रायपुर। हरिभूमि ने छत्तीसगढ़ दवा निगम की 660 करोड़ रुपए के उपकरण और रीएजेंट की खरीदी पर सवाल खड़े किए थे। सिलसिलेवार खबरों के माध्यम से बताया गया था कि प्रदेश में बिना मांग के उपकरण और रीएजेंट खरीदे गए। उनकी सप्लाई उन प्राथमिक केंद्रों में की गई जहां रखने तक की जगह नहीं थी। शुक्रवार को छत्तीसगढ़ विधानसभा में यह ध्यानाकर्षण के माध्यम से यह विषय वरिष्ठ विधायक धरमलाल कौशिक ने उठाया।
स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच का ऐलान किया। उन्होंने कहा कि मोक्षित कार्पोरेशन से की गई 660 करोड़ की रिजेंट खरीदी की ईओडब्ल्यू जांच करेगी। शीतकालीन सत्र के दौरान ध्यानाकर्षण सूचना के माध्यम से भाजपा विधायक धरमलाल कौशिक ने सदन में रीएजेंट खरीदी की मुद्दा उठाया। स्वास्थ्य मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जवाब देते हुए कहा, पिछली सरकार में सुनियोजित रूप से भ्रष्टाचार हुआ। बिना जरूरी, बिना डिमांड के रिजेंट सप्लाई की गई। स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि 28 करोड़ की रीएजेंट खराब हो हो चुके हैं। वहीं करीब 300 करोड़ रुपए के रीएजेंट के खराब होने की आशंका जताई गई है।
क्या होता है रीएजेंट...
रीएजेंट का उपयोग विभिन्न तरह की बीमारियों का पता लगाने के लिए किया जाता है। यह एक तरह का विशेष केमिकल होता है जिसे ब्लड के सैंपलों में मिलाकर जांच की जाती है। रक्त से संबंधित तमाम तरह की जांच में रीएजेंट का उपयोग होता है। कोविडकाल में संक्रमण की पहचान के लिए भी व्यापक स्तर पर ऐसे ही रीएजेंट का उपयोग टूआरनॉट मशीन में किया गया था।
इसे भी पढ़ें...तीजन बाई के घर पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री : पद्मश्री पंडवानी गायिका से मिलकर पूछा हाल-चाल, भेंट किया 5 लाख का चेक
950 केंद्रों में हुई थी सप्लाई
सीजीएमएससी के अफसरों की सहमति के बाद मोक्षित कंपनी द्वारा 950 स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसा रीएजेंट भेजा जिसकी वह जरूरत ही नहीं थी। प्राथमिक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों में हार्ट, किडनी, लिवर से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए इस रीएजेंट की सप्लाई की थी। कई स्वास्थ्य केंद्रों में तो इसे समझने के लिए टेक्निशियन और मशीन तक नहीं थे। राज्य में इस गड़बड़ी को अंजाम देने के लिए 30 जिला अस्पताल, 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 750 प्रायमरी हेल्थ सेंटर को निशाना बनाया गया था।
950 केंद्रों में हुई थी सप्लाई
सीजीएमएससी के अफसरों की सहमति के बाद मोक्षित कंपनी द्वारा 950 स्वास्थ्य केंद्रों में ऐसा रीएजेंट भेजा जिसकी वह जरूरत ही नहीं थी। प्राथमिक स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों में हार्ट, किडनी, लिवर से संबंधित बीमारियों की जांच के लिए इस रीएजेंट की सप्लाई की थी। कई स्वास्थ्य केंद्रों में तो इसे समझने के लिए टेक्निशियन और मशीन तक नहीं थे। राज्य में इस गड़बड़ी को अंजाम देने के लिए 30 जिला अस्पताल, 170 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र और 750 प्रायमरी हेल्थ सेंटर को निशाना बनाया गया था।
दवा खरीदी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी
धरमलाल कौशिक ने आरोप लगाया कि, दवा खरीदी में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है, इसकी जांच की जानी चाहिये। जवाब में मंत्री श्याम बिहारी जायसवाल ने जांच की घोषणा की। मंत्री ने कहा कि ईओडब्ल्यू से रिजेंट खरीदी की जांच करायी जायेगी। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि जांच में सब कुछ स्पष्ट हो जायेगा।
मंत्री ने माना-स्वास्थ्य विभाग में बड़ा घोटाला
श्री कौशिक ने सदन में कहा कि, सीजीएमएससील की तरफ से 660 करोड़ की दवा खरीदी की गयी थी। इसमें बड़े पैमाने पर गड़बड़ी हुई है। वैसी दवाई और सामानों की खरीदी की गयी, जिसकी ना तो जरूरत थी और ना ही डिमांड की गयी थी। श्री कौशिक के सवाल पर स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि मोक्षित कारपर्पोरेशन फार्मास्यूटिकल कंपनी है। 2021-22 में पिछली सरकार के समय उसे पंजीकृत किया गया। पिछली सरकार में स्वास्थ्य विभाग में बड़े घोटाले हुए हैं।
15 दिन में दिया गया आर्डर
स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, 660 करोड़ रुपए के रिएजेंट खरीदी के आदेश 15 दिन में दे दिए गए। रीएजेंट को दस डिग्री तापमान में रखा जाता है। लेकिन उन स्थानों पर भेजा गया जहां पर रखने के लिए रेफ्रीजरेटर की व्यवस्था नहीं थी। विभाग ने आनन फानन में 629 रेफीजरेटर खरीद का इसे बचाने के के लिए पूरी व्यवस्था की गई। इसे ऐसे जगहों पर भेजा गया जहां पर लाइन कट हो जाती तो रीएजेंट खराब हो जाते। 653 जगहो पर यूपीएस खरीदे और टक्नीशियन के माध्यम से बचाने का प्रयास किया गया। फिर भी 28 करोड़ के रिजेंट खराब हो गए।