गणेश मिश्रा- बीजापुर। सत्ताबदल के साथ बस्तर में नक्सलियों के खिलाफ सरकार ने अपना कदम निर्णायक युद्ध की तरफ बढ़ाया है। बीजापुर का गंगालूर इलाका जिसे नक्सलियों की उप राजधानी भी कहा जाता है। दण्डकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी इस अभेद किले को पुलिस और अर्द्धसैन्य बलों ने भेदकर नक्सलियों को बड़ा झटका दिया है।
गंगालूर के कांवड़गांव, डुमरीपालनार, पालनार में हाल ही में सुरक्षा बलों ने कैम्प स्थापित किया है। फोर्स की दखल के बाद इलाके में सड़क निर्माण का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। नक्सलियों के गंगालूर एरिया कमेटी के अंतर्गत डुमरीपालनार में छत्तीसगढ़ आर्म्ड फोर्स, पालनार में सीआपीएफ के साथ डिस्टिक्ट रिजर्व गार्ड के जवानों को नक्सलियों के आधार इलाके में उतारा गया है। इसी तरह तेलंगाना और महाराष्ट सीमा क्षेत्र में नक्सलियों के दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी और तेलंगाना स्टेट कमेटी के लिंकिंग जोन में पामेड़ एरिया कमेटी के अंतर्गत चिंतावागु नदी के दूसरी ओर सीआरपीएफ का कैम्प स्थापित कर यहां नक्सल कॉरीडोर पर विराम लगाया गया है।
90 के दशक में नक्सलियों ने जमाई थी पैठ
नक्सलियों ने 1986 के आसपास दलम और संघम की स्थापना कर गंगालूर क्षेत्र में पैठ बनानी शुरू की थी। 90 के दशक में पश्चिम बस्तर डिवीजन की स्थापना के बाद गंगालूर एरिया कमेटी की स्थापना की गई।
नक्सलियों का लड़ाकू दस्ता बटालियन दो का था दबदबा
2003 तक नक्सलियों ने इस क्षेत्र को पूरी तरह से अपने कब्जे में ले लिया था। सरकारी स्कूलों को तोड़ दिया गया। सलवा जुडूम के बाद यहां युद्ध स्तर पर नक्सलियों की भर्ती की गई। यहां नक्सलियों के निचले से लेकर शीर्ष संगठन के सक्रिय होने से सुरक्षाबलों के लिए ऑपरेशन करना बहुत कठिन था। इस क्षेत्र में नक्सलियों का लड़ाकू दस्ता बटालियन दो सक्रिय है।
नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ रही फोर्स
2018 के बाद बेचापाल, हुर्रेपाल, बुर्जी , पुसनार सहित आधा दर्जन से ज्यादा सुरक्षाबलों के कैंप स्थापित किया गया। इसके बाद फोर्स ने अपना प्रभुत्व स्थापित करना शुरू किया । बंद पड़े स्कूल को खुलवा कर आदिवासियों की नई पीढ़ी को नक्सलवाद की जगह राष्टवाद का पाठ पढ़ाया जा रहा है। अब इन कैंपों की स्थापना से सुरक्षाबलों ने नक्सलवाद के खात्मे की ओर एक और कदम बढ़ाया है।