रविकांत सिंह राजपूत- कोरिया। छत्तीसगढ़ के गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान और कोरिया वनमण्डल की सीमा पर मृत मिले बाघ के शव का शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद वन विभाग ने अंतिम संस्कार कर दिया। ग्रामीणों से बातचीत के दौरान यह बात भी सामने आई कि, 5 नवंबर से ही बाघ नदी किनारे मृत पड़ा था, लेकिन देखने से ऐसा लग रहा था कि, बाघ सोया हुआ है।
बाघ के मृत मिलने की सूचना मिलने पर वन अमला मौके पर पहुंचा और बाघ की सुरक्षा करते हुए आसपास के इलाके की सर्चिंग शुरू कर दी। खोजबीन के लिए डॉग स्क्वायड को भी बुलाया गया, लेकिन वह नहीं मिल सका। आज चार सदस्यीय चिकित्सकों के दल ने उसका पोस्टमार्टम किया। अब पीएम रिपोर्ट आने के बाद ही मौत के कारणों का पता चल सकेगा।
रातभर की गई खोजबीन, लेकिन नहीं मिला बाघ
कोरिया वनमण्डल और गुरु घासीदास राष्ट्रीय उद्यान की सीमा क्षेत्र में कुदरी और कटवार के जंगल में एक दिन पहले शुक्रवार को बाघ मृत अवस्था मे मिला था। नदी के समीप खनखोपर नाले में बाघ को देखा गया जिसके बाद हड़कंप मच गया। वन अमला मौके पर पहुंचा। अम्बिकापुर से मुख्य वन संरक्षक व्ही मातेश्वरन भी रात में ही मौके पर पहुंचे और इलाके में सर्चिंग की गई लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगा। रात भर बाघ की निगरानी करने के बाद शनिवार की दोपहर पीएम कर उसका अंतिम संस्कार किया गया।
बाघ की मौत पर खड़े हो रहे सवाल
बताया जाता है कि, बाघ के शरीर के सभी अंग मौजूद थे और वह पूरी तरह वयस्क था। मौके पर वन अमले के अलावा वाइल्ड लाइफ, डॉग स्क्वायड की टीम, पशु चिकित्सक और बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। ग्रामीणों ने बताया कि, उनके इलाके में बाघ का मूवमेंट पहले नहीं रहा है। गुरुघासीदास राष्ट्रीय उद्यान को टाइगर रिजर्व बनाये जाने की मंजूरी मिल चुकी है, ऐसे में बाघ की मौत को लेकर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। इसके पहले भी इस क्षेत्र में एक बाघ और बाघिन की मौत हो चुकी है। ऐसे में वन विभाग को कड़े कदम उठाने की जरूरत है।