महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। बस्तर संभाग के नारायणपुर जिले से सर्वाधिक नक्सल प्रभावित क्षेत्र आकाबेड़ा जाने में दहशत इतनी थी कि, लोग मुंह तक नहीं खोलते, लेकिन अब हालात बदल रहे हैं। नारायणपुर से आकाबेड़ा तक जगह- जगह सीआरपीएफ के कैंप स्थापित किए गए हैं। जिसके चलते लोक निर्माण विभाग के राष्ट्रीय राजमार्ग नारायणपुर से आकाबेड़ा तक 17 किमी 93.07 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 डी का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस सड़क बनाने के लिए धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बने पहाड़ों काट रहे हैं, जिससे सड़क बन सके।
बताया जा रहा है कि, नारायणपुर जिला मुख्यालय से आकाबेड़ा होते हुए महाराष्ट्र जाने के लिए लगभग 3 मीटर चौड़ी सड़क से भारी वाहनों और अन्य वाहनों का आना- जाना होता रहता है। यह नारायणपुर-आकाबेड़ा तक 17 किमी सड़क अत्यधिक जर्जर हालत में हैं। हालांकि, यह सड़क स्टेट सड़क है। वर्ष 2019 में केन्द्र सरकार ने इस सड़क को राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 डी घोषित कर दिया है। उसके बाद से सरकार ने नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में फोर्स ने अपनी दखलांदाजी बढ़ाई है।
नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थापित किए गए कैंप
पुलिस ने उन क्षेत्रों में कैंप स्थापित किए हैं, जहां जाना पहले कभी मुमकिन ना था। घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में गांव आकाबेड़ा में भी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। यहां नारायणपुर से आकाबेड़ा तक 17 किमी 93.07 करोड़ की लागत से राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक 130 डी का निर्माण कार्य किया जा रहा है। इस सड़क बनाने के लिए धुर नक्सल प्रभावित क्षेत्र बने पहाड़ को काट रहे हैं, जिससे सड़क बन सके। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग के एसडीओ जीएस शोरी अपने उपयंत्री के साथ जुटे हुए हैं।
सीमावर्ती राज्यों तक पहुंच होगी आसान
ग्राम आकाबेड़ा निवासी बुधरी, मंगली, सोमारू सहित आधा दर्जन ग्रामीणों ने बताया कि गांव तक सड़क बनने से लोग आसानी से सीमावर्ती राज्य महाराष्ट्र से जुड़ जाएगा। इससे महाराष्ट्र से आना-जाना के साथ-साथ रिश्ते कर सकेंगे।
ठेकेदार को दिए निर्देश
राष्ट्रीय राजमार्ग जगदलपुर संभाग के एसडीओ जीएस शोरी ने बताया कि क्षेत्र के ठेकेदार को निर्देश दिया है कि राष्ट्रीय राजमार्ग को समय में पूरा करें, अन्यथा नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।