रायपुर। इम्यून थ्रोम्बोसाइटोपेनिया (आईटीपी) के संक्रमण से लड़ने के लिए निहाली को समय-समय पर रक्त की आवश्यकता होती, जो उसे दान में मिलता था। एक दिन पहले एम्स में इलाज के दौरान उसने अंतिम सांस ली और अपनी दोनों किडनियों से डायलिसिस पर कष्टप्रद जीवन जी रहे दो लोगों को नया जीवन दे गई। डोंगरगढ़ निवासी निहाली टेम्भुरकर की किडनी का प्रत्यारोपण एम्स में भर्ती मरीजों को किया गया।
डोंगरगढ़ निवासी अधिवक्ता संजय टेम्भुरकर ने बताया कि तीन बेटियों और एक में 25 वर्षीय निहाली एका पुत्र में 25 वर्षीय निहाली तीसरे नंबर की थी। प्रतिरक्षा तंत्र में समस्याओं से पीड़ित होने के बाद भी उसने बीएड, पीजीडीसीए और योगा की पढ़ाई पूरी की। एमए अंग्रेजी की परीक्षा के साथ वहां सीजीपीएससी की तैयारी में जुटी हुई थी। सात दिसंबर को तबीयत बिगड़ने पर उसे इलाज के लिए एम्स में दाखिल किया था, जहां उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई। पिता ने उसके अंगदान करने का फैसला लेकर अस्पताल प्रबंधन को अपनी इच्छा से अवगत कराया। एम्स प्रबंधन ने सहमति मिलते ही तैयारी पूरी की और ऐसे दानवीर की प्रतीक्षा कर रहे दो मरीजों को बुलाकर ऑपरेशन की लंबी प्रक्रिया के बाद निहाली की दोनों किडनी उनके शरीर में प्रत्यारोपित कर दिया। पिता संजय ने बताया कि बेटी निहाली का रक्त पिछले 14 साल से हर तीसरे-चौथे महीने में बदलना पड़ता था। इसके लिए कई दानदाताओं ने रक्तदान किया। एम्स के चिकित्सकों ने जब उन्हें बताया कि निहाली ब्रेनडेड हो चुकी है, तो उन्होंने उसके अंगों के जरिए विभिन्न बीमारी की वजह से कष्ट झेल रहे मरीजों को नया जीवन देने का फैसला लिया।
इसे भी पढ़ें...भतीजे-भतीजी ने की बड़ी मां की हत्या: घर में चल रही थी मुर्गा-दारु पार्टी, विवाद हुआ तो मारकर जला डाला
चार माह पहले हुआ था अंगदान
इसके पूर्व चार महीने पहले राजनांदगांव की महिला के पचपेड़ी नाका स्थित अस्पताल में ब्रेन डेड होने के बाद उनके अंगों का प्रत्यारोपण दूसरे मरीजों के शरीर में किया गया था। लिवर के लिए प्रदेश में तय समय में मरीज नहीं मिलने पर उसे पुणे के अस्पताल भिजवाया गया था। लिवर को फ्लाइट से पुणे भेजने के लिए पचपेढ़ी नाका के अस्पताल से विमानतल तक ग्रीन कॉरीडेर बनाया गया था। वहां के अस्पताल में भर्ती मरीज को लिवर प्रत्यारोपित किया गया था। महिला की एक किडनी संबंधित अस्पताल और दूसरी एम्स के मरीज को ट्रांसप्लांट किया गया था। इनके पूर्व एक 11 साल के बच्चे के ब्रेनडेड होने के बाद परिवार वालों ने उसके अंग दूसरे मरीजों को दान में दिया था।
13 माह में छह से मिली 15 को नई जिंदगी
नवंबर 2023 से 13 दिसंबर 2024 के बीच विभिन्न अस्पताल में इलाज के दौरान ब्रेनडेड हुए छह लोगों के अंगों के माध्यम से अब तक 15 लोगों को नया जीवन मिला है। राज्य अंग एवं उत्तक प्राधिकरण के नोडल अधिकारी डॉ. कमलेश जैन, संचालक डॉ. विनीत जैन ने बताया कि अंग प्रत्यारोपण के लिए राज्य के 6 सरकारी तथा बीस निजी अस्पतालों को पंजीकृत किया गया है। ब्रेनडेड के अलावा बीते 13 माह में लाइव ट्रांसप्लांट के तहत 146 मरीजों को अंग प्रत्यारोपित किया गया है। राज्य में अब तक 1140 लोगों ने अंगदान करने की शपथ ली है।