रायपुर। शासकीय मेडिकल कॉलेज रायपुर का मामला पूरी तरह ठंडा नहीं हुआ है कि अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में भी रैगिंग की शिकायत सामने आ गई है। सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सीनियरों द्वारा जूनियर छात्रों से काम कराने और दुर्व्यवहार करने की शिकायत हेल्पलाइन के माध्यम से की गई है। मामले की जानकारी होने पर वहां की एंटी रैगिंग कमेटी ने अपनी जांच शुरू कर दी है। 

वर्ष 2024-25 का शिक्षण सत्र शुरू हुए कुछ महीने ही हुआ है कि सीनियरों द्वारा नवप्रवेशी छात्रों के साथ आपत्तिजनक व्यवहार (रैगिंग) करने की शिकायत सामने आने लगी है। पिछले माह शासकीय जेएन मेडिकल कालेज में प्रथम वर्ष के छात्रों के साथ सीनियरों ने दुर्व्यवहार किया था। कालेज की एंटी रैगिंग कमेटी ने सख्ती दिखाते हुए पांच छात्रों को निलंबित कर दिया है। इस मामले की च चर्चा पूरी तरह ठंडी नहीं हुई है कि एम्स में रैगिंग की शिकायत सामने आ गई है। सूत्रों के अनुसार कतिपय छात्रों द्वारा रैगिंग रोकने बनाई गई
हेल्प लाइन नंबर में आपत्ति दर्ज कराई गई है कि पिछले दिनों शैक्षणिक संस्थान में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान सीनियरों ने उनसे काम कराया था। इसके साथ मेस हास्टल में उनके साथ अक्सर दुर्व्यवहार किया जाता है। इस शिकायत की जानकारी होने के बाद एम्स के शैक्षणिक संस्थान में गठित एंटी रैगिंग कमेटी इस बात का पता लगाने का प्रयास कर रही है कि वास्तविक घटना क्या हुई है और इसमें कितने छात्र शामिल थे। 

क्षेत्रीयवाद के भी चर्चे 

एम्स में एडमिशन ऑल इंडिया कोटे के माध्यम से होता है। यहां छत्तीसगढ़ के अलावा अन्य राज्यों से भी पढ़ने के लिए काफी संख्या में छात्र आते हैं। सूत्रों का कहना है कि रैगिंग की शिकायत भले ही सामने नहीं आती, मगर शैक्षणिक संस्थान में क्षेत्रीयवाद हावी रहता है।
अलग-अलग राज्यों से आने वाले अपने रहन-सहन और बोलचाल को लेकर अलग-अलग गुट बनाकर रहते हैं और पढ़ाई करते हैं। जीरो 
टालरेंस का दावा, शिकायत एनिमस 

जीरो टालरेंस का दावा, शिकायत एनिमस 

इस बारे में एम्स के जनसंपर्क अधिकारी डॉ. मृत्युजंय राठौर का दावा है कि एम्स रैगिंग का मामला जीरो टालरेंस पर होता है। यहां एंटी रैगिंग कमेटी छात्रों की हर गतिविधियों पर निगाह रखे हुए है। उन्होंने कहा कि शिकायत एनिमस यानी नापसंदगी अथवा शत्रुतापूर्ण रूप से किया गया प्रतीत होता है। उन्होंने कहा शिकायत मिलने के बाद मामले की जांच की जा रही है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि इस तरह की घटना हुई है अथवा नहीं?

अलग कैंपस, कार्यक्रम में अनुमति नहीं

यह भी बताया जा रहा है कि नवप्रवेश लेने वाले छात्रों का हास्टल कैंपस अन्य से अलग है। उधर सीनियरों की आवाजाही कम ही होती है। जिस कार्यक्रम में रैगिंग जैसी स्थिति बनने की बात सामने आ रही है, वहां जूनियर छात्रों के प्रवेश की अनुमति नहीं थी। ऐसे में जूनियर चिकित्सा छात्रों का वहां पहुंचना भी कई सवाल खड़े करता है।