पैंगोलिन की तस्करी : वन संरक्षक दुग्गा बोले- औषधीय गुणों वाला मानकर काले बाजार में बढ़ी मांग

महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। वन विभाग जगदलपुर वृत्त के मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा ने मंगलवार को मीडिया से बात की। उन्होंने बताया कि, पैंगोलिन एक शल्कदार स्तनधारी है, जो पर्यावरण के लिए कई तरह से फायदेमंद है। पैंगोलिन कीड़े खाते हैं, जिससे चींटियों और दीमक की संख्या पर नियंत्रण रहता है।
श्री दुग्गा ने बताया कि, पैंगोलिन की खुदाई से मिट्टी में हवा लगती है और वह पलट जाती है। पैंगोलिन के बिल छोड़ने से दूसरे जानवरों को आश्रय मिलता है। पैंगोलिन को जंगल का संरक्षक कहा जाता है, क्योंकि वे दीमक से जंगलों को बचाते हैं और परिस्थिति की तंत्र को संतुलित रखते हैं। खतरे में होने पर पैंगोलिन तुरंत गेंद की तरह सिकुड़ जाता है और अपनी पूंछ से खुद को बचाता है। हालांकि पैंगोलिन को बचाने के लिए कई चुनौतियां हैं। कई एशियाई संस्कृतियों में पैंगोलिन के शल्क को औषधीय और जादुई गुणों वाला माना जाता है, इसकी वजह से काले बाजार में इनकी भारी मांग है।

पैंगोलिन के साथ पकड़े गए थे चार तस्कर
मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा ने कहा कि, बस्तर जिले के करपावण्ड कोलावल मार्ग पर घेराबंदी कर 2 मोटर सायकल में एक जूट के थैले में एक जीवित पैंगोलिन सहित चार आरोपियों को पकड़ा। चारों तस्कर रंजीत मलिक, मकर भतरा, अजय निहाल एवं लबा सुना को कोर्ट में पेश किया, जहां से 10 दिन के रिमांड में जेल भेजा गया। आरोपियों से पूछताछ की जा रही है कि कहां पैंगोलिन पकड़ा था। वन्यजीव (संरक्षण) अधिनियम 1972 के धारा 51 में 3 वर्ष से 7 वर्ष की सजा या 25000 रुपए दण्ड या दोनों का प्रावधान है। पत्रवार्ता में डीएफओ उत्तम कुमार गुप्ता, एसडीओ योगेश रात्रे, रेंजर देवेन्द्र सिंह वर्मा आदि शामिल रहे।
लोगों में अंधविश्वास
सीसीएफ ने बताया कि लोगों में अंधविश्वास है कि, पैंगोलिन के स्केल और मांस का चाइनीज मेडीसीन में ज्यादा उपयोग हो रहा है, जिसका दवाइयों का आज तक कोई वैज्ञानिक रूप से उपयोगिता प्रमाणित नहीं हुई है। इसके बाद भी पैंगोलिन की ब्लैक मार्केट में मांग बनी हुई है।
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