महेंद्र विश्वकर्मा- जगदलपुर। पर्यटन को बढ़ावा देने और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए मांझीपाल और तीरथगढ़ इको विकास समितियों को चक्रीय निधि से ऋण प्रदान किया गया। इस ऋण का उपयोग पर्यटन गतिविधियों को सशक्त बनाने के लिए किया जाएगा। इस अवसर पर मुख्य वन संरक्षक आरसी दुग्गा और कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक चूड़ामणी सिंह ने दोनों इको विकास समितियों को कयाक (नौका) वितरित किए।
इससे अब पर्यटक मांझीपाल और तीरथगढ़ में रोमांचक जल पर्यटन का आनंद ले सकेंगे। मांझीपाल और तीरथगढ़ के युवाओं ने पर्यटन को बढ़ावा देने की अपनी रुचि और प्रतिबद्धता दिखाई थी, जिसे देखते हुए चक्रीय निधि से उन्हें आर्थिक सहायता प्रदान की गई। इस पहल से स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और गांव की अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी। विकास समिति के सदस्यों ने इस सहयोग के लिए शासन और वन विभाग का आभार व्यक्त किया और इसे ग्राम पर्यटन को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि बताया।
जल पर्यटन से बढ़ेगा आकर्षण
इको विकास समिति के सदस्य पीतांबर नाग एवं सोनू ने बताया कि कांगेरघाटी राष्ट्रीय उद्यान के सहयोग से वे आर्थिक रूप मजबूत हो रहे हैं। कयाकिंग की सुविधा शुरू होने से अब पर्यटक मांझीपाल और तीरथगढ़ में भी जल पर्यटन का आनंद ले सकेंगे, जिससे इस क्षेत्र को एक नई पहचान मिलेगी। इस पहल से न केवल स्थानीय युवाओं को आजीविका का साधन मिलेगा, बल्कि अधिक से अधिक पर्यटक आकर्षित होंगे, जिससे क्षेत्र का समग्र विकास होगा।
पर्यटन और ग्रामीण विकास को मिलेगी गति
इस कार्यक्रम में कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के समस्त स्टाफ और दोनों गांवों के इको विकास समिति के सदस्य उपस्थित रहे। वहीं निदेशक चूड़ामणी सिंह ने इस पहल को गांवों के आर्थिक और पर्यटन विकास की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
स्थानीय लोगों को मिल सकेगा रोजगार
सीसीएफ आरसी दुग्गा ने कहा कि वित्तीय सहायता से पर्यटन गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिससे स्थानीय लोगों को स्थायी रोजगार मिल सकेगा। उन्होंने कहा कि मांझीपाल और तीरथगढ़ में पर्यावरण को देखते हुए प्लास्टिक का उपयोग नहीं करें और पर्यटकों से विवाद नहीं करें, साथ ही जंगल को आग बचाएं।