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जंगल से रेस्क्यू कर लाए गए असहाय और कमजोर वन्यजीवों के लिए जंगल सफारी कब्रगाह साबित हो रहा है। सफारी में नगालैंड स्थित धीमापुर जू से लाए गए दो हिमालयन भालू में से एक ने दम तोड़ दिया। 

रायपुर। जंगल से रेस्क्यू कर लाए गए असहाय और कमजोर वन्यजीवों के लिए जंगल सफारी कब्रगाह साबित हो रहा है। पिछले वर्ष अगस्त-सितंबर माह में 35 काले हिरणों तथा दो माउस डियर की मौत की घटना के बाद अब सफारी में नगालैंड स्थित धीमापुर जू से लाए गए दो हिमालयन भालू में से एक ने दम तोड़ दिया। साथ ही पिछले 15 दिनों में जंगल सफारी में सात साही की अज्ञात कारणों से मौत की बात की भी सूचना आ रही है। साही की मौत किन परिस्थितियों में हुई है, अफसर पूरे मामले की जांच के बाद कुछ बता पाने की बात कह रहे हैं। 

वन्यजीवों के एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत सफारी प्रबंधन ने नगालैंड धीमापुर जू में पांच चीतल तथा दो काले हिरण देने के बदले दो हिमालयन भालू लाने का फैसला लिया था। चीतल तथा काले हिरण को जंगल सफारी की जू की गाड़ी से नगालैंड रवाना किया गया। जिस गाड़ी को जंगल सफारी प्रबंधन ने वन्यजीव पहुंचाने के लिए भेजा था, उसी गाड़ी में हिमालयन भालू को लेकर रायपुर लौट रहे थे। इस दौरान एकर हिमालयन भालू ने रास्ते में दम तोड़ दिया।

सात साही की मौत भी 

हिमालयन भालू की मौत के एक पखवाड़े पूर्व से एक-एक कर सात साही की मौत की घटना सामने आई है। साही की मौत किन कारणों से हुई है सीसीएफ वाइल्ड लाइफ ने जाँच रिपोर्ट आने के बाद ही कुछ बता पाने की बात कही। हिमालयन भालू के साथ ही साही का पोस्टमार्टम जंगल सफारी में किया गया। दोनों वन्यजीवों की मौत की जानकारी सफारी प्रबंधन ने सफारी से बाहर आने रोकने की हरसंभव कोशिश की।

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मौत सवालों के घेरे में 

अफसर के अनुसार, रास्ते में हिमालयन भालू की मौत का कारण जांच के नाम पर वाहन को घंटों रोकना है। हिमालयन भालू को विभागीय डॉक्टर के साथ वनकर्मियों की टीम ला रही थी। ऐसे में सीजेडए के लेटर के साथ ही धीमापुर जू प्रबंधन ने अपने जू से हिमालयन भालू जंगल सफारी भेजे जाने अनुमति पत्र दिया होगा। फिर भी हिमालयन भालू ला रहे वाहन को घंटों रोक जांच किए जाने की बात सवालों के घेरे में है।

रास्ते में करते हैं स्वास्थ्य जांच 

वन्यजीवों को एक जू से दूसरे जू एक्सचेंज किए जाने की स्थिति में रास्ते में स्वास्थ्य परीक्षण तथा उनके लिए पानी, खाने की व्यवस्था की जाती है। साथ ही एक निश्चित दूरी तय करने के बाद वन्यजीवों को आराम दिया जाता है। ऐसे में हिमालयन भालू का रास्ते में स्वास्थ्य परीक्षण ही नहीं किया गया। इस वजह से वन्यजीव चिकित्सक को भालू के बीमार होने की जानकारी नहीं मिली और उसकी रास्ते में ही मौत हो गई।

वन्यजीव प्रेमियों में आक्रोश 

हिमालयन भालू के साथ ही सफारी में सात साही की मौत की घटना के बाद वन्यजीव प्रेमी आक्रोशित हैं। वन्यजीव प्रेमी नितिन सिंघवी सहित अन्य ने आरोप लगाया है कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते सब एडल्ट मादा बायसन की गुरु घासीदास नेशनल पार्क पहुंचने से पहले मौत हो गई। वन्यजीव प्रेमियों ने जंगल सफारी, कानन पेंडारी से सफेद भालू सहित सभी वन्यप्राणियों के एक्सचेंज प्रोग्राम पर रोक लगाने के साथ ही दोषी डॉक्टरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।

दावा-जगह-जगह जांच के लिए रोका गर्मी से हुई मौत 

हिमालयन भालू की मौत के कारणों का पता लगाने हरिभूमि की टीम ने सीसीएफ वाइल्ड लाइफ सतोविशा समाजदार से संपर्क किया तो उनका कहना है कि पश्चिम बंगाल में जगह-जगह गाड़ी को रोककर जांच की गई। ऐसे में हिमालयन भालू की गर्मी के कारण मौत हो गई। अफसर के अनुसार वाइल्ड लाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो ने पश्चिम बंगाल से वन्यजीवों की तस्करी होने की जानकारी दी थी। इस वजह से स्थानीय वन विभाग के अफसर गाड़ियों को रोककर जांच कर रहे थे। इसके चलते हिमालयन भालू ला रहा वाहन घंटों फंसा रहा। गर्मी के कारण हिमालयन भालू की मौत होने की जानकारी वन अफसर ने दी है।

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