अनिल सामंत- जगदलपुर। हर वर्ष नए शिक्षण सत्र के पूर्व स्कूल शिक्षा विभाग करोड़ों रुपए भवन मरम्मत के नाम पर फंड जारी करता है। स्कूलों की मरम्मत भी होती है, लेकिन फिर अगले सत्र में उसी स्कूल के मरम्मत के नाम से लाखों रुपए खर्च किए जाते हैं, जिसकी स्थिति जस के तस रहती है। कुल मिलाकर स्कूल मरम्मत के नाम पर सरकार से जारी किए जा रहे करोड़ों रुपए कितनी ईमानदारी से खर्च किए जा रहे हैं , इसका भौतिक सत्यापन कराया जाए तो गड़बड़ी का खुलासा होगा। अभी नया सत्र 16 जून से शुरू हो रहा है, लेकिन ज्यादातर जर्जर स्कूलों का काम पूरा नहीं हो सका है। जाहिर है, टूटी छत के नीचे बच्चों का स्वागत होगा। बहरहाल आज भी बस्तर जिले में 257 स्कूल जर्जर अवस्था में हैं। सप्ताहभर बाद 18 जून को शिक्षा मंदिरों में टिन-टिन की घन्टी बजने लगेगी। जर्जर भवन में बच्चे कैसे अपना भविष्य गढ़ेंगे, यह प्रश्न अभी भी बना है।
छत्तीसगढ़ में भूपेश सरकार के कार्यकाल में सम्पूर्ण प्रदेश में स्कूलों की मरम्मत के लिए स्कूल जतन योजना के अंतर्गत करोड़ों रुपए जारी किए गए थे। अब इन राशि में से मरम्मत के कार्य कितने ईमानदारी से हुए यह पड़ताल के बाद स्पष्ट होगा। 18 जून को नया शिक्षण सत्र आरम्भ होना है, इसकी तैयारी में समूचे संभाग के जिला शिक्षाधिकारी जुट गए हैं। हरिभूमि ने बस्तर संभाग के जिलेवार स्कूलों के जर्जर भवन का पड़ताल करने पर चौकाने वाले खुलासे हुए हैं। जानकर आश्चर्य होगा कि अभी भी समूचे बस्तर संभाग में सैंकड़ों स्कूल भवन जर्जर अवस्था में है। कहीं दीवार के प्लास्टर उखड़ गए है तो कहीं खिड़की गायब है। कहीं-कहीं पर भवन का छज्जा टूटकर गिर गया है। ऐसे जीर्ण-शीर्ण भवन में बच्चे अपना भविष्य कैसे गढ़ेंगे यह सवाल अभी भी बना है। संभाग के अधिकांश जिला शिक्षाधिकारी ने दावा किया है कि 10 जून तक हर हाल में जर्जर स्कूल भवनों का मरम्मत कर लिया जाएगा।
जिला खनिज फंड से स्कूलों की मरम्मत
बीजापुर जिला में लगभग 300 स्कूलों की स्थिति दयनीय है। हालांकि अधिकांश जर्जर स्कूलों की मरम्मत जिला खनिज योजना की राशि से हो चुकी है, लेकिन 40-50 स्कूल ऐसे हैं, जहां काम आधा अधूरा पड़ा हुआ है। बीजापुर के जिला शिक्षाधिकारी रमेश कुमार निषाद के मुताबिक जिले में स्कूल सुधार और मरम्मत दो अलग योजना की राशि से होता है। जिला खनिज निधि और शाला विकास समिति के माध्यम से मरम्मत का काम करवाया गया है।
300 जर्जर स्कूल, 30 स्कूलों की मरम्मत
दंतेवाड़ा जिला के जिला शिक्षाधिकारी एसके अम्बस ने बताया कि जिले में लगभग 329 स्कूल जर्जर स्थिति में थे। इनमें अधिकांश का मरम्मत कार्य पूर्ण किया जा चुका है। वर्तमान में 75 स्कूलों का मरम्मत कार्य चल रहा है। इन स्कूलों के मरम्मत और सुधार कार्य के लिए मुख्यमंत्री जतन योजना से 13 से 14 करोड़ रुपए स्वीकृत किए गए थे। जिसमें 90 फीसदी राशि आबंटित हुई थ्सी। शाला प्रबंधन समिति के माध्यम से 56 शालाएं जो अत्यंत जर्जर थी, डिस्मेंटल कर अतिरिक्त कक्ष का निर्माण किया गया है।
संवेदनशील स्कूलों का कार्य जारी
सुकमा जिले के जिला शिक्षा अधिकारी जीआर मंडावी ने बताया कि दर्जनों जर्जर स्कूलों का मरम्मत कार्य पूर्ण किया जा चुका है। अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित 20 से 30 स्कूलों का काम जारी है। नए शिक्षा सत्र के पूर्व ऐसे स्कूलों के सुधार कार्य पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं।
112 भवन चिन्हित, 354 स्कूलों की मरम्मत
कोंडागांव के डीईओ आदित्य चांडक के मुताबिक वैसे तो 112 भवन मरम्मत योग्य हैं, जबकि 354 स्कूल भवनों का मरम्मत कार्य स्कूल जतन योजना में पहले ही किए जा चुके हैं। उन्होंने कहा 354 स्कूलों में अभी भी 70-72 स्कूलों की मरम्मत नहीं हुई है। जाहिर है, यहां नए सत्र में बच्चों को मुश्किल होगी।
कांकेर में 671 स्कूलों की जतन योजना में मरम्मत
कांकेर के डीईओ अशोक पटेल ने बताया कि जिले में 671 स्कूल भवनों में भूपेश सरकार में स्कूल जतन योजना से स्वीकृत राशि से मरम्मत किए गए। कुछ भवन के मरम्मत कार्य पूर्ण हुए हैं, तो कुछ भवन आज भी अधूरे हैं। उनके मुताबिक 50-60 स्कूलों के मरम्मत कार्य 10 जून तक हर हाल में किया जाएगा।
अबूझमाड़ के स्कूलों में लग रहे शेड
नारायणपुर जिले के अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित इलाके में ऐसे स्कूल हैं, जहां रोड-टू-रोड की सुविधा नहीं है। जिला शिक्षा अधिकारी राजेश मिश्रा के मुताबिक जिले में अधिकांश जर्जर शालाओं का मरम्मत कार्य पूरा किया जा चुका है। इलाके के पहुंचविहीन अतिसंवेदनशील नक्सल प्रभावित अबूझमाड़ ओरछा ब्लाक के लगभग 25 जर्जर स्कूलों में शेड लगाने का कार्य प्रगति में है।
बस्तर जिले में 257 कोंडागांव में 112 भवन जर्जर
बस्तर संभाग के सातों जिलों में जर्जर स्कूल भवन के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। बस्तर जिले की डीईओ भारती प्रधान के मुताबिक जिले में 257 स्कूल भवनों की मरम्मत की जा रही है। आधे से अधिक भवनों की मरम्मत की जा चुकी है, शेष में कार्य चल रहा है।