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छत्तीसगढ़ में सरकार बदलते ही डीजीपी बदले जाने की चर्चाएं शुरू हो गई थीं। कई नाम चर्चा में थे। इसी कउ़ी में अब एक और नाम जुड़ गया है। 

रायपुर। छत्तीसगढ़ कैडर के सबसे वरिष्ठ आईपीएस अफसर स्वागत दास केंद्र से रिलीव होकर रायपुर लौट आए हैं। 1987 बैच के आईपीएस दास के रायपुर पहुंचने के साथ ही उनका नाम डीजीपी पद के लिए चलने लगा है। 

उल्लेखनीय है कि, मौजूदा डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल 5 सितंबर 2024 तक है, मगर इस तरह की चर्चा चल रही है कि, सरकार डीजीपी को बदल सकती है। हालांकि, पिछले महीनेभर में कई नाम चर्चा में आए। वर्तमान डीजीपी अशोक जुनेजा 89 बैच के आईपीएस हैं। वे जब डीजीपी बनाए गए तब उनसे सीनियर छत्तीसगढ़ में 88 बैच के एकमात्र आईपीएस संजय पिल्ले थे। वहीं 87 बैच के स्वागत दास मिनिस्ट्री आफ होम में स्पेशल सेक्रेट्री रहे। इसी साल नवंबर में रिटायर होने जा रहे श्री दास पहले आईबी में थे। मगर एमएचए में अब उनकी कोई खास पोस्टिंग नहीं है। 

छत्तीसगढ़ में कभी नहीं रहे स्वागत दास

उनके बारे में सबसे खास बात यह है कि, स्वागत दास कभी छत्तीसगढ़ में काम नहीं किए हैं। एमपी के समय ही वे डेपुटेशन पर दिल्ली चले गए थे। अब जब नए डीजीपी की नियुक्ति के बारे में चर्चा चल रही है तो एक नाम स्वागत दास का भी शामिल हो गया है। जाहिर है, इस समय सीनियरिटी में वे सबसे उपर हैं। वे अगर डीजीपी बन गए तो उन्हें फायदा यह होगा कि, आज की तारीख से उनका कार्यकाल दो साल का हो जाएगा। यानी रुटीन में वे नवंबर में रिटायर होंगे मगर डीजीपी बनने के बाद वे जनवरी 2026 में रिटायर होंगे। क्योंकि प्रकाश सिंह केस में सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइन है कि डीजी की नियुक्ति की डेट से दो साल का कार्यकाल रहेगा। अशोक जुनेजा इसी गाइडलाइन के तहत डीजीपी हैं। उनका पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश पिछले साल 5 सितंबर को निकला था। हालांकि, प्रभारी डीजीपी वे उस डेट से 11 महीने पहले बन गए थे। ऐसे में, स्वागत दास अगर डीजीपी बने तो उन्हें एक साल का कार्यकाल बतौर बोनस मिल जाएगा।

फिलहाल चर्चा में हैं कई नाम 

रही बात छत्तीसगढ़ के दावेदारों की तो अशोक जुनेजा के बाद 90 बैच में राजेश मिश्रा हैं। राजेश के साथ दिक्कत यह है कि, उनका इसी महीने रिटायरमेंट है। हालांकि, नाम उनका भी चल रहा था। राजेश के बाद 92 बैच में पवनदेव और अरुणदेव गौतम हैं। फिर 94 बैच में हिमांशु गुप्ता और एसआरपी कल्लुरी। सरकार से जुड़े सूत्रों का कहना है कि स्वागत दास के अलावा भी कई विकल्प हैं। इनमें सेंट्रल फोर्सज में पोस्टेड दूसरे कैडर के अफसरों पर भी विचार चल रहा है। पड़ोसी राज्य मध्यप्रदेश में भी सीनियर लेवल पर कई आईपीएस हैं।

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