कोरबा। छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले के कटघोरा में लिथियम कोल ब्लॉक के लिए मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने सबसे अधिक बोली लगाकर लिथियम ब्लॉक खनन प्रक्रिया के लिए हासिल कर लिया है। कटघोरा क्षेत्र के घुंचापुर और आसपास के क्षेत्रों में लिथियम का भंडार मिला है। लिथियम ब्लॉक के लिए कंपनी ने रिजर्व प्राइस 2 प्रतिशत के विरूद्ध 76.05 प्रतिशत की बोली लगाई है। जिससे लिथियम दोहन की जो मात्रा होगी उस समय बाजार मूल्य का 76 प्रतिशत राशि राज्य को मिलेगा।
देश की पहली लिथियम खदान कोरबा जिले के कटघोरा में खुलेगी। लिथियम की खदान शुरू होने पर जिले ही नहीं बल्कि राज्य के साथ-साथ देश में भी समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे। कटघोरा आधारभूत सुविधाओं से युक्त मैदानी इलाके में है। घुचापुर कटघोरा के आसपास के 250 हेक्टेयर क्षेत्र में लिथियम पाए जाने की पुष्टि जियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया ने की है। लिथियम ब्लॉक के लिए बोली में ओला, वेदांता, जिंदल, श्री सीमेंट, अडाणी समूह, अल्ट्राटेक सीमेंट सहित अनेक बड़ी कंपनियां शामिल थी।
मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने सर्वाधिक बोली लगाकर लिथियम ब्लॉक हासिल कर लिया
अर्जेंटीना की एक कंपनी की भी बोली में भाग लेने की जानकारी मिली है। हालांकि मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड ने सर्वाधिक बोली लगाकर लिथियम ब्लॉक हासिल कर लिया है। लिथियम एक नरम तथा चांदी के समान सफेद धातु है। मानक परिस्थितियों में यह सबसे हल्की धातु और सबसे हल्का ठोस तत्त्व है। यह अत्यधिक प्रतिक्रियाशील और ज्वलनशील है। ग्लोबल मार्केट में एक टन लिथियम की कीमत 57.36 लाख रुपए है। दुर्लभखनिजों की इस नीलामी की प्रक्रिया में कटघोरा ब्लॉक के लिए रिजर्व प्राइस 2 प्रतिशत के विरूद्ध मैकी साउथ माइनिंग प्राइवेट लिमिटेड से 76.05 प्रतिशत की बोली मिली।
इसे भी पढ़ें...वित्त विभाग की अनुदान मांगें पारित : छत्तीसगढ़ पेंशन निधि अधिनियम बनाने वाला देश का पहला राज्य
सबसे पहले प्रोस्पेक्टिंग
लिथियम भंडार के लिए कंपोजिट लाइसेंस दिया जाएगा। ऐसे में तय कंपनी को पहले प्रोस्पेक्टिंग की प्रक्रिया करनी होगी यानी क्षेत्र में खनन से पहले खनन कहां से शुरू की जाए इस पर सर्वे करना होगा। इसके बाद खनन की प्रक्रिया शुरू होगी। सब कुछ ठीक रहा तो कंपनी जल्द प्रोस्पेक्टिंग सर्वे शुरू कर सकेगी। सर्वे के बाद डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट बनाई जाएगी।
ऐसे खुलेंगे समृद्धि के द्वार
लिथियम खनन शुरू होने के बाद इससे जुड़ी कंपनियां काम शुरू करेंगी। इसके लिए तकनीकी एक्सपर्ट की जरूरत पड़ेगी साथ ही संसाधनों के विकास के लिए भी लोगों की आवश्यकता होगी। इससे रोजगार मिलेगा और बाजार में भी बढ़ोतरी आएगी। प्रदेश में विकास के लिए तय राशि, रॉयल्टी व डीएमएफ के लिए भी इससे सहयोग मिलेगा, जो हजारों करोड़ रुपए में होगा।