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जंगल सफारी में ज्यादातर लोग खुले में वन्यजीवों को भ्रमण करते देखने के लिए जाते हैं। छह महीने से ज्यादा समय से जंगल सफारी में संचालित 27 में से 25 वाहन खराब हैं।

रायपुर। जंगल में खुले में वन्यजीवों का दीदार नहीं कर पाने वाले लोगों को रोमांच का एहसास कराने राजधानी के नवा रायपुर में जंगल सफारी का निर्माण कर वन्यजीवों को खुले में देखने ओपन सफारी की व्यवस्था की गई है। ज्यादातर लोग जंगल सफारी में टाइगर, लॉयन, भालू सहित अन्य प्रजाति के वन्यजीवों खुले में विचरण करते देखने के लिए जाते हैं। जंगल सफारी में खुले में विचरण करते वन्यजीवों को देखने जाने वालों को निराशा हाथ लग रही है। इसकी वजह छह महीने से ज्यादा समय से जंगल सफारी में संचालित 27 में से 25 वाहन खराब हैं, महज दो ही बसें चालू हालत में हैं। इसके विपरीत सफारी प्रबंधन छह बसों के चालू होने का दावा कर रहा है।

गौरतलब है कि जंगल सफारी में ज्यादातर लोग खुले में वन्यजीवों को भ्रमण करते देखने के लिए जाते हैं। इसके चलते सफारी की आय भी अच्छी होती थी, गिनती के वाहन संचालित होने की वजह से सफारी की आय में भारी गिरावट आई है। सफारी में शनिवार, रविवार तथा विशेष अवसर को छोड़ कर आमदनी एक चौथाई से भी कम रह गई है। इस संबंध में जंगल सफारी के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर से संपर्क किया गया, तो उनका कहना है कि सफारी में कंडम हो चुके वाहनों की मरम्मत के लिए शासन से पैसों की मांग की गई है।

सुविधा नहीं होने की वजह से मोहभंग

वाहन की कमी से जूझ रहे जंगल सफारी में खुले में वन्यजीव देखने की चाह रखने वाले लोगों का अब सफारी से मोहभंग हो गया है। सफारी में जहां पूर्व में तीन से चार हजार रुपए की आय होती थी, वर्तमान में यह घटकर सात से आठ सौ रुपए हो गई है। शनिवार तथा रविवार को सफारी में थोड़ी रौनक जरूर रहती है, लेकिन शेष दिन सफारी में इतनी भी बुकिंग नहीं आ पाती कि दो दैनिक वेतनभोगी कर्मचारी का मानदेय निकल सके।

शासन से पैसों की मांग की गई

जंगल सफारी के डायरेक्टर धम्मशील गणवीर ने बताया कि,  जंगल सफारी में जर्जर हो चुके वाहनों की मरम्मत के लिए शासन से पैसों की मांग की गई है। जर्जर वाहनों की जल्द ही मरम्मत कर संचालन किया जाएगा। सफारी में जरूरत के हिसाब से आने वाले दिनों में सुविधाओं में वृद्धि की जाएगी। धम्मशील गणवीर, डायरेक्टर जंगल सफारी


  

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