बिलासपुर। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने कोरबा में शाम 6 बजे वाट्सएप पर बेदखली का नोटिस भेजने और अगले ही दिन सुबह कार्रवाई करने के मामले में बरपाली के तहसीलदार को तलब किया है। तहसीलदार की इस मनमानी कार्रवाई पर शनिवार सुबह छुट्टी के दिन विशेष कोर्ट लगाई गई। हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को अंतरिम राहत दी है। साथ ही अतिक्रमण की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने बरपाली तहसीलदार को सोमवार को हाईकोर्ट में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने कहा है।
मामला कोरबा जिले के बरपाली तहसील के कनकी गांव का है। बरपाली तहसीलदार ने 20 सितंबर की शाम 6 बजे नूतन राजवाड़े को वॉट्सऐप पर बेदखली का नोटिस जारी किया। 21 सितंबर की सुबह कार्रवाई शुरू कर दी गई। नोटिस में अनावेदक को खुद से कब्जा हटाने कुछ घंटों का ही समय दिया गया। याचिकाकर्ता नूतन राजवाड़े ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से हाईकोर्ट में शनिवार की सुबह याचिका पेश कर तुरंत सुनवाई का अनुरोध किया। छुट्टी के दिन हाईकोर्ट में जस्टिस पार्थ प्रतीम साहू की विशेष कोर्ट बैठी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ताओं ने कोर्ट को बताया कि अधिकारी मौके पर पहुंच गए हैं। याचिकाकर्ता की जमीन से बाड़ हटाना शुरू कर दिया है, जो रिट याचिका का विषय है।
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स्वामित्व के बदले मिली है सरकारी जमीन
याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ता के कब्जे वाली जमीन बेशक सरकारी है, लेकिन याचिकाकर्ता को उसके स्वामित्व की जमीन के बदले में इसे दिया गया था। तहसीलदार ने याचिकाकर्ता के खिलाफ 5 अगस्त 2024 को एक आदेश पारित किया है,जिसके खिलाफ याचिकाकर्ता ने अनुविभागीय अधिकारी (राजस्व) के समक्ष अपील दायर की है। याचिका में कहा गया कि, इससे पहले भी याचिकाकर्ता को बिल्कुल समय नहीं दिया गया था। सरकारी वकील ने दलील दी कि उन्हें कुछ मिनट पहले ही रिट याचिका की अग्रिम प्रति दी गई है। यह भी कहा कि , मोबाइल फोन पर प्राप्त निर्देश के अनुसार, याचिकाकर्ता का अतिक्रमण हटा दिया गया है। इस पर हाईकोर्ट ने आदेश में कहा कि तथ्यों और परिस्थितियों को देखने पर यह मनमानी लग रहा है। हाईकोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई तक याचिकाकर्ता की भूमि पर कब्जे के संबंध में यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया है।