बिलासपुर। हाथियों की बिजली करंट से हो रही मौतों को लेकर दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान मुख्य न्यायाधीश रमेश सिन्हा और न्यायमूर्ति रवींद्र कुमार अग्रवाल की युगल पीठ को बताया गया कि पिछले तीन सालों में 21 हाथियों की मौत बिजली करंट से हुई है। जिस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या सब ऐसे ही खत्म हो जाएगा? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा वाइल्डलाइफ को नहीं बचाएंगे तो गए काम से। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया कि जून 2024 में सूरजपुर के पास जंगल में एक खेत में लगे 11 केवी के पोल से एक हाथी टकरा गया और पोल झुक गया, जिससे दूसरा हाथी झुके वायर के करंट के संपर्क में आने से वहीं मर गया। फोटो देख कोर्ट ने कहा पोल को सरसरी तौर पर लगाया गया और ऐसे पोल एक झटके में निकल जाएंगे।
याचिकाकर्ता की तरफ से कोर्ट को बताया कि 26 जून 2024 को ऊर्जा विभाग, विद्युत वितरण कंपनी और वन विभाग के अधिकारियों के उच्च स्तरीय बैठक में निर्णय लिया गया कि 11 केवी लाइन, 33 केवी लाइन और एलटी लाइन के झुके हुए तारों को कसने का काम, तार की ऊंचाई बढ़ाने का काम तथा वन क्षेत्र, हाथी रहवास, हाथी विचरण क्षेत्र में भूमिगत बिजली की लाइन बिछाने अथवा इंसुलेट केबल लगाने का कार्य तथा स्पाई युक्त खम्बों का प्रयोग करने का कार्य ऊर्जा विभाग और छत्तीसगढ़ पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी करेगी।
गाइडलाइंस का पालन किया जाए
26 जून 2024 की बैठक में केंद्र के बनाए गए निर्देशों का पालन सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है। जिसके अनुसार विद्युत कंपनी को सभी झुकी हुई लाइनों को ठीक करना है, बिजली लाइन के वायर को वन क्षेत्र में जमीन से कम से कम 20 फीट ऊंचाई पर करना है और 11 केवी और एलटी लाइन के कंडक्टर को बदलकर कवर्ड कंडक्टर लगाना है। भारत सरकार के फारेस्ट कंजर्वेशन डिवीजन की अनुशंसा के अनुसार तो बिजली लाइन की ऊंचाई हाथियों की अधिकतम ऊंचाई जो भी ज्यादा के हो उसके अनुसार होगी, गौरतलब है कि पिछले पांव पर खड़े होने पर और सूंड ऊपर करने पर हाथी 20 फीट तक पहुंच सकता है। कोर्ट ने कहा जान, चाहे मानव की हो या जानवर की, जान कीमत होती है। कोर्ट ने आदेशित किया कि केंद्र द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन शब्दः तथा तथा मूल भावना के अनुरूप किया जाए। प्रकरण की अगली सुनवाई 3 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।