जंगल सफारी : आंगन में शावकों की अठखेलियां बिजली और प्रियंका का मिल रहा दुलार

Jungle Safari
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सफारी प्रबंधन ने पहली बार बाघिन और शेरनी के बच्चों की अपनी मां के साथ अठखेलियां करती तस्वीर जारी की है।

रायपुर। जंगल सफारी के आंगन में करीब पांच साल बाद शेरनी और बाघिन ने छह शावकों को जन्म दिया है। बाघिन और शेरनी के जन्मे बच्चे विशेष निगरानी के बाद अब सफारी की चारदीवारी के बीच खुली हवा में सांस ले रहे हैं। सफारी प्रबंधन ने पहली बार बाघिन तथा शेरनी के बच्चों की अपनी मां के साथ अठखेलियां करती तस्वीर जारी की है। सफारी के डॉक्टर राकेश वर्मा के मुताबिक एक पखवाड़ा पूर्व प्रियंका नामक शेरनी तथा बिजली नामक बाघिन ने छह शावकों को जन्म दिया है, जिनमें शेरनी ने एक नर तथा मादा शावक को जन्म दिया है। इसी तरह बिजली नामक बाघिन ने चार शावकों को जन्म दिया है, उनमें से तीन नर तथा एक मादा है।

वन्यजीव चिकित्सक के मुताबिक, शेरनी और बाधिन के बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य हैं। शावक पूरे समय अपनी मां के इर्द गिर्द रहते हैं। शावक अभी भी अपनी मां के दूध के भरोसे हैं, शावकों को ऊपरी डाइट में थोड़ी थोड़ी मात्रा में चिकन का मांस परोसा जा रहा है। फिलहाल शेरनी और बाघिन के शावकों को आम बाड़े में नहीं डाला गया है। थोड़ा अभ्यस्त होने के बाद शावकों को बाड़े में छोड़ा जाएगा। जब यात्री ट्रेन से नीचे उतर रहे थे, इस दौरान एस-2 कोच से गोली चलने की आवाज आई और ट्रेन के भीतर अफरातफरी मच गई, जिसके बाद यात्री स्टेशन से बाहर तेजी से जाने लगे। आरपीएफ के साथी जवान जब मौके पर पहुंचे तो देखा कि आरपीएफ आरक्षक दिनेश चंद्र ट्रेन में फर्श पर गिरा पड़ा है। डर के मारे किसी ने आरक्षक को हाथ नहीं लगाया। आरक्षक दर्द से तड़पता रहा, लेकिन मदद के लिए कोई सामने नहीं आया। सूचना मिलने के बाद जब रेलवे और आरपीएफ के अधिकारी मौके पर पहुंचे, उसके बाद ही जवान को अस्पताल ले जाने की प्रक्रिया शुरू हुई।

वन्यजीवों की अदला-बदली करने में मिलेगी मदद

सफारी में वन्यजीवों की संख्या बढ़ने से इसका फायदा सफारी प्रबंधन को मिलेगा। सफारी में वन्यजीवों की संख्या अधिक होने से किसी दूसरे जू से वन्यजीवों की अदला-बदली करने के समय इसका लाभ मिलेगा। ज्यादातर लोग जू में शेर के साथ बाघ देखने के लिए आते हैं। संख्या बढ़ने से जू की सैर करने आने वाले लोग ज्यादा रोमांचित होंगे।

दिनभर करते हैं मस्ती

शेरनी तथा बाघिन के शावकों के सफारी में जन्म होने की वजह से अपना नैसर्गिक जीवन जी नहीं पा रहे, इसलिए उन्हें जंगल में जीने की जीवनशैली नहीं पता। इस वजह से शेरनी तथा बाघिन के शावकों को अपनी मां के साथ पूरे टाइम समय बिताने को मिल रहा है। बाधिन तथा शेरनी भी अपने बच्चों को भरपूर लाड़ प्यार कर रही हैं।

विशेष तौर पर हो रही निगरानी

जंगल सफारी के डायरेक्टर हेमंत पाहरे ने बताया कि, सफारी में पिछले महीने जन्मे बाधिन तथा शेरनी के बच्चे पूरी तरह से स्वस्थ्य है। शावकों के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। शावकों की विशेष तौर पर निगरानी की जा रही है।

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