तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार : नेहरु कॉलेज के छात्र झमेश्वर ने पढ़ा रिसर्च पेपर, बेस्ट रिसर्च पेपर प्रस्तुति का मिला प्रमाण पत्र

तरुणा साहू- रायपुर। छत्तीसगढ़ के राजनंदगांव के दिग्विजय कॉलेज में तीन दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज विषय पर आयोजित इस सेमीनार में देशभर के शोधार्थियों अपना रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। जिसमें नेहरु कॉलेज डोंगरगढ़ के MSC (बॉटनी ) प्रथम वर्ष के छात्र झमेश्वर प्रसाद ने अपना रिसर्च पेपर पढ़ा।
दरअसल, दिग्विजय कॉलेज के तत्वावधान में सस्टेनेबल डेवलपमेंट एंड क्लाइमेट चेंज का आयोजन किया गया था। 4 से 6 मार्च तक आयोजित इस तीन दिवसीय सेमिनार में देशभर से आए शोधार्थियों ने शोध पत्र पढ़ा। इनमें गोवा , रांची , नागपुर , नागालैंड, मुंबई, उत्तरप्रदेश, बिलासपुर, रायपुर, गरियाबंद, मुंगेली, से विभिन्न रिसर्चर्स और वैज्ञानिकों ने अपना शोध प्रस्तुतकर्ता शामिल थे।
झमेश्वर बने बेस्ट रिसर्च पेपर प्रस्तुतकर्ता
झमेश्वर ने मशरूम के वेस्ट बाइप्रोडक्ट से हैवी मेटल युक्त दूषित जल के सस्ते, टिकाऊ, सस्टेनेबल और इको फ्रेंडली शोधन तकनीक पर रिसर्च पेपर प्रस्तुत किया। इस दौरान उनके इस प्रस्तुतीकरण को सब ने बहुत सराहा। सेमीनार में त्रिभुवन यूनिवर्सिटी काठमांडू नेपाल से आए डाॅ बबीता लाभ और डाॅ श्याम नारायन लाभ ने रिसर्च पेपर की प्रशंसा की। दिग्विजय कॉलेज की प्राचार्या डाॅ सुचित्रा गुप्ता ने छात्र झमेश्वर को बेस्ट रिसर्च पेपर प्रस्तुती का प्रमाण पत्र प्रदान किया।
क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों पर हुई चर्चा
सेमिनार में मुख्य रूप से वर्तमान परिदृश्य मे क्लाइमेट चेंज के दुष्प्रभावों के चलते पर्यावरण और प्राकृतिक संसाधनो के अत्यधिक ह्रास पर चर्चा की गई। साथ ही समस्याओं से बचने के लिए सस्टेनेबल डेवलपमेंट पर जोर दिया गया। प्राकृतिक संसाधनो के संरक्षण का दायित्व किसी एक की नहीं अपितु प्रत्येक आम नागरिक की है और इसकी शुरूआत हमे अपने अपने घरों से करनी होगी। पर्यावरण के संरक्षण के लिए हमे पर्यावरण विनाशक उत्पादों का बहिष्कार कर सस्टेनेबल उत्पादों का चयन करना होगा। साथ ही क्लाइमेट चेंज से बचना होगा। इस पर सभी ने अपना समर्थन दिया।
प्राचार्या डाॅ ई. व्ही. रेवती ने दी बधाई
झामेश्वर की उपलब्धि पर प्राचार्या डाॅ ई. व्ही. रेवती समेत सभी ने उन्हें बधाई देते हुए उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। बता दे कि, वनस्पति शास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष अविनाश सिंह, प्रभात बैस और दीक्षा विश्वकर्मा ने झमेश्वर का मार्गदर्शन किया था।
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS