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बच्चे जान हथेली पर रखकर स्कूल पढ़ने के लिए रेलवे ट्रैक पार करके जाते हैं। इन स्थितियों में हादसे का खतरा बना रहता है।

रायपुर। शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय मोवा के छात्र इन दिनों खतरों के खिलाड़ी बने हुए हैं। इनकी निगरानी करने वाला भी कोई नहीं है। रेलवे भी जाली लगाकर अपनी जिम्मेदारी भूल गया है। मोवा स्कूल जाने के लिए ब्रिज की दूसरी तरफ रहने वाले विद्यार्थियों के पास दो विकल्प होते हैं। वे ओवर ब्रिज और  अंडर ब्रिज के माध्यम से वहां जा सकते हैं, लेकिन इसमें उन्हें लगभग 500 मीटर की दूरी अतिरिक्त तय करनी होती है। 

इस अतिरिक्त दूरी को तय करने से बचने के लिए ही छात्र रेलवे द्वारा लगाई गई जाली को फांदकर स्कूल व घर के बीच का रास्ता तय करते हैं। मोवा स्कूल में बड़ी संख्या में छात्र अध्ययनरत हैं, जो ब्रिज की दूसरी ओर रहते हैं। इन स्थितियों में हादसे का खतरा बना रहता है। शाला प्रबंधन द्वारा भी छात्रों को इसके लिए कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए गए हैं। उचित निगरानी ना होने का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ सकता है। गर्मी के दिनों में धूप से बचने के लिए और परीक्षा के दौरान समय बचाने के लिए भी छात्र इस शॉर्ट कट रास्ते का इस्तेमाल करते नजर आते हैं।

सामान्य नागरिक भी दिखा रहे लापरवाही

ना सिर्फ स्कूली छात्र बल्कि आम नागरिक भी लापरवाही दिखाते हुए रेलवे की पटरियां पार करते हुए नजर आ जाते हैं। छात्रों को रोकने और समझाइश देने के स्थान पर उनके द्वारा भी इस तरह की गलतियां लगातार की जा रही हैं। पैदल यात्रियों के साथ साइकिल सवार भी रेलवे पटरियां पार करते नजर आते हैं। इस तरह के दृश्य यहां आम हो चले हैं। कई बार ट्रेन के लिए सिग्नल मिल चुके होने के बाद भी लोग रिस्क उठाने से नहीं हिचक रहे हैं।

रास्ता है

डॉ.भीमराव आंबेडकर वार्ड के पार्षद दौपती पटेल ने बताया कि, नागरिकों के ओवर ब्रिज तथा अंडर ब्रिज दोनों ही ओर से रास्ता है। पटरी पार करने की कोई मजबूरी नहीं है। ब्रिज के जरिए रास्ता तय करने पर दूरी 500 मीटर ही अधिक पड़ेगी।

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