मयंक शर्मा- कोतबा-जशपुर। केंद्र और राज्य सरकारें विशेष संरक्षित जनजातियों को आगे बढ़ाने के लिए कई प्रकार की योजनाएं चला रही हैं। लेकिन योजनाएं केवल कागजों तक सीमित हैं। धरातल में वास्तविकता कुछ और ही बयान कर रही है।
राष्ट्रपति के दत्तक पुत्र कहे जाने वाली कोरवा जनजाति की 75 वर्षीय वृद्धा धनकुंवेर हसदा बीते 8 माह से फांके में दिन गुजार रही थी। उसके पास राशन कार्ड तो था, लेकिन आधार कार्ड लिंक ना होने के कारण उसके राशन को रोक दिया गया था। राशन को रोकने से पहले इस विधवा महिला की दयनीय हालत की जानकारी लेना ना तो प्रशासन ने जरूरी समझा और ना ही पंचायत विभाग के जिम्मेदारों ने मामला जिले के पत्थलगांव ब्लाक के ग्राम पंचायत झिमकी के आश्रित गांव नया खूंटापानी गांव की है।
3 साल पहले पति का हुआ निधन
जंगल के किनारे स्थित इस छोटे से गांव के एक मिट्टी के कच्चे मकान में दिन गुजार रही 75 वर्षीया धनकुंवेर हसदा ने हरिभूमि डाट कॉम को बताया कि, उसके पति सुखीराम का लगभग 3 साल पहले लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। उम्र की अधिकता के कारण अब उसकी कमर पूरी तरह से झुक चुकी है। पति के गुजर जाने के बाद धनकुंवेर के सामने उस समय भूखों मरने की नौबत आ गई। जब दिसंबर 2023 से उसे शासकीय उचित मूल्य की दुकान झिमकी से राशन मिलना बंद हो गया। सरकारी राशन बंद होने पर पड़ोसियों की सहायता से संघर्ष करते हुए दिन गुजार रही थी।
राशन वितरक के खिलाफ ग्रामीणों के विद्रोह से उजागर हुआ मामला
फांके में दिन गुजार रहे धनकुंवेर हसदा का मामला दो दिन पूर्व उस समय सामने आया जब झिमकी के उचित मूल्य दुकान में राशन वितरण में गड़बड़ी को लेकर हितग्राही विरोध करते हुए दुकान के सामने बैठ गए थे। इसी दौरान हितग्राहियों ने धनकुंवेर को महिनों से राशन ना मिलने की बात मौके पर पहुंचे मिडिया को बताया था। दूसरे दिन जब इस मामले की जांच के लिए खाद्य निरीक्षक अजय प्रधान झिमकी पहुंचे तो स्थानीय रहवासियों और मिडिया के अनुरोध पर वे धनकुंवेर बाई के घर पहुंचे और पूरे मामले की जानकारी ली। उन्होनें वृद्धा की दयनीय स्थिति को देखते हुए तत्काल 7 महिने का राशन दिलवाया और उसके राशन कार्ड में नामिनी जोड़ कर घर तक राशन पहुंचाने की व्यवस्था की।
धनकुंवेर को नहीं मिला किसी भी योजना का लाभ
नया खुंटापानी गांव पहुंचे मिडिया, पंचायत के जनप्रतिनिधियों को वृद्वा धनकुंवेर ने बताया कि, एक राशन कार्ड छोड़ कर उसे सरकार की किसी योजना का लाभ नहीं मिल रहा है। वृद्वा पेंशन, विधवा पेंशन, पीएम आवास, महतारी वंदन जैसी योजनाओं के नाम भी उसने नहीं सुना है। जानकारी के अभाव में इस वृद्वा के पास अपनी पहचान स्थापित करने वाला आधार कार्ड तक नहीं है। इस वृद्धा की सहायता के लिए अब तक ना तो सरकारी मिशनरी ने पहल किया है और ना पंचायत ने सुध ली है।
अब धनकुंवेर को राशन नियमित मिलेगा : प्रधान
वहीं इस मामले में खाद्य निरीक्षक पत्थलगांव अजय प्रधान ने बताया कि, आधार कार्ड लिंक ना होने के कारण वृद्वा धनकुंवेर हसदा को राशन नहीं मिल पा रहा था। राशन कार्ड में नामिनी की एंट्री कर दी गई है। इससे आगे हितग्राही को राशन प्राप्त करने में परेशानी नहीं होगी।