पत्थलगांव में जानवर खा रहे टमाटर : रुपया-दो रुपया किलो में भी नहीं बिक रहा, किसानों को करोड़ों का नुकसान

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खेतों में मवेशी खा रहे टमाटर
जशपुर जिले में किसानों को टमाटर की खेती में 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो गया। किसानों को उम्मीद थी कि, टमाटर के दामों में इजाफा होगा। लेकिन उल्टा नुक्सान ही हो गया।

जितेंद्र सोनी - जशपुर। छत्तीसगढ़ में जशपुर जिले के पत्थलगांव क्षेत्र को लोग टमाटर नगरी के नाम से जानते हैं। हर साल यहां के किसान टमाटर की खेती से अच्छी कमाई करते हैं, लेकिन इस बार टमाटर की फसल किसानों के लिए नुकसान का सौदा बन गई है। टमाटर की खेती से इस साल किसानों को करोड़ो रुपयों का नुकसान हुआ है।

5 से 2 रुपए किलो हो गए दाम, फिर भी नहीं बिक रहे

टमाटर की खेती कर किसान हर साल अच्छी आय अर्जित करते थे। टमाटर की खेती ने किसानों के जीवन स्तर में बदलाव लाया है। इस साल भी किसानो ने हजारों एकड़ में टमाटर की खेती की थी, लेकिन करोड़ो रुपयों का नुकसान हो गया। टमाटर के उत्पादन शुरू होते ही दाम अचानक से गिर गए। एक माह तक लगभग 5 रुपये किलो तक टमाटर किसानो ने व्यापारियों को बेचा है। किसानों को उम्मीद थी कि, टमाटर के दामों में इजाफा होगा। लेकिन धीरे-धीरे 2 रुपये प्रति किलो बिकने लगा। अब स्थिति यह है कि 2 रुपए किलो में भी किसानों को खरीददार नहीं मिल रहे हैं।

50 करोड़ रुपए से ज्यादा का हुआ नुकसान

व्यापारी जब गांवों तक नहीं पहुंचे तो किसान खुद ही टमाटर लेकर बाजार गए। लेकिन उन्हें वहां भी खरीदार नहीं मिले। तुड़ाई और ट्रांसपोर्ट का खर्च निकालना भी मुश्किल हो गया। मजबूरी में कई किसानों ने खेत में ही टमाटर छोड़ दिए। जो अब वहीं सड़ रहे हैं। कुछ किसानों ने खेतों को मवेशियों के लिए खोल दिया है, तो कुछ ने आम लोगों के लिए। लोग अब बिना पैसे दिए खेतों से टमाटर ले जा रहे हैं। टमाटर के दाम गिरने से हर किसान को लाखों का भारी नुकसान हुआ है। अनुमान है कि, किसानों को कुल मिलाकर 50 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हो चुका है। अब किसान टमाटर की खेती छोड़ने पर विचार कर रहे हैं।

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