पंकज भदौरिया- दंतेवाड़ा। दंतेवाड़ा जिले के अलग-अलग इलाक़ों में बन रही चार सड़कों का कार्य कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी ने निरस्त कर दिया है। चारों सड़कों की निविदा प्रक्रिया में बड़ी गड़बड़ी को लेकर हरिभूमि डाट कॉम ने बुधवार को प्रमुखता से खबर प्रकाशित की थी। जिसके बाद कलेक्टर ने चारों कार्य निरस्त कर दिए हैं। जिन कार्यों को निरस्त किया गया उनमें मोखपाल से छोटेगुडरा, महाराकरका से छोटे हड़मामुंडा तक, पोन्दुम मुख्य मार्ग से पटेलपारा होते हुए बटुमपारा एवं गीदम बीजापुर मार्ग से फरसमुदुर तक के कार्य में निविदा प्रक्रिया का विधिवत पालन नहीं किया गया था। इन चारों सड़कों की लागत तीस करोड़ से ज्यादा की थी। 

 

शिकायतों पर कलेक्टर ने लिया त्वरित एक्शन 

इन सभी सड़कों के कार्यों की निविदा पूर्व कलेक्टर विनीत नंदनवार के कार्यकाल मे लगाई गई थी, जिसकी शिकायत जिले में कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी से की गई थी। जांच उपरांत निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी दिखी, जिस पर तत्काल प्रभाव से चारों सड़कों के काम निरस्त कर दिये गये। इस तरह की त्वरित कार्यवाही से आमजन में खुशी है कि, भ्रष्टाचार से जुड़ी शिकायतों में 0 टॉलरेंस लाने के लिए प्रशासन संजीदगी से जांच उपरांत तथ्यात्मक रूप से यदि गड़बड़ी है तो नियमतः कार्यवाही कर साफ संदेश दे रहा हैं। 

 

पिछले पांच साल तक सुनी ही नहीं गईं शिकायतें

क्योंकि इससे पूर्व सरकार में बीते 5 सालों से निर्माण कार्यों में अग्रिम भुगतान, टेंडर प्रक्रिया, सामग्री आपूर्ति में भंडार क्रय नियमों को दरकिनार करने की कई शिकायत आम लोगों और जनप्रतिनिधियों ने प्रशासन से की है। पर कभी कोई कार्यवाही नही की गई। एजेंसियों के अलावा ग्राम पंचायतों में भी कार्य पूर्ण होने के बाद वर्षो के भुगतान लम्बित हैं। लेकिन ऐसे मामलों में भी कभी कोई संज्ञान नहीं लिया गया, न ही कोई कार्यवाही की गई। लेकिन अब इस कार्यवाही से लोगों में उम्मीद जगी है कि, प्रशासन भ्रष्टाचार से जुड़े सभी मामलों में निष्पक्ष जांच कर उचित कार्यवाही करेगा।

अफसरों पर भी कार्रवाई का रास्ता खुला

माना जा रहा है कि, कार्य निरस्त करने के बाद अब विभाग के अधिकारी-कर्मचारियों पर भी कारवाई की गाज गिर सकती है। ऐसा इसलिए क्योंकि निविदा प्रकाशन की ज़िम्मेदारी विभाग की होती है। इस मामले में शिकायत ये भी पाई गई थी कि, इन कार्यों के लिए अख़बार में प्रकाशित निविदा उस तारीख़ के अख़बार में है ही नहीं, ऐसे में फर्जी अख़बार छाप कर निविदा प्रक्रिया में गड़बड़ी की गई और विभाग ने चहेते ठेकेदारों को काम बाँट दिया गया। वहीं काम से अधिक भुगतान की शिकायत भी हुई है। सूत्रों की माने तो कार्य का पुनर्मूल्यांकन कराया जाएगा और यदि कार्य से अधिक भुगतान पाया गया तो संबंधित फर्म से रिकवरी की जाएगी। बहरहाल सरकार बदलने के बाद भ्रष्टाचार के मामले में जिले में ये सबसे बड़ी कार्यवाही है।