सोमा शर्मा- राजिम। छत्तीसगढ़ का प्रयागराज कहलाने वाले राजिम के त्रिवेणी संगम में बीचो बीच स्थित कुलेश्वर महादेव मंदिर में दर्शन-पूजन के लिए सुबह से ही श्रद्धालुओं की लंबी कतारें लगी हुई हैं। पुन्नी मेला से कुंभ 'कल्प' बने राजिम मेले के कारण देश विदेश के श्रद्धालुओं की भीड़ बढ़ गई है। 24 फरवरी से प्रारंभ हुए राजिम कल्प कुंभ का आज शाम समापन होगा। राज्यपाल हरिचंदन, राम आयेंगे गाने की फेम स्वाति मेहुल आज विशेष रूप से शामिल रहेंगे।
सीता माता ने स्वयं बनाया था बालू शिवलिंग
राजिम को प्रयागराज यहां पैरी, सोंढुर और महानदी के त्रिवेणी संगम होने के कारण कहा जाता है। हिंदुओं के चार धाम में से एक और 12 ज्योर्तिलिंग के शामिल रामेश्वरम में जिस तरह श्री राम द्वारा लंका विजय की प्रार्थना के लिए समुद्र तट पर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की गई थी । ठीक उसके पहले वनवास काल के दौरान माता सीता द्वारा राजिम के इस प्रयागराज त्रिवेणी संगम पर बालू से शिवलिंग बनाकर पूजा अर्चना की गई थी। मान्यता है यही शिवलिंग बढ़ते गया जिसे बांधकर नदी के बीचों बीच मंदिर निर्माण किया गया। कुलेश्वर महादेव के नाम से यह मंदिर विश्व प्रसिद्ध है। शिवरात्रि के अवसर पर राजीव लोचन भगवान रात में आज स्वयं कुलेश्वर महादेव से मिलने आते हैं। इस दौरान विशेष पूजा अर्चना की जाती है।
मामा-भांचा हैं राजीव लोचन और कुलेश्वर महादेव
मान्यता है कि राजीव लोचन भगवान और कुलेश्वर महादेव का संबंध मामा भांचा का है। पौराणिक कथाओं और राजिम के बुजुर्गों के अनुसार बारिश के दौरान त्रिवेणी संगम अपने उफान पर होती है तो कुलेश्वर महादेव (भांचा) राजीव लोचन भगवान (मामा) से मदद मांगते हैं। जिसके बाद नदी का पानी मंदिर अंदर से कम हो जाता है। कहा जाता है की जिस दिन नदी के बीच में मौजूद यह मंदिर डूब जायेगा उस दिन पूरा राजिम नवापारा भी डूब जायेगा। यहां हरी और हर दोनों साक्षात विराजमान हैं।
रामोत्सव के रूप में मन रहा कुंभ 'कल्प'
भगवान राम का ननिहाल है छत्तीसगढ़, वनवास काल के दौरान सबसे अधिक समय श्री राम का यही बीता है। उसके बाद लव कुश का जन्म भी छत्तीसगढ़ तुरतुरिया में हुआ है। यही कारण है कि अयोध्या में राम प्रतिष्ठा समारोह के बाद अपने भांचा राम के उत्सव को कल्प कुंभ को रामोतस्व के रूप मनाया जा रहा है।
कुंभ के कारण श्रद्धालुओं की बढ़ी भीड़
सुबह से लंबी कतारों में लगे श्रद्धालुओं ने बताया कि दूसरे शहरों से वो आए हैं। लगभग 1 से 2 घंटे से वो लाइन में लगे हैं। राजिम कल्प कुंभ होने के कारण वो पहली बार यहां दर्शन के लिए पहुंचे हैं।