रायपुर। छत्तीसगढ़ में होली के दूसरे दिन ड्यूटी पर तैनात राजधानी रायपुर के पुलिसकर्मियों ने होली का त्योहार मनाया। जहां पुलिस लाइन में पुलिस कर्मचारियों और उनके परिवारों के साथ रंग खेलने और बधाई देने गृहमंत्री विजय शर्मा पहुंचे। जहां उन्होंने पुलिसकर्मियों के साथ नगाड़ा बजाया और होली खेली।
उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने आज दोपहर 12 बजे रायपुर के पुलिस कालोनी पहुंचे। यहां उपमुख्यमंत्री ने पुलिस जवानों के साथ होली खेली और पुलिस जवानों और उनके परिवार को शुभकामनाएं भी दीं। इस दौरान उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने नगाड़ा भी बजाया और फाग गीत गाए। रंगों के त्योहार होली को लेकर दो दिन लगातार ड्यूटी पर तैनात रहे रायपुर के पुलिसकर्मी आज रंग और गुलाल में सराबोर दिखे। होली में लगातार 48 घंटे की ड्यूटी के बाद मंगलवार को पुलिसकर्मियों ने अपने परिवार के साथ होली का त्योहार सेलिब्रेट किया। घर से दूर ड्यूटी में तैनात पुलिस कर्मियों का हौसला बढ़ाने के पुलिस लाइन में रायपुर जिला पुलिस ने जश्न की व्यवस्था की थी।
एसएसपी समेत कई अफसर भी होली के रंग में रंगे
मंगलवार की सुबह रायपुर एसएसपी संतोष कुमार सिंह भी होली मनाने के लिए जिले के अन्य पुलिस अफसरों के साथ पुलिस लाइन पहुंचे। इस दौरान एडिशनल एसपी, सिटी एसपी समेत कई थानों के टीआई भी मौजूद थे। इस मौके पर एसएसपी ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि होली के दौरान सभी पुलिसकर्मियों ने सजगता से ड्यूटी की है। फिर उन्होंने सभी पुलिस कर्मियों का मुंह मीठा करवाया।
गृह मंत्री शर्मा ने पुलिस कर्मियों के साथ बजाया नगाड़ा
सूबे के गृह मंत्री और उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने जमकर नगाड़ा बजाया और पुलिस कर्मियों को होली की बधाई दी। कुछ पुलिस स्टाफ इस दौरान गृह मंत्री के साथ सेल्फी लेते भी नजर आए। गृहमंत्री के आने के बाद पुलिस परिवार के लोगों में उत्साह भी देखने को मिला। सुबह से लेकर शाम तक यहीं सोचते रहता हूं कि गृह विभाग पुलिस विभाग का यह महकमा बड़े काम का है। जो सारे समाज को सुरक्षा प्रदान करता है। ऐसे में पुलिस कर्मियों का मनोबल मजबूत होना चाहिए। इसलिए होली मिलन समारोह के इस कार्यक्रम में आया हूं।
विकास में बाधक हैं नक्सली
डिप्टी सीएम और गृह मंत्री ने कहा कि नक्सली विकास में बाधक हैं। वह बस्तर में लगातार विकास के काम का विरोध कर रहे हैं। नक्सली बस्तर के गांव में बिजली और सड़क की सुविधा पहुंचने नहीं देना चाहते हैं और वह स्कूल के भी विरोधी हैं। आखिर नक्सली बस्तर के किसी भी गांव में बिजली क्यों नहीं पहुंचने देना चाहतें हैं और सड़क क्यों नहीं बनने देते हैं। स्कूल भी नहीं बनने देना चाहते और ये बस्तर के लोगों को नक्सली विकास से वंचित क्यों रखना चाहते हैं। अगर नक्सलियों के मन में कोई बात है तो हम चर्चा के लिए तैयार हैं। नक्सलियों को गणना करनी है तो जन अदालत के माध्यम से अब तक उन्होंने क्या-क्या किया इसकी गणना की जाए।