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छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के कोतबा में गायत्री परिवार का 108 कुंडीय यज्ञ चल रहा है। यज्ञ के दौरान संत गहिरा गुरु के सुपुत्र बभ्रुवाहन सिंह भी पहुंचे। उनहोंने कहा, सनातन परंपरा को जीवंत रखने के लिए संस्कारों का करना होगा पुनर्जागरण।

मयंक शर्मा- कोतबा। जशपुर जिले की धर्मनगरी कोतबा में गायत्री परिवार द्वारा आयोजित एक सौ आठ कुंडीय गायत्री महायज्ञ के यज्ञीय कार्यक्रम में संत गहिरा गुरु के सुपुत्र बभ्रुवाहन सिंह का आगमन हुआ। वे श्रद्धेय डॉ चिन्मय पंड्या का सान्निध्य पाकर नतमस्तक हो गए।डॉ पंड्या ने मंत्र चादर के साथ गुरुदेव का साहित्य देकर उन्हें सम्मानित किया। 

बभ्रुवाहन सिंह ने अपने संबोधन में बताया कि वे सौभाग्यशाली हैं जिन्हें उनके पिता संत गहिरा गुरु के कारण यह सम्मान प्राप्त हो रहा है। उन्होंने बताया कि आज समाज संस्कार विहीन होता जा रहा है।सनातन संस्कृति को यदि जीवित रखना है तो संस्कारों का पुनर्जागरण करना होगा। यज्ञ की महिमा का वर्णन करते हुए संत गहिरा गुरु के सुपुत्र बभ्रुवाहन सिंह ने  कहा कि सनातन धर्म को जीवंत रखने का माध्यम यज्ञ है।इस यज्ञ से ही हमें सत्कर्म की प्रेरणा मिलती है।हम सभी को पुनः संस्कारित होने की दिशा में कार्य करना होगा। 

Babruvahan Singh, son of Saint Gahira Guru

क्या है बलिवैश्व हवन

मातृशक्ति से उन्होंने निवेदन करते हुए कहा कि माताएं बहने अपने रसोई से परिवार में संस्कारों का बीजारोपण कर सकती हैं।इसके लिए घर में बने भोजन का पहला भोग अपने रसोई में अग्नि देव को चढ़ाएं और रसोई में सतत बलिवैश्व हवन करें।इस प्रकार भोजन प्रसाद बन जाता है।ऐसे जब आप भोजन को प्रसाद के रुप में लेंगे तो निश्चित ही आपके परिवार में संस्कारों का जागरण होगा।

राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप ने दी आहुति

इस अवसर पर रायगढ़ लोकसभा सांसद राधेश्याम राठिया की पत्नी श्रीमती निद्रावती राठिया व राज्यसभा सांसद देवेंद्र प्रताप सिंह यज्ञीय कार्यक्रम में पहुंचे और यज्ञ भगवान को आहुतियां प्रदान कर विश्वकल्याण की कामना कर आशीर्वाद लिया।

भवसागर पार करने का सरल उपाय

शांतिकुंज से पधारे प्रज्ञा पुरोहित वीरेंद्र तिवारी ने बताया कि दूसरों के लिए उदार होकर अपने लिए कठोरता को अपना लें।इससे निश्चित ही आपके भवबंधन से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।आज समाज में दुःख का कारण इसलिए है कि हम अपनी ओर न देखकर दूसरों को ओर देख रहे हैं।प्रज्ञा पुरोहितों की टोली में शामिल जगन्नाथ भंज,श्री यशवंत,श्री खुदीराम,श्री सुषेन ने वेदमाता देवमाता विश्वमाता को नमन सुमधुर प्रज्ञा संगीत से यज्ञीय वातावरण को उर्जित कर दिया।उमाशंकर साहू,श्याम साहू, धरम साहू,अजय गुप्ता,दुर्योधन यादव के द्वारा शांतिकुंज हरिद्वार से पधारे प्रज्ञापुत्रों का स्वागत तिलक वंदन कर स्वागत किया गया।

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