गिरीश केशरवानी-रायपुर। जंगल सफारी में 17 चौसिंगा की मौत के बाद अब थोक में काले हिरणों के मरने की बात सामने आ रही है। सात-आठ माह में यहां 16 काले हिरणों का कब्र बना और प्रबंधन ने इसे छिपाने आनन फानन में कानन पेंडारी से 40 काले हिरण मंगा लिए, यही वजह है कि मौतों पर परदा पड़ा हुआ है। आरटीआई से मिले दस्तावेजों के मुताबिक, ज्यादातर काले हिरणों की आपसी लड़ाई में मौत होना बताया गया है, लेकिन जंगल सफारी के डायरेक्टर ने काले हिरणों में टीबी के लक्षण मिलने की बात कही है। खबर के मुताबिक, सफारी में जनवरी की स्थिति में कुल 36 काले हिरण थे। 

काले हिरणों की मौत जनवरी से 28 जुलाई के बीच हुई है। इस लिहाज से जंगल सफारी में रह रहे काले हिरणों में से एक तिहाई की मौत आठ माह के भीतर हुई है। इसके बाद सफारी प्रबंधन ने बिलासपुर स्थित कानन पेंडारी जू से 40 काले हिरण लाने सीजेडए से अनुमति मांगी। सीजेडए ने 20 जुलाई को अनुमति दी। सीजेडए से अनुमति मिलने के बाद सफारी प्रबंधन ने आनन- फानन में एक सप्ताह के भीतर बिलासपुर जू से काले हिरण लाने टीम को रवाना किया। बिलासपुर जू से काले हिरण लाने के बाद भी जंगल सफारी में इनकी मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा। 16 अगस्त से 29 अगस्त के बीच चार काले हिरणों की मौत हो चुकी है। इनमें एक काले हिरण की मौत जू में तथा तीन की मौत ओपन सफारी में हुई है। सूत्रों के मुताबिक, सफारी में काले हिरणों की मौत की संख्या 16 से ज्यादा है।

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विस अध्यक्ष के निर्देश के बाद भी कार्रवाई नहीं

गौरतलब है कि, जंगल सफारी में थोक में चौसिंगा की मौत की घटना सामने आने के बाद मामला विधानसभा में भी उठा था, तब विधानसभा अध्यक्ष डॉ. रमन सिंह ने दोषी डॉक्टर के खिलाफ कार्रवाई करने के आदेश दिए थे। विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के बाद भी डॉक्टर के खिलाफ अब तक कार्रवाई नहीं की गई है। इसके बाद अब काले हिरणों की मौत की घटना सामने आई है।

काले हिरण शेड्यूल-1 प्रजाति के एनिमल

उल्लेखनीय है कि,  काला हिरण शेड्यूल-1 प्रजाति का वन्यजीव है। ऐसे में सफारी में काले हिरणों की सिलसिलेवार मौत की घटना सामने आने से सफारी प्रबंधन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठ रहे हैं। ओपन सफारी में आपसी लड़ाई में काले हिरणों की अगर मौत हुई है तो कारणों का पता लगाना जरूरी है।

इन तारीखों में हुई मौतें

1 जनवरी से 31 मार्च के बीच छह काले हिरणों की मौत
10 अप्रैल को काले हिरण की मौत
27 तथा 30 जून को दो काले हिरणों की मौत
3, 19 तथा 28 जुलाई को तीन काले हिरणों की मौत
15, 16, 26 तथा 28 अगस्त को चार काले हिरण की मौत

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टीबी के बावजूद क्यों लाए काले हिरण?

जंगल सफारी के डायरेक्टर का कहना है कि, काले हिरणों की मौत टीबी की वजह से हुई है। ऐसे में सवाल उठता है कि काले हिरणों के बीच जब टीबी रोग फैला है, ऐसे में कानन पेंडारी जू से क्यों काले हिरण लाए गए? इससे कानन पेंडारी जू से लाए गए काले हिरणों में संक्रमण फैलने का खतरा है।

हिरणों में मिले टीबी के लक्षण

जंगल सफारी के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने बताया कि ,काले हिरणों में टीबी के लक्षण पाए गए हैं, जिसका उपचार चल रहा है। टीबी का उपचार लंबा चलता है।