकताओं को झकझोर कर रख दिया। बेटियों ने यह साबित कर दिया कि यदि उन्हें समान अधिकार और अवसर मिले, तो वे हर कर्तव्य को निभाने में सक्षम हैं।

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