अम्बिकापुर। सूरजपुर जिलांतर्गत 174 अशासकीय स्कूलों में अभी तक शासन की निःशुल्क पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं। जिला मुख्यालय सहित आसपास के अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत विद्यार्थियों को जुलाई में ही पुस्तके उपलब्ध करा दी गई जबकि दूरस्थ क्षेत्र के स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों तक अभी निःशुल्क पुस्तकें नहीं पहुंच सकी हैं। इधर, कई अशासकीय स्कूलों में जहां अब तक पुस्तकें नहीं पहुंची हैं वहां तिमाही परीक्षाएं चल रही हैं। पाठ्य पुस्तक निगम के संभागीय गोदाम से सूरजपुर जिले के लिए निःशुल्क पुस्तकों की पहली खेप 18 जून को पहुंची थी। पुस्तकों को वितरित करने के बाद विभाग ने मांग पत्र भेजा तो पुस्तकों की दूसरी खेप 28 अगस्त को पहुंची। 

अधिकारियों का कहना है कि,  शासकीय स्कूलों में निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराने के बाद अशासकीय स्कूलों को पुस्तकें दी गई। स्टॉक उपलब्ध नहीं होने के कारण दूरस्थ क्षेत्र के अशासकीय स्कूलों तक पुस्तकें नहीं पहुंच पाईं। पुस्तकों की दूसरी खेप पहुंचने पर पुस्तकों का वितरण चल ही रहा था कि प्रभारी लिपिक द्वारा रद्दी के भाव में निःशुल्क पुस्तकें बेचने की बात सामने आ गई। ऐसे में विभाग ने पुस्तकों का वितरण बंद करा दिया। गोदाम में उपलब्ध पुस्तकों की गणना की गणना की जा रही है ताकि प्रभारी लिपिक एंव भृत्यों द्वारा की गई हेराफेरी की सही जानकारी मिल सके। इस हेराफेरी की जांच के लिए कलेक्टर ने अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच का गठन किया कलेक्टर ने अपर कलेक्टर की अध्यक्षता में पांच सदस्यीय जांच का गठन किया है। 

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12 से अधिक विद्यार्थी बिना पुस्तक के चार महीनों से कर रहे हैं पढ़ाई 

इसे सिस्टम की अव्यवस्था कहें या अधिकारियों की लापरवाही कि अशासकीय स्कूलों में बिना पुस्तक बच्चे चार महीने से पढ़ाई कर रहे हैं तथा कई स्कूलों में
तिमाही परीक्षा भी दे रहे हैं। ऐसे में निःशुल्क पुस्तकों की उपयोगिता भी सवालों के घेरे में है। इस बड़ी अव्यवस्था के कारण अशासकीय स्कूलों के संचालक विभाग पर सौतेला व्यवहार करने एवं हर साल अगस्त महीने या उसके बाद निःशुल्क पुस्तकें उपलब्ध कराने का आरोप लगा रहे हैं। सूरजपुर जिले में 324 छोटे-बड़े अशासकीय स्कूल संचालित हैं। अधिकांश बड़े अशासकीय स्कूलों ने अलग-निजी प्रकाशकों की पुस्तकों को पाठ्यक्रम में शामिल किया है जबकि अन्य स्कूलों में शासन द्वारा संचालित पाठ्यक्रम का पालन किया जा रहा है। निःशुल्क पुस्तकों से पाठ्यक्रम संचालित करने वाले प्रतापपुर, प्रेमनगर, रामानुजनगर, ओड़गी, भैयाथान, विकासखण्ड में संचालित अशासकीय स्कूलों में अब तक पुस्तकें नहीं पहुंच पाई हैं। इन स्कूलों में अध्ययनरत लगभग 12 से अधिक विद्यार्थी बिना पुस्तक के चार महीनों से पढ़ाई कर रहे हैं।

इन स्कूलों में पुस्तकों का इंतजार 

 विकासखंड ओड़गी अंतर्गत रामजग साव बाल विद्या मंदिर, निर्मला पब्लिक स्कूल, विवेकानंद विद्या मंदिर, जय गुरुदेव विद्यापीठ, ब्राइट फ्यूचर एकेडमी, राजमोहिनी देवी बाल विद्या मंदिर, गोडवाना पब्लिक स्कूल, दुर्गावती पब्लिक स्कूल, ग्राम स्थली विद्यामंदिर, रस्ती विद्या मंदिर, विकासखण्ड रामानुजनगर अंतर्गत ज्ञानोदय पब्लिक स्कूल, नेहरू बाल विद्या मंदिर, मयूर द स्कूल, कर्तव्य स्कूल, विकासखण्ड प्रतापपुर अंतर्गत भारती विद्या मंदिर, लक्ष्मी विद्या मंदिर, शांति निकेतन, भारती विद्या मंदिर सहित अन्य अशासकीय स्कूलों के बच्चे निःशुल्क पुस्तकों का इंतजार कर रहे हैं।

हजारों किताबें डिपो में खा रहीं धूल

बिलासपुर। स्कूली सत्र प्रारंभ हुए तीन माह से अधिक समय गुजर चुके हैं। बच्चों को अब तक सरकारी किताबें वितरित नहीं की गई हैं। डिपो प्रभारी की लापरवाही से हजारों की संख्या में पुस्तकें डिपो में धूल खा रही हैं। किताब न होने से ज्यादातर स्कूल के शिक्षक भी बच्चों को अध्यापन नहीं करा रहे हैं। सर्व शिक्षा अभियान योजना के तहत राज्य के सभी शासकीय और निजी स्कूलों में शाला प्रवेशोत्सव के दौरान छात्रों को किताब का वितरण किया जाना है। स्कूल खुले तीन माह से अधिक गुजर जाने के बाद भी बच्चों को आधी-अधूरी किताबें मिली हैं। जिससे उनकी पढ़ाई पर असर पड़ रहा है। मालूम हो कि बिलासपुर जिले के स्कूलों में पुस्तक भेजने के लिए चिंगराजपारा स्थित स्वामी आत्मानंद स्कूल परिसर में सब डिपो बनाया गया है, इसका प्रभारी एक शिक्षक को बनाया गया है, जिनके द्वारा अभी तक जिले के 800 निजी व सरकारी स्कूलों को पुस्तकें वितरित की गई हैं। यहां अभी भी हजारों की संख्या में अलग-अलग विषयों की पुस्तकें धूल खा रही हैं। इन पुस्तकों को वितरण जुलाई माह के अंत तक किया जाना था। लापरवाही के चलते बच्चे सरकारी किताबों से वंचित है।

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डिपो से किताब हो चुकी हैं वितरित 

शिक्षा विभाग द्वारा बिलासपुर जिले के अलावा गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही, सक्ती, जांजगीर-चांपा, कोरबा सहित मुंगेली जिले में पुस्तक वितरण करने बिलासपुर के ग्राम गतौरी में डिपो बनाया गया है। जहां वितरण करने के लिए किताबें डंप की जाती हैं। उक्त डिपो से सारे जिलों में किताबें तय समय पर भेजा जा चुका है, जिसमें कक्षा पहली से 10 वीं तक के हिन्दी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान भाग-1 व 2 संस्कृत आदि विषयों के किताबें शामिल हैं।

जांच के कारण रूका है वितरण

सूरजपुर डीईओ ललित पटेल ने बताया कि, विलंब से निःशुल्क पुस्तके उपलब्ध होने के कारण वितरण में विलम्ब हुआ है। लिपिक द्वारा रद्दी में पुस्तकें बेचने के मामले की जांच चलने के कारण चार-पांच दिनों के लिए वितरण पर रोक लगाई गई है। जांच पूरी होते ही वितरण प्रारम्भ कर दिया जाएगा।

शासन का सौतेला व्यवहार

अशासकीय विद्यालय संघ के जिलाध्यक्ष वीरेन्द्र सिंह चंदेल ने बताया कि,शासन निःशुल्क पुस्तके उपलब्ध कराने के मामले में अशासकीय स्कूलों के साथ सौतेला व्यवहार करता है। हर साल अशासकीय स्कूलों को 15 अगस्त के बाद ही पुस्तके मिलती हैं। यह अशासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ है।