इलाज के नाम पर डॉक्टर ने मांगी रिश्वत : मरीज से 10 हजार की डिमांड, देखिए VIDEO

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मेडिकल कॉलेज अस्पताल राजनांदगांव
मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव से डॉक्टर के रिश्वत मांगने का मामला सामने आया है। डॉक्टर ने दांतों के इलाज के लिए साढ़े 10 हजार रुपयों की मांग की थी, जिसका मरीज ने वीडियो बना लिया। 

अक्षय साहू- राजनांदगांव। ‘धरती के भगवान’ कहे जाने वाले डॉक्टर इंसानियत और अपना फर्ज दोनों ही भूलते नजर आ रहे हैं। चिकित्सा को शर्मसार करने का ताजा मामला राजनांदगांव के पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के डेंटल विभाग का है। वहां पर कार्य कर्यरत संविदाकर्मी डॉ. विनीता पर इलाज के नाम पर रिश्वत लेने का आरोप है। राजनांदगांव निवासी मरीज मनोज सोनी का आरोप है कि, उनसे इलाज के एवज में डॉक्टर ने रिश्वत की मांग की थी, जिसका उन्होंने वीडियो बना लिया।

मामला पेंड्री स्थित मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल का है। जहां मरीज मनोज सोनी दांत में तकलीफ होने पर इलाज के लिए मेडिकल कॉलेज पहुंचा। वहां उन्हें एक्सरे करवाने के लिए कहा गया। मनोज सोनी का आरोप है कि, एक्सरे की रिपोर्ट दिखाने पर डॉ. विनीता ने उन्हें कहा कि, इसका इलाज मेडिकल कॉलेज में नहीं होता है। मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए कोई सामान भी नहीं है। मैं अपने घर से सामान लाकर आपका इलाज कर दूंगी, इसके लिए साढ़े दस हजार रुपये लगेंगे। एक साइड के दांत के लिए 8 हजार लगेगा और दूसरे साइड के दांत के लिए ढाई हजार रुपये लगेगा। पहले एक तरफ का ट्रीटमेंट करेंगे, जिसमें ढाई हजार रुपए खर्च आएगा। शनिवार या रविवार के दिन इसका ट्रीटमेंट कर दूंगी।

जांच के बाद होगी कार्रवाई – अस्पताल प्रबंधन

इस मामले में मेडिकल कॉलेज सह अस्पताल के असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट और पीआरओ डॉ. पवन जेठानी ने बताया कि, इसकी सूचना हमें मिली है कि, डॉ. विनीता ने ट्रीटमेंट के नाम पर पैसों की डिमांड की है। एमएस के संज्ञान में लाकर जांच की जाएगी और आगे की कार्रवाई की जाएगी। उनके वीडियो को भी कमिटी के सामने रखा जाएगा।

आए दिन डॉक्टर्स के खिलाफ मिल रही शिकायतें

यह पहली बार नहीं है, जब राजनांदगांव मेडिकल कॉलेज में अनियमितता का मामला उजागर हुआ हो। मेडिकल कॉलेज में आए दिन मरीजों से इलाज के नाम पर वसूली करना, प्राइवेट अस्पतालों में रेफर करना, सरकारी डॉक्टर्स के द्वारा निजी पैथोलोजी लैब में टेस्ट के लिए लिखना जैसी शिकायतें मिलती रहती हैं। सरकार करोड़ों रुपये खर्च कर रही है जिससे आर्थिक रूप से कमजोर मरीजों को निःशुल्क इलाज मिल पाए। लेकिन डॉक्टर्स और हर जिम्मेदार अधिकारी शासन की योजनाओं को पलीता लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे हैं।

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