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पांचवीं-आठवीं की बोर्ड परीक्षा में अनुपस्थित छात्रों की संख्या ने शिक्षा विभाग को परेशानी में डाल दिया है। बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा नहीं दे रहे हैं। 

टेकचंद कारडा - बिलासपुर /तखतपुर। 15 साल बाद हो रही पांचवीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा में अनुपस्थित छात्रों की संख्या ने शिक्षा विभाग को परेशानी में डाल दिया है। बड़ी संख्या में छात्र परीक्षा नहीं दे रहे हैं। अधिकारी सकते में हैं और जांच के लिए घर-घर पहुंच रहे हैं। पता चल रहा है कि छात्र गरीबी, मजदूरी की मजबूरी में पढ़ाई से दूर हो गए हैं। टीम हरिभूमि भी जांच के लिए पहुंची। चौकाने वाले खुलासे हुए। पता चला कि बच्चे 4-5 महीना पहले ही परिवार सहित दिल्ली, जम्मू, महाराष्ट्र, गुजरात और दूसरे राज्यों पलायन कर गए हैं। लेकिन इन बच्चों की बकायदा रोजाना उपस्थिति दर्ज हो रही है और उनके नाम से मध्यान्ह भोजन भी बन रहा है। इन स्कूलों में बिलासपुर का मोपका, चिंगराजपारा के साथ ही तखतपुर का प्राथमिक शाला टिहुलाडीह शामिल हैं। 

हरिभूमि की टीम सबसे पहले तखतपुर ब्लाक के प्राथमिक शाला टिहुलाडीह पहुंची तो पाया कि 5वीं की परीक्षा में 22 विद्यार्थियों में 12 विद्यार्थी ही उपस्थित हो रहे हैं। शेष 10 विद्यार्थी पिछले 4 महीने से अपने परिजन के साथ महाराष्ट्र, गुजरात में पलायन कर गए हैं। मजे की बात यह है कि इन सभी की उपस्थिति पंजीयन रजिस्टर में दर्ज भी हो रही। इनके नाम से मध्यान्ह भोजन भी कागजों में बन रहा है। इस तरह पूरी राशि का गोलमाल किया जा रहा है।

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 स्कूल के शिक्षक गुलाम रसूल खान के साथ हरिभूमि की टीम अजय जांगड़े के घर पहुंची तब पता चला कि उनके तीन बच्चे दुर्गा, दुर्गेश्वरी और मुस्कान चार माह पूर्व से ही कमाने खाने के लिए परिजन के साथ चले गए हैं। उनके भाई राधे जांगड़े ने बताया कि गांव में कुछ भी काम नहीं है। जीवन यापन के लिए कुछ तो करना होगा। इसके साथ ही दिलहरण माथुर अपने पिता दीपक माथुर के साथ जीवन यापन के लिए महाराष्ट्र में काम करने के लिए गया हुआ है। राकेश माथुर भी अपने पुत्र आदित्य माथुर के साथ गुजराज गया हुआ है। यह जानकारी उसके बड़े भाई शंकर माथुर ने दी।

घर से निकला और आलू बेचने लगा छात्र

चिंगराजपारा प्राथमिक का पांचवीं का छात्र उसी मोहल्ले में रहता है। 21 मार्च को होने वाली पांचवी की अंग्रेजी की परीक्षा देने के लिए यह छात्र घर से निकला था। साढ़े 9 बजे तक स्कूल नहीं पहुंचा तो परिजन ने उसके पिता को फोन किया। मालूम पड़ा कि छात्र तो सुबह 8 बजे ही घर से निकल गया। दोस्तों और परिजन से बात की गई लेकिन किसी ने कुछ नहीं बताया। पिता से जानकारी मिली कि मजदूरी करने के साथ ही कई बार सब्जी मंडी चला जाता है। शनिचरी बाजार पहुंचने पर मालूम पड़ा कि छात्र आलू बेच रहा है। यही छात्र 17 मार्च को हुए गणित के पेपर में भी अनुपस्थित था। इसी तरह मोपका, लिंगियाडीह, मंगला और कोनी स्कूल में भी अलग-अलग कारणों से छात्र परीक्षा देने नहीं पहुंच रहे हैं।

दादा-दादी की सेवा के लिए नहीं दी परीक्षा 

इसी तरह प्राथमिक शाला टिहुलाडीह कक्षा पांचवीं में पढ़ने वाली छात्रा रौशनी माथुर परीक्षा के पहले दिन ही स्कूल नहीं पहुंची तब शिक्षक गुलाम रसूल खान उसके घर गए। छात्रा ने बताया कि उसके माता और उसके भाई कमाने के लिए महाराष्ट्र गए हैं और वह अपने दादी और दादा की मदद करने के लिए घर में है। दादी की आंख की रोशनी नहीं है उसकी मदद के लिए वह घर में रहती है, इसलिए वह परीक्षा दिलाने नहीं जा सकती है।

पलायन बड़ा कारण दूसरी बार मौका देंगे 

5 वीं और आठवीं की बोर्ड परीक्षा में छात्रों की अनुपस्थिति चिंता का विषय है। शिक्षकों ने ऐसे स्टूडेंट के घर जाकर भी जानकारी ली है। इसमें पलायन सबसे बड़ा कारण सामने आ रहा है। इसके साथ ही कुछ छात्रों ने दूसरे स्कूलों में एडमिशन ले लिया है और पहले स्कूल से नाम नहीं कटवाया है। जो बच्चे इस परीक्षा में उपस्थित नहीं हो रहे हैं उन्हें फिर से दूसरी बार मौका दिया जाएगा। इनके लिए रेमेडियल क्लासेस भी लगाई जाएंगी

मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ी की जांच की  जाएगी 

विकासखंड शिक्षा अधिकारी कामेश्वर बैरागी ने बताया कि, प्राथमिक शाला टिहुलाडीह में गांव में नहीं रह रहे स्टूडेंट की उपस्थिति डालना और मध्यान्ह भोजन में गड़बड़ी करने की जांच कर कार्रवाई की जाएगी। 


 

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