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मगरमच्छ की गणना में पहले दिन निर्णय नहीं हो सका कि कितने मगरमच्छ हैं, कितने नर, मादा एवं किस प्रजाति के हैं। इसलिए टीम सोमवार को भी उद्यान में संभावित स्थानों में पहुंचेंगे ।

जगदलपुर। बस्तर जिले के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में मगरमच्छों की गणना के लिए कोलकाता, हैदराबाद, दिल्ली एवं बिलासपुर से 25 वैज्ञानिकों की टीम रविवार की सुबह से शाम तक 30 किलोमीटर लंबी कांगेर नदी में डेढ़ दर्जन स्थानों में पहुंची। भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की टीम को 2-3 किलोमीटर दूर में ही 4-5 स्थानों में मगरमच्छ मिले। इस टीम के साथ वन विभाग के कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में पदस्थ कर्मचारी भी जुटे हुए हैं। मगरमच्छ की गणना में पहले दिन निर्णय नहीं हो सका कि कितने मगरमच्छ हैं, कितने नर, मादा एवं किस प्रजाति के हैं। इसलिए टीम सोमवार को भी उद्यान में संभावित स्थानों में पहुंचेंगे, उसके बाद गणना होने के बाद निष्कर्ष किया जाएगा।

अध्ययन आज  तक

कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक धम्मशील गणवीर ने बताया कि, उद्यान में मगरमच्छों पर भारतीय प्राणी सर्वेक्षण के अध्ययन होने से जानकारी मिलेगी, लेकिन यह अध्ययन सोमवार तक चलेगा। सोमवार के बाद पता चल पाएगा, कितने मगरमच्छ हैं और प्रजाति आदि हो सकेंगे।

रहवास की भी ले रहे जानकारी 

भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की टीम के कुछ वैज्ञानिकों ने बताया कि मगरमच्छ की गणना के साथ मगरमच्छ का रहवास आदि की जानकारी ले रहे हैं। उन्होंने बताया कि कांगेर नदी में मगरमच्छ के खाद्य के लिए उद्यान की ओर से मछली बीज डाला जाता है, ऐसे मछलियों को मगरमच्छ खाते हैं। यही कारण है कि कांगेर नदी में मगरमच्छ का वास है।

गांव के युवा भी शामिल हुए टीम के साथ

बताया जा रहा है कि उद्यान से सटे गांवों के ग्रामीण युवा मगरमच्छ को संरक्षित करने में जुटे हुए हैं, जो मगरमच्छ के अंडे आदि को संरक्षित करने में जुटे रहते हैं। ऐसे युवा भी भारतीय प्राणी सर्वेक्षण की टीम के साथ घूम रहे हैं। गणना के लिए शनिवार को उद्यान में वैज्ञानिकों को प्रोजेक्टर से दिखाया कि मगरमच्छों के पदचिन्हों एवं मगरमच्छ के बच्चों से नर एवं मादा की जानकारी लेंगे, साथ ही किस-किस प्रजाति के मगरमच्छ हैं।

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