रायपुर। राज्य की 1000 से ज्यादा सहकारी सोसाइटियों की जांच में थोक में धान के शार्टेज का मामला सामने आ रहा है। अभी 1500 से ज्यादा केंद्रों की पड़ताल बाकी है। ऐसा कहा जा रहा है कि 100 करोड़ से ज्यादा का शार्टेज आ सकता है। बालोद, कोरिया, रामानुजगंज, राजिम समेत कई इलाकों की सोसाइटियों से धान गायब है। इसकी वजह केवल सूखत नहीं है, बल्कि कहीं कहीं गड़बड़ी भी सामने आ रही है। इस समितियों को नोटिस दिया जा रहा है।खरीफ की धान खरीदी बंद होने के बाद केंद्रों में लेखा का मिलान किया जा रहा है, इसी में कई जगह गड़बड़ी भी सामने आ रही है। अब तक 1157 समितियों का लेखा मिलान हो चुका है। 1578 खरीदी केंद्रों का काम अभी बाकी है। मार्कफेड और सहकारी बैंक द्वारा लेखा मिलान किया जा रहा है।
खरीफ विपणन वर्ष 2023- 24 में 2 हजार 735 उपार्जन केन्द्रों के माध्यम से 144.92 लाख मीटरिक टन धान खरीदी की गई थी। खरीदे गए धान में से 141.92 लाख मीटरिक टन धान मिलर्स द्वारा उठाव कर लिया गया है तथा 2.48 लाख मीटरिक टन धान विपणन संघ के संग्रहण केन्द्रों में भेजा गया है। वर्तमान में उपार्जन केन्द्रों में 0.52 लाख मीटरिक टन धान शेष है। साथ ही विपणन संघ एवं जिला सहकारी केन्द्रीय बैंकों के मध्य लेखा मिलान का कार्य पूरा होने के बाद यह स्पष्ट होगा कि कितना धान कम पाया गया है। उसके हिसाब से सूखत का 2 प्रतिशत से ज्यादा धान की कमी मिलने पर समितियों से वसूली की जाएगी। प्रदेश में अब तक लेखा मिलान का कार्य केवल रायपुर जिले में ही पूरा हो पाया है।
23 जिलों के समितियों में 51663 क्विंटल धान शेष
4 फरवरी को प्रदेश में धान खरीदी बंद हो चुकी थी। 6 माह बीतने के बाद भी समितियों में 51663 क्विंटल धान शेष है। जिन जिलों में अभी धान शेष बताया जा रहा है, उनमें महासमुंद, बलौदाबाजार, गरियाबंद, बालोद, बेमेतरा, राजनांदगांव, मोहला-मानपुर-चौकी, खैरागढ़-गंडई-छुईखदान, कवर्धा, रायगढ़, सारंगढ़, जशपुर, बस्तर, कांकेर, बीजापुर, कोंडागांव, सुकमा, बिलासपुर, सक्ती, मुंगेली, सरगुजा, बलरामपुर और कोरिया जिलों के समितियों में धान का उठाव शेष है।
1 करोड़ रुपए से अधिक का धान गायब
गरियाबंद जिले के 8 धान खरीदी केंद्रों से 3 हजार 6 सौ से अधिक क्विंटल धान का शार्टेज पाया गया है। इन समितियों में फिंगेश्वर, कोपरा, बेलर, कौन्दकेरा, चरोदा, परसदाकला, पोल्कर्रा, बिनोरीभाठा के प्रबंधकों को नोटिस जारी किया गया है। शार्टेज धान की कीमत करीब 1 करोड़ से भी अधिक बताया जा रही है। जिले के दर्जनभर से अधिक धान खरीदी केंद्रों से 8 हजार 368 क्विंटल धान जमा होना शेष है। जिसकी कीमत 2 करोड़ 66 लाख के आसपास बताई जा रही है। जिसमे से फिंगेश्वर और छुरा ब्लाक के 8 धान केंद्रों भी शामिल है।
समिति प्रबंधकों ने ली हाई कोर्ट की शरण
वही गरियाबंद जिले के 8 धान खरीदी केंद्रों में करोड़ो के करीब 36 सौ क्विंटल धान गायब होने के मामले में अब समिति प्रबंधकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया कर शॉर्टेज के लिए विपणन संघ को जिम्मेदार ठहराया है। इधर, सहायक आयुक्त ने भरपाई के लिए प्रबंधको नोटिस जारी किया है, लेकिन प्रबंधकों का कहना है कि सहकारी समितियां केवल खरीदी का माध्यम है। जो तय कमीशन पर धान खरीदी करती हैं। त्रिपक्षीय अनुबंध के मुताबिक धान का 72 घंटे के भीतर उठाव करवाना विपणन संघ का काम है। समय पर डीओ जारी नहीं किया, शॉर्टेज के लिए विपणन संघ जिम्मेदार है। अनुबंध और लापरवाही को आधार बनाकर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
दुर्ग के उपार्जन केन्द्रों में जीरो शार्टेज
दुर्ग जिले के 87 समितियों के 102 उपार्जन केन्द्रो से मिलरों ने धान का उठाव कर लिया है। धान का उठाए किए जाने के बाद सूखत की रिपोर्ट भी जीरो है। अप्रैल माह में धान का उठाव किए जाने के बाद मिलरों ने अन्य जिले से धान का उठाव शुरू किया था। खाद्य नियंत्रक सीपी दीपांकर ने बताया कि, दुर्ग जिले में सूखत की रिपोर्ट जीरो मिली है।
लेखा मिलान के बाद होगी कार्रवाई
धान की कमी पाए जाने पर समितियों को नोटिस जारी किया गया है। जहां-जहां स्वेच्छा से भरपाई कर सकते हैं, वहां करेंगे। अगर भरपाई नहीं होती और अगर लेखा मिलान में सुखत की श्रेणी में आता है, तो जैसा हेड क्वार्टर से निर्देश मिलेगा उस आधार पर कार्यवाही की जावेगी। उषा ध्रुव, सहायक आयुक्त सहायक पंजीयक गरियाबंद ।
समितियों ने मार्कफेड को जिम्मेदार ठहराया
समितियों को धान की कमी पाए जाने पर नोटिस जारी किया जा रहा है। समितियों का कहना है कि धान में सूखत और अन्य कमियों के लिए स्वयं मार्कफेड जिम्मेदार है। धान उठाव जो 78 घंटे के अंदर किया जाना था, वह समय पर नहीं हुआ। वहीं मिलर्स द्वारा धान उठाव की धीमी गति के कारण धान की अन्य कारणों से कमी दर्ज की गई है। पूरे मामले में मार्कफेड और जिला खाद्य अधिकारी द्वारा डीओ जारी करने के बाद उठाव जारी होने में देर के चलते कमियां पाई गई। सहकारी समितियां केवल खरीदी का माध्यम हैं, जो तय कमीशन पर धान खरीदी करती हैं, उठाव और अन्य मामले सीधे मार्कफेड से जुड़े हैं।
8 खरीदी केंद्रों से 3600 क्विंटल धान गायब
राजिम में ऑनलाइन रिपोर्ट में फिंगेश्वर की 8 धान खरीदी केंद्रों में करीब 3600 क्विंटल धान कम पाया गया था। धान की कीमत करीब 1 करोड़ रुपए आंकी गई है। इतनी अधिक कीमत का इतनी अधिक मात्रा में धान गायब होने से हड़कंप मच गया। तुरंत हरकत में आते हुए कार्यालय साहयक आयुक्त ने प्रबंधकों को नोटिस जारी कर दिया।
यहां, इतना धान गायब
■ बालोद जिले के 113 खरीदी केंद्रों में 24 हजार 805.75 क्विंटल धान कम पाया गया है, जिसकी कीमत लगभग 5 करोड़ 43 लाख रुपये है। यह आंकड़ा और भी बढ़ सकता है, क्योंकि 10 केंद्रों से 5000 क्विंटल से अधिक धान का उठाव किया जाना अभी बाकी है।
■ कोरिया जिले में 24 हजार क्विंटल धान का शार्टेज पाया गया है। इसकी कीमत लगभग 5 करोड़ आंकी गई है। यहां पर अभी पांच समितियों का मिलान हुआ है। 1170 क्विंटल धान का उठाव समितियों में शेष है।
■ जशपुर जिले की 15 सहकारी समितियों में 5665 क्विंटल धान की सूखत आ रही है। अभी यहां पर समितियों में 1778 क्विंटल धान का उठाव शेष है।
■ रामानुजगंज जिले के सहकारी समिति महावीरगंज में 3576 क्विंटल धान गायब मिला।
■ बलरामपुर जिले में अभी भी 1228 क्विंटल धान का उठाव शेष है। यहां पर समिति प्रबंधक सहित 12 लोगों को इसके लिए दोषी माना गया है।