रायपुर। छत्तीसगढ़ के पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा का कार्यकाल 4 अगस्त समाप्त हो रहा है। इधर राज्य सरकार ने नए डीजीपी के नामों का पैनल यूपीएससी को अब तक नहीं भेजा है। ऐसे में माना जा रहा है कि 1989 बैच के आईपीएस श्री जुनेजा अभी अपने पद पर बने रहेंगे। सूत्रों के अनुसार सरकार डीजी बदलने को लेकर बहुत जल्दबाजी में नहीं है। वजह यह भी है कि अशोक जुनेजा पूर्व में नक्सल आपरेशन के स्पेशल डीजी रहे हैं और इस वक्त नक्सल मोर्चे पर सफलताएं मिल रही हैं। छत्तीसगढ़ में डीजीपी और डीजी का एक कॉडर और 2 एक्स कॉडर पद है। राज्य में अशोक जुनेजा के अतिरिक्त डीजी पद का कोई दूसरा अफसर नहीं था।
एडीजी से डीजी पद पर पदोन्नति के लिए डीपीसी में अरुण देव गौतम और हिमांशु गुप्ता के नाम को हरी झंडी मिली। डीजी बनने की दौड़ में शामिल पवन देव का नाम विभागीय जांच की वजह से लिफाफा बंद कर दिया गया था, लेकिन पद खाली रखा गया था। इस बीच राज्य सरकार ने पवन देव का लिफाफा खोल दिया और उन्हें भी डीजी प्रमोट कर दिया गया है। पवन देव इस वक्त राज्य में मौजूद आईपीएस अफसरों में सबसे वरिष्ठ हैं। अरुण देव और पवन देव दोनों ही 1992 बैच के हैं, लेकिन वरिष्ठता क्रम में पवन देव ऊपर हैं। ऐसे में जब भी डीजीपी के लिए जो पैनल भेजा जाएगा उसमें सबसे ऊपर पवन देव का नाम होगा, इसके बाद अरुण देव और फिर हिमांशु गुप्ता का।
नक्सल मोर्चे पर सफलता और निर्विवाद कार्यकाल
महानिदेशक जुनेजा 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। उनका कार्यकाल निर्विवाद रहा है। वे खामोशी से काम करने वाले अफसर माने जाते हैं। अब तक के कार्यकाल में उन पर कोई आक्षेप नहीं लगा है। माना जा रहा है कि उनकी उसी शैली की वजह से सरकार बदलाव को लेकर जल्दबाजी में नहीं है। इस बीच छत्तीसगढ़ मे साय सरकार बनने के बाद नक्सल मोर्चे पर सरकार को एक के बाद एक लगातार सफलताएं मिल रही हैं। नक्सली बैकफुट पर हैं और उनका कैडर टूट रहा है। लगातार नक्सली सरेंडर कर रहे हैं या मारे जा रहे हैं। वह भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है कि सरकार हाल फिलहाल अशोक जुनेजा को बदलने के मूड में नहीं है।