नारायणपुर। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के नक्सल प्रभावित क्षेत्र माड़ में सभी के घर घास-फूस के बने हैं। उनके घरों की दीवारें बांस से बनी है और लकड़ी के अस्थिर लट्ठों से टिकी हुई हैं। यहां कभी ना हैंडपंप थे, ना बिजली के खंभे थे, ना स्कूल थे और ना ही था अस्पताल। यहां तक कि, यहां ग्राम पंचायत के भवन तक नहीं है और शायद ही यहां के लोगों ने कभी मोटरसाइकिल की आवाज सुनी हो।
बीते कुछ दिनों से सुरक्षा बल इन क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य कर रहे हैं। जिसके माध्यम से वह स्थानीय निवासियों के दिलों में सुरक्षा की भावना जगाने में सफल हुए हैं तथा क्षेत्र में विकास कार्यो को सुरक्षा प्रदान कर अपनी प्रतिबद्धता को साबित कर रहे है। इस कड़ी में नारायणपुर के डोंडरीबेड़ा में सुरक्षा बलों ने नया कैंप स्थापित किया। जिसके बाद से प्रशासन द्वारा माड़क्षेत्र के सर्वांगीण विकास के उद्देश्य से सुरक्षा बलो की निगरानी में मासपुर से सोनपुर तक पक्की सड़क का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ है।
कई गांवों में हो रहा सड़क का निर्माण
इस सड़क का निर्माण होने से मेटानार, गारपा, ब्रहबेड़ा, ईरपनार, अलहनार और डोंडरीबेड़ा सहित दर्जनों गांवों के लोग जो पहले जंगल झाड़ियों में बनी पगडंडियों तथा कच्चे रास्तों पर पैदल चलने को मजबूर थे। जहां पर उन्हें नदी - नाले तथा पहाड़ियों जैसी कठिनायों का सामना करना पड़ता था। वे अब साइकिल, मोटर साइकिल और अन्य वाहनों का इस्तेमाल कर कम समय में अपना रास्ता तय कर सकेंगे और शहरों से जुड़ पाएंगे। यातायात सुगम होने से स्थानीय लोग नए व्यवसायों से जुड़कर अपनी आजीविका के साधनों को बढ़ा पाएंगे।
स्थानीय लोगों में ख़ुशी
कैंप के स्थापित होने के बाद से ही आदिवासी समुदाय के लोग काफी खुश तथा साहसिक नजर आ रहे है। वहीं पुलिस प्रशासन के पास खुलकर इस विकास की तारीफ कर रहे है। आज भी जिन क्षेत्रों में सुरक्षा कैम्प नहीं है वहां के लोगों को माओवादियों के दबाव में शासन द्वारा चलाई जा रही विकासात्मक योजनाओं का विरोध करना पड़ रहा है। लेकिन अंतर्मन से वे लोग भी सुरक्षा के साथ विकास का स्वागत करने को तैयार है। वे चाहते हैं कि, उनके क्षेत्र में भी सुरक्षा कैंप स्थापित हो ताकि उनके जीवन में भी सकारात्मक बदलाव आ सके।