गणेश मिश्रा- बीजापुर। छत्तीसगढ़ के बीजापुर जिले में बेटी की मौत के बाद न्याय के लिए पिता दर-दर भटक रहा है। बच्ची के मौत के बाद परिजनों ने इंशोयरेंस क्लेम के लिए अधीक्षिका से संपर्क किया। जिसके बाद अधीक्षिका ने मामले की सूचना आगे दिने की बात कही थी। लेकिन महीनों बीत जाने के बाद भी अब तक अधीक्षिका रटा रटाया जबाव दे रही है। यहां तक की बच्ची की डेथ सर्टिफिकेट तक परिजनों के हाथ नहीं आई है।वहीं हताश निराश परिजनों ने अब शासन से न्याय की गुहार लगाई है।
दरअसल, फरसेगढ़ स्थित बालिका आश्रम पढ़ने वाली बच्ची मंजू पोयाम बाउंडीवॉल से गिरकर चोटिल हो गई थी। जिसकी इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। परिजनों की मानें तो बच्ची आश्रम के किसी स्टॉफ के कहन पर पेड़ की टहनियों से दातून तोड़ने बाउंडीवॉल पर चढ़ी थी। दुर्घटनावश उसका पांव फिसल गया और सीधे जमीन पर जा गिरी।
अधीक्षिका ने छिपाई दुर्घटना की बात
बच्ची के साथ दुर्घटना माहभर पहले घटी थी। लेकिन आश्रम अधीक्षिका ने घटना की भनक किसी को लगने नहीं दी थी। वहीं बच्ची को आनन फानन में 6 नवंबर को कुटरू अस्पताल में प्राथमिक उपचार के बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया था। फिर वहां से उसे डिमरापाल स्थित चिकित्सा महाविद्यालय रेफर कर दिया गया। वहां चिकित्सकों ने उसे रायपुर रेफर करने को कहा, लेकिन परिजन उसे अपने साथ केतनपाल उसके घर लेकर आ गए।
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26 नवंबर को हुई बच्ची की मौत
परिजनों के मुताबिक, भैरमगढ़ ब्लाक के मंडल संयोजक शिव समरथ इलाज का पूरा खर्च वहन करने की बात कहते हुए रायपुर ले जाने के लिए कहा। जिसके बाद 10 नवंबर को रायपुर के एक अस्पताल में मंजू को भर्ती कराया गया। सीटी स्कैन, एमआरआई के दौरान रीड की हड्डी टूटने की पुष्टि चिकित्सकों ने की थी। 22 नवंबर को बच्ची की सर्जरी हुई, लेकिन पांच दिन बाद 26 नवंबर की सुबह उसकी मौत हो गई। जिसकी जानकारी मंडल संयोजक ने फोन पर परिजनों को दी। जिसके बाद परिजनों ने पार्थिव देह का अंतिम संस्कार किया।
परिजनों ने लगाई न्याय की गुहार
बच्ची को खोने के बाद परिजनों ने इंशोयरेंस क्लेम के लिए अधीक्षिका से संपर्क किया। जिसके बाद अधीक्षिका का जबाव आया कि, उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं, वे आगे सूचित कर चुकी है, जरूरत पड़ने पर परिजनों को बुलाने की बात कही थी। यहां तक की बच्ची की डेथ सर्टिफिकेट तक परिजनों के हाथ नहीं आई है। परिजनों ने पूरी आपबीती मीडिया को बताते प्रशासन से न्याय की गुहार लगाई है।
आदिम जाति कल्याण विभाग की कार्यशैली पर उठे सवाल
मामले में परिजनों के खुलकर सामने आने के बाद अधीक्षिका और मंडल संयोजक से लेकर आदिम जाति कल्याण विभाग की कार्यशैली भी विवादों घिर गई है। सवाल उठ रहे हैं कि, बच्ची दुर्घटना का शिकार हुई तो अधीक्षिका ने पूरे मामले पर पर्दा डालने की कोशिश क्यों की गई। दूसरा यह की अगर मंडल संयोजक को इसकी जानकारी थी तो विभाग के उच्चाधिकारियों को उन्होंने घटनाक्रम से अवगत कराया था। अगर कराया था तो विभाग प्रमुख ने प्रकरण में परिजनों को राहत देने के साथ दुर्घटना की जांच को लेकर गंभीरता क्यों नहीं दिखाई।