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नगरीय निकायों-त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में ओबीसी आरक्षण की अनुशंसा के लिए गठित पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट15 दिनों में सरकार को दी जा सकती है।

रायपुर। छत्तीसगढ़ में होने वाले नगरीय निकायों और त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में ओबीसी आरक्षण की अनुशंसा करने के लिए गठित पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग की रिपोर्ट अगले 15 दिनों में सरकार को दी जा सकती है। इस रिपोर्ट में आयोग यह अनुशंसा करेगा कि दोनों चुनावों में ओबीसी को कितना आरक्षण दिया जाना है। इससे पहले आयोग ने कलेक्टरों से सर्वे की अंतरिम रिपोर्ट मांगी थी।

रिपोर्ट से संबंधित करीब 90 प्रतिशत डाटा आयोग को मिल चुका है। राज्य के स्थानीय चुनाव में ओबीसी आरक्षण की अनुशंसा सरकार को देने के लिए गठित आयोग ने ओबीसी सर्वे के संबंध में 54 बिंदुओं के आधार पर जानकरी जुटाने की तैयारी की थी। लेकिन इस काम में संभावित देरी के मद्देनजर आयोग ने राज्य के कलेक्टरों से कहा था कि कुछ चुनिंदा बिंदुओं के आधार पर अंतरिम रिपोर्ट देने कहा था। इस संबंध में 90 प्रतिशत संख्यात्मक जानकारी मिल चुकी है।

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राज्य में ओबीसी की 95 जातियां

बताया गया है कि छत्तीसगढ़ में ओबीसी समुदाय में 95 जातियां शामिल है। इनमें हिंदुओं के अलावा मुस्लिम समुदाय के ओबीसी भी शामिल है। उल्लेखनीय है कि पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने भी क्वांटीफायएबल डाटा आयोग का गठन कर ओबीसी की सर्वे कराया था। लेकिन कांग्रेस सरकार ने यह रिपोर्ट विधानसभा में पेश की न ही इसे सार्वजनिक किया गया है।

अब आयोग करेगा ये काम

आयोग के सूत्रों की मानें तो अंतरिम रिपोर्ट का डाटा मिलने के बाद अब आयोग का काम आसान हो गया है। आयोग को इस रिपोर्ट में यह जानकारी चाहिए थी कि हर नगरीय निकाय और पंचायत क्षेत्र के वार्डों में ओबीसी परिवारों की संख्या कितनी है और एक परिवार में कितने लोग रहते हैं। यह जानकारी मिलने के बाद अब सूत्रों का कहना है कि अगले 15 दिनों में आयोग राज्य सरकार को ओबीसी आरक्षण के बारे में अपनी अनुशंसा रिपोर्ट देगा। इसके बाद सरकार इस रिपोर्ट की अनुशंसा पर विचार करेगी।

निकायों में अध्यक्षों का भी होगा आरक्षण

बताया गया है कि पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग राज्यभर में सभी नगरीय निकायों और पंचायत क्षेत्र के वाडों की सीमाओं का निर्धारण करेगा। इसके साथ ही ये तय किया जाएगा कि किस वार्ड में ओबीसी समुदाय की संख्या कितनी है। इसी आधार पर तय होगा कि किस निकाय या पंचायत क्षेत्र में ओबीसी की संख्या कितनी है। इसी आधार पर यह भी तय होगा कि किस निकाय या पंचायत क्षेत्र में अध्यक्ष किस वर्ग का होगा। खास बात ये है कि आयोग को भी 50 प्रतिशत की सीमा में आरक्षण के भीतर ही तय करना है। ऐसे में एससी या एसटी बहुल क्षेत्र में भी अगर किसी वार्ड या निकाय या पंचायत क्षेत्र में ओबीसी की बहुलता है तो वह क्षेत्र ओबीसी के लिए आरक्षित होगा।

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