महंगाई इसलिए भी : धान की कीमत ने किसानों को लुभाया, सब्जियों का उत्पादन हो रहा कम

प्रदेश में लगातार धान का उत्पादन बढ़ रहा है। हर साल धान बोनी का रकबा भी लगातार बढ़ रहा है। वहीं इस बार 39.26 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है। ;

Update: 2024-11-17 06:02 GMT
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रायपुर। प्रदेश में भाजपा सरकार धान की कीमत 31 सौ रुपए दे रही है। इसी के साथ 21 क्विंटल धान की खरीदी भी की जा रही है। यही वजह है कि, इस बार किसानों ने एक लाख हेक्टेयर में ज्यादा धान बोया है। इस बार 38 के स्थान पर 39 लाख हेक्टेयर में धान की फसल लगाई गई है। दलहन तिलहन की फसल लेने वाले किसानों के साथ अब सब्जी का उत्पादन करने वाले किसान भी धान की खेती की तरफ जा रहे हैं। यही वजह है कि सब्जियों का उत्पादन कम हो गया है। इसके कारण सब्जियों की कीमत भी ज्यादा है। 

छत्तीसगढ़ में टमाटर की फसल आने के बाद भी इस बार कीमत अब तक चिल्हर में 40 से 50 रुपए है, नहीं तो टमाटर की कीमत लोकल फसल आने के बाद 5 से 10 रुपए हो जाती है। प्रदेश में लगातार धान का उत्पादन बढ़ रहा है। हर साल धान बोनी का रकबा भी लगातार बढ़ रहा है। पिछली बार प्रदेश में जहां 38.19 लाख हेक्टेयर में धान की बुआई की गई थी तो वहीं इस बार 39.26 लाख हेक्टेयर में धान बोया गया है। बीते साल से  लगभग एक लाख हेक्टेयर ज्यादा क्षेत्रफल में धान की बुआई की गई है। ऐसे में माना जा रहा है कि इस खरीफ सीजन में प्रदेश में रिकॉर्डतोड़ लगभग 180 लाख टन धान का उत्पादन होने का अनुमान है। ज्यादा उत्पादन के कारण किसानों की जेब में लगभग 50 हजार करोड़ रुपए जाने वाले हैं।

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दलहन-तिलहन की फसल भी कम

धान के कारण प्रदेश में लगातार दलहन और तिलहन का उत्पादन भी कम हो रहा है। इसकी फसल लगाने वाले किसान लगातार धान की खेती की तरफ जा रहे हैं। लगातार दलहन और तिलहन की रकबा भी कम हो रहा है।

सब्जी के उत्पादन में कटौती

धान की कीमत को देखते हुए और सब्जी की फसल में ज्यादा लागत के बाद भी कई बार लागत न निकलने के कारण प्रदेश के किसान थोक में धान की खेती की तरफ जा रहे हैं। प्रदेश में सबसे ज्यादा टमाटर की खेती करने वाले किसान परेशान रहते हैं। लोकल फसल आने के बाद इनको कीमत नहीं मिलती है। थोक मंडी में एक से दो रुपए किलो में टमाटर की मांग रहती है। टमाटर की तुड़ाई पर ही डेढ़ रुपए किलो तक का खर्च आ जाता है। ऐसे में किसानों को घाटा हो जाता है। कई साल से प्रदेश के किसान टमाटर फेंक देते हैं। इस बार टमाटर की खेती करने वाले किसानों ने भी धान की तरफ रुख किया है। इसी के साथ दूसरी सब्जियां लगाने वाले किसान भी धान की फसल ले रहे हैं। ड्रिप इरिगेशन का कम करने वाले कुछ कंपनियों ने अधिकारियों ने बताया अब सब्जी के लिए ड्रिप इरिगेशन का काम भी कम हो गया है।

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